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1600 साल पुराने इतिहास का गवाह सौंधनी स्थित विजय स्तंभ, पर्यटन के नक्शे पर तलाश रहा अपनी जगह - Victory Pillar of Yashodharman

मंदसौर के सौंधनी नाम के इलाके में मौजूद कीर्ति स्तंभ का पुरातात्विक महत्व है. इस धरोहर का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी खासा महत्व है. यह धरोहर इस इलाके की पुरातन राज व्यवस्थाओं को प्रमाणित करती है.

Yashodharman's Victory Pillar
यशोधर्मन का विजय स्तंभ
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Published : Aug 12, 2020, 1:12 AM IST

Updated : Aug 21, 2020, 10:47 PM IST

मंदसौर। खेती किसानी के मामले में सोना उगलने वाली जमीन और प्राकृतिक संपदा से भरपूर मंदसौर जिला, पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी काफी ऐतिहासिक स्थान है. इतिहास के मुताबिक इस जिले की सभ्यता, मानव जीवन से भरपूर जुड़ी होने के प्रमाण यहां मौजूद हैं. राजस्थान की सीमा से जुड़े इस जिले में पुरातात्विक महत्व की कई धरोहरें मौजूद हैं. सैकड़ों साल पुरानी इन धरोहरों में मंदसौर के सौंधनी स्थित कीर्ति स्तंभ भी एक ऐसा ही स्थान है. जो 1600 साल पुराने इतिहास में यहां के शासन काल की गाथा बयान करती है.

यशोधर्मन का विजय स्तंभ

ओलिकर सम्राट राजा यशोधर्मन ने हुणों पर विजय के बाद इस स्तंभ को विजय स्मारक के तौर पर स्थापित किया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का यह स्मारक देश का पुराकालीन एक अकेला ऐसा स्थान है, जो पुरातन राज व्यवस्था में जीत की निशानी के तौर पर माना जाता है.

मंदसौर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर सौंधनी नाम के इलाके में मौजूद कीर्ति स्तंभ छठी शताब्दी का ऐतिहासिक स्मारक है. मंदसौर के तत्कालीन शासक ओलिकर सम्राट महाराजा यशोधर्मन ने हुणों की सेना पर विजय के बाद इसे स्थापित किया था. प्राचीनकाल में हूंण जाति के शासक अविभाजित भारत के उत्तरी हिस्से को अपना राज्य बनाने के लिए कई राजाओं पर आक्रमण कर रहे थे.

इसी दौरान उत्तरी इलाकों को जीतकर वे मंदसौर पर आक्रमण करने पहुंच गए थे. तब इस जिले का नाम दशपुर नगर था. लेकिन यहां के ओलीकर सम्राट ने अपने लोगों को संगठित कर हुणों के सम्राट मिहिरकुल को परास्त कर दिया था. उनकी सेना को हराने के बाद राजा यशोधर्मन ने 40 फीट ऊंची पत्थर की इस लाट को बनवाकर उसे कीर्ति स्तंभ के तौर पर स्थापित किया.

यहां दो स्तंभ खड़े किए गए थे. लेकिन कालांतर में दोनों स्तंभ टूट कर नीचे गिर गए. जिसमें से एक स्तंभ को पुरातात्विक विभाग ने 2004 में वापस इस स्थान पर खड़ा किया है. स्तंभों के ऊपरी हिस्से पर सिंह की आकृति और नीचे के हिस्से में एक घंटी नुमा आकृति है. इस स्तंभ पर संस्कृत भाषा और ब्राम्ही लिपि में विजय गाथा भी हुई है. जिस स्थान पर यह स्तम्भ खड़े हैं, यहां उस काल की विजय उत्सव मनाती महिलाओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं.

पुरातात्विक महत्व की इस धरोहर का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी खासा महत्व है. यह धरोहर इस इलाके की पुरातन राज व्यवस्थाओं को भी प्रमाणित करती है. इस स्मारक के साथ यहां मौजूद पुरातन धरोहरे इस जिले की सैकड़ों साल पुरानी मानव व्यवस्था को भी दर्शाती हैं.

इंग्लैंड करा रहा इन धरोहरों पर रिसर्च

इन धरोहरों के मामले में हाल ही में इंग्लैंड ने शोध का काम भी शुरू किया है. शोधकर्ता जेनियस ब्लॉग ने ओलिकर सम्राटों पर एक बुक भी लिखी है. हालांकि इस स्तंभ के इतिहास की खोज अंग्रेज शासन काल में सन 1984 -85 में इतिहासकार सर जान फैठ फुल ने की थी. तबसे यह धरोहर इतिहास के पन्नों में बखूबी दर्ज है. इलाके के इतिहासकारों ने पर्यटन महत्व के इस स्मारक को एक टूरिज्म सर्किट बनाकर उसे जोड़ने की मांग की है.

कीर्ति स्तंभ को नया टूरिज्म सर्किट बनाकर उससे जोड़ा जाएगा

सौंधनी के कीर्ति स्तंभ के मामले में जिला प्रशासन ने भी इसे एक नए टूरिज्म सर्किट बनाकर उससे जोड़ने की बात कही है. मंदसौर कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि कीर्ति स्तंभ के साथ ही भगवान पशुपतिनाथ मंदिर, नालछा माता स्थित मंदिर और गरोठ भानपुरा में मौजूद ऐतिहासिक स्मारकों को एक सर्किट बनाकर जोड़ने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है.

