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कुपोषण की जद में हर माह 25 से 38 नये बच्चे, क्या बेअसर साबित हो रहे सरकारी प्रयास? - statistics of malnutrition in Mandla

भले ही प्रशासन जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा जोर शोर से मना रहा है, लेकिन जनसंख्या नियंत्रित करने में सरकार नाकाम साबित हो रही है. बच्चों के बीच कम अंतर के चलते कुपोषण रोजाना अपने पैर पसार रहा है.

कुपोषिण बच्चे
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Published : Jul 12, 2019, 1:23 PM IST

मण्डला। भले ही प्रशासन जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा जोर शोर से मना रहा है, लेकिन जनसंख्या नियंत्रित करने में सरकार नाकाम साबित हो रही है. बच्चों के बीच कम अंतर के चलते कुपोषण रोजाना अपने पैर पसार रहा है. आदिवासी बाहुल्य मण्डला जिले में परिवार नियोजन पूरी तरह फ्लाप दिख रहा है क्योंकि जिस तेजी से यहां कुपोषण के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हुई है, उससे सरकारी योजनाओं पर भी सवाल उठना लाजिमी है.

कुपोषण की जद में मण्डला के कई बच्चे

परिवार नियोजन के साधनों के बारे में भ्रम और ग्रामीणों में इसकी कम जानकारी के चलते कुपोषण के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. जिले के शून्य से पांच साल तक के कुल 85 हजार 456 बच्चों के सर्वे में 17 प्रतिशत यानि 14 हजार 446 बच्चे कुपोषित मिले हैं. वहीं, 2 प्रतिशत यानि 1290 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं. जोकि चिंता का विषय है. अप्रैल महीने में 108, मई में 146 और जून में 171 कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए हैं. यानि की हर महीने 25 से 35 कुपोषण के नये मामले सामने आ रहे हैं.

जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन कार्यक्रम पूरे साल चलता है, पर सवाल ये है कि स्वास्थ्य विभाग और इसके माध्यम से चलाए जा रहे कार्यक्रम कितने असरदार साबित हो रहे हैं, इसके आंकड़े सामने नहीं आते हैं. कुपोषित बच्चों से जुड़े ये आंकड़े परिवार नियोजन के लिए चलाए जा रहे अभियान की विफलता को ही साबित कर रहे हैं.

11 जुलाई से 11 अगस्त तक विश्व जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दंपति परिवार नियोजन के साधन नहीं अपनाते हैं. जिसके चलते दो बच्चों के बीच उतना अंतर नहीं रख पाते हैं, जोकि स्वस्थ बच्चे के लिए जरूरी होता है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बच्चों में कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं. परिवार नियोजन को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने के मकसद से इस पखवाड़े का आयोजन किया गया है.

मण्डला। भले ही प्रशासन जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा जोर शोर से मना रहा है, लेकिन जनसंख्या नियंत्रित करने में सरकार नाकाम साबित हो रही है. बच्चों के बीच कम अंतर के चलते कुपोषण रोजाना अपने पैर पसार रहा है. आदिवासी बाहुल्य मण्डला जिले में परिवार नियोजन पूरी तरह फ्लाप दिख रहा है क्योंकि जिस तेजी से यहां कुपोषण के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हुई है, उससे सरकारी योजनाओं पर भी सवाल उठना लाजिमी है.

कुपोषण की जद में मण्डला के कई बच्चे

परिवार नियोजन के साधनों के बारे में भ्रम और ग्रामीणों में इसकी कम जानकारी के चलते कुपोषण के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. जिले के शून्य से पांच साल तक के कुल 85 हजार 456 बच्चों के सर्वे में 17 प्रतिशत यानि 14 हजार 446 बच्चे कुपोषित मिले हैं. वहीं, 2 प्रतिशत यानि 1290 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं. जोकि चिंता का विषय है. अप्रैल महीने में 108, मई में 146 और जून में 171 कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए हैं. यानि की हर महीने 25 से 35 कुपोषण के नये मामले सामने आ रहे हैं.

जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन कार्यक्रम पूरे साल चलता है, पर सवाल ये है कि स्वास्थ्य विभाग और इसके माध्यम से चलाए जा रहे कार्यक्रम कितने असरदार साबित हो रहे हैं, इसके आंकड़े सामने नहीं आते हैं. कