बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) के जरिए करोड़ों रुपये का चंदा लेने के लिए ईडी का दुरुपयोग करने के आरोप में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला खारिज कर दिया. इस मामले को लेकर बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
इस आदेश के साथ ही निर्मला सीतारमण, जेपी नड्डा, पूर्व सांसद और भाजपा की पूर्व प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नलिन कुमार कटील को राहत मिली है. यह आदेश जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने चौथे आरोपी पूर्व सांसद और भाजपा की पूर्व प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नलिन कुमार कटील की याचिका पर पारित किया. याचिका में एफआईआर को खारिज करने की मांग की गई थी. हालांकि, आदेश की विस्तृत प्रति अभी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि, आईपीसी की धारा 384 की व्याख्या प्रत्येक मामले के तथ्यों पर नहीं बदलती है. उन्होंने कोर्ट से कहा कि, पीड़ित अदालत के सामने नहीं आए हैं और इस मामले में शिकायतकर्ता को कोई नुकसान नहीं है. इसलिए यहां जबरन वसूली का मुद्दा लागू नहीं होता.
याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि, शिकायत में लगाए गए आरोप जबरन वसूली का एक प्रमुख उदाहरण हैं. जिस व्यक्ति से जबरन वसूली की जाती है, उसे अपराध से लाभ भी होता है. चुनावी बांड के माध्यम से भाजपा को डोनेशन देने के बाद, उसके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की जांच बंद हो गई थी. इस कारण से, उसने शिकायत दर्ज नहीं की.
एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) जनाधिकार संघर्ष परिषद के सह अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने शिकायत में आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं ने कुछ ईडी अधिकारियों के साथ मिलकर निजी फर्मों से जबरन वसूली की और चुनावी बॉन्ड योजना के तहत अवैध लाभ कमाया, जिसे इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
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