मालवा और मेवाड़ के टूरिज्म सर्किट को जोड़कर यदि मंदसौर जिले की ऐतिहासिक धरोहरों को उसमें शामिल किया जाता है, तो निश्चित तौर पर ये धरोहरें पर्यटन के नक्शे पर अहम मुकाम हासिल करेगी और देश विदेश के लोगों के लिए यह भी एक अच्छे पर्यटन केंद्र के रूप में उभर सकेगा.

मंदसौर। खेती किसानी के मामले में सोना उगलने वाली जमीन और प्राकृतिक संपदा से भरपूर मंदसौर जिला, पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी काफी ऐतिहासिक स्थान है. इतिहास के मुताबिक इस जिले की सभ्यता, मानव जीवन से भरपूर जुड़ी होने के प्रमाण यहां मौजूद हैं. राजस्थान की सीमा से जुड़े इस जिले में पुरातात्विक महत्व की कई धरोहरें मौजूद हैं. सैकड़ों साल पुरानी इन धरोहरों में मंदसौर के सौंधनी स्थित कीर्ति स्तंभ भी एक ऐसा ही स्थान है. जो 1600 साल पुराने इतिहास में यहां के शासन काल की गाथा बयान करती है.

यशोधर्मन का विजय स्तंभ

ओलिकर सम्राट राजा यशोधर्मन ने हुणों पर विजय के बाद इस स्तंभ को विजय स्मारक के तौर पर स्थापित किया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का यह स्मारक देश का पुराकालीन एक अकेला ऐसा स्थान है, जो पुरातन राज व्यवस्था में जीत की निशानी के तौर पर माना जाता है.

मंदसौर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर सौंधनी नाम के इलाके में मौजूद कीर्ति स्तंभ छठी शताब्दी का ऐतिहासिक स्मारक है. मंदसौर के तत्कालीन शासक ओलिकर सम्राट महाराजा यशोधर्मन ने हुणों की सेना पर विजय के बाद इसे स्थापित किया था. प्राचीनकाल में हूंण जाति के शासक अविभाजित भारत के उत्तरी हिस्से को अपना राज्य बनाने के लिए कई राजाओं पर आक्रमण कर रहे थे.

इसी दौरान उत्तरी इलाकों को जीतकर वे मंदसौर पर आक्रमण करने पहुंच गए थे. तब इस जिले का नाम दशपुर नगर था. लेकिन यहां के ओलीकर सम्राट ने अपने लोगों को संगठित कर हुणों के सम्राट मिहिरकुल को परास्त कर दिया था. उनकी सेना को हराने के बाद राजा यशोधर्मन ने 40 फीट ऊंची पत्थर की इस लाट को बनवाकर उसे कीर्ति स्तंभ के तौर पर स्थापित किया.

यहां दो स्तंभ खड़े किए गए थे. लेकिन कालांतर में दोनों स्तंभ टूट कर नीचे गिर गए. जिसमें से एक स्तंभ को पुरातात्विक विभाग ने 2004 में वापस इस स्थान पर खड़ा किया है. स्तंभों के ऊपरी हिस्से पर सिंह की आकृति और नीचे के हिस्से में एक घंटी नुमा आकृति है. इस स्तंभ पर संस्कृत भाषा और ब्राम्ही लिपि में विजय गाथा भी हुई है. जिस स्थान पर यह स्तम्भ खड़े हैं, यहां उस काल की विजय उत्सव मनाती महिलाओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं.

पुरातात्विक महत्व की इस धरोहर का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी खासा महत्व है. यह धरोहर इस इलाके की पुरातन राज व्यवस्थाओं को भी प्रमाणित करती है. इस स्मारक के साथ यहां मौजूद पुरातन धरोहरे इस जिले की सैकड़ों साल पुरानी मानव व्यवस्था को भी दर्शाती हैं.

इंग्लैंड करा रहा इन धरोहरों पर रिसर्च

इन धरोहरों के मामले में हाल ही में इंग्लैंड ने शोध का काम भी शुरू किया है. शोधकर्ता जेनियस ब्लॉग ने ओलिकर सम्राटों पर एक बुक भी लिखी है. हालांकि इस स्तंभ के इतिहास की खोज अंग्रेज शासन काल में सन 1984 -85 में इतिहासकार सर जान फैठ फुल ने की थी. तबसे यह धरोहर इतिहास के पन्नों में बखूबी दर्ज है. इलाके के इतिहासकारों ने पर्यटन महत्व के इस स्मारक को एक टूरिज्म सर्किट बनाकर उसे जोड़ने की मांग की है.

कीर्ति स्तंभ को नया टूरिज्म सर्किट बनाकर उससे जोड़ा जाएगा

सौंधनी के कीर्ति स्तंभ के मामले में जिला प्रशासन ने भी इसे एक नए टूरिज्म सर्किट बनाकर उससे जोड़ने की बात कही है. मंदसौर कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि कीर्ति स्तंभ के साथ ही भगवान पशुपतिनाथ मंदिर, नालछा माता स्थित मंदिर और गरोठ भानपुरा में मौजूद ऐतिहासिक स्मारकों को एक सर्किट बनाकर जोड़ने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है.

मालवा और मेवाड़ के टूरिज्म सर्किट को जोड़कर यदि मंदसौर जिले की ऐतिहासिक धरोहरों को उसमें शामिल किया जाता है, तो निश्चित तौर पर ये धरोहरें पर्यटन के नक्शे पर अहम मुकाम हासिल करेगी और देश विदेश के लोगों के लिए यह भी एक अच्छे पर्यटन केंद्र के रूप में उभर सकेगा.

Last Updated : Aug 21, 2020, 10:47 PM IST
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