अहमदाबाद/ मंदसौर। जब 107 वर्षीय जमनाबेन (बदला हुआ नाम) को दिल का दौरा पड़ा, तो उनके परिवार ने उन्हें अहमदाबाद लाने की ठानी. उन्होंने मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में अपने पैतृक गांव से आठ घंटे की लंबी सड़क यात्रा की और उन्हें मारेंगो सीआईएमएस अस्पताल ले जाया गया, जहां एंजियोग्राफी में धमनियों में 99 प्रतिशत गंभीर रुकावट दिखाई दी. शरीर से कमजोर जमनाबेन ने अपने दिल की सामान्य कार्यप्रणाली को बहाल करने के लिए एंजियोप्लास्टी करने में एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश की, लेकिन डॉक्टरों ने चुनौती पर काबू पा लिया और इस बेहद बुजुर्ग मरीज का इलाज किया.
चुनौतियां उम्र से परे थीं: टीम का नेतृत्व इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और अस्पताल के अध्यक्ष केयूर पारिख ने किया था, जिनकी सहायता कार्डियक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट चिंतन सेठ ने की. जमनाबेन के मामले में चुनौतियां उम्र से परे थीं. रेडियल इंटरवेंशनल प्रक्रिया के लिए रोगी को इतना स्वस्थ होना चाहिए कि डॉक्टर कलाई में रेडियल धमनी ढूंढ सकें.
पारिख ने कहा, "स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए उम्र कभी भी एक सीमा नहीं होनी चाहिए. भारत में औसत दीघार्यु बढ़ रही है और लगभग जापान और नॉर्वे के साथ क्रमश: (महिलाओं में) 74 वर्ष और 81 वर्ष की स्थिति में, स्वास्थ्य सेवा के बदलते चेहरे के साथ चलना होगा, हमारा लक्ष्य हमारे वृद्ध रोगियों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है जैसे हम छोटे रोगियों को करते हैं."
परिवार ने आभार व्यक्त किया: 107 वर्षीय जमनाबेन के परिवार ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि- "हम चाहते हैं कि हमारी परदादी और भी कई साल जिएं. जिस दिन से हमारे दादाजी का इस अस्पताल में उसी प्रक्रिया के लिए इलाज किया गया था, हमें यकीन था कि हमारी परदादी भी तेजी से ठीक हो जाएंगी."
भारत में लगभग 4-5 करोड़ लोग आईएचडी से पीड़ित: अध्ययनों के अनुसार, भारत में लगभग 4-5 करोड़ लोग इस्केमिक हृदय रोग (आईएचडी) से पीड़ित हैं और लगभग 15-20 प्रतिशत मौतें आईएचडी के कारण होती हैं - "एक ऐसी स्थिति जब धमनियां संकुचित हो जाती हैं, जिससे हृदय तक कम रक्त और ऑक्सीजन पहुंच पाती है. आखिरकार दिल का दौरा पड़ता है." (107 years old women heart treatment )(Mandsour women heart treatment in Ahmedabad)
(आईएएनएस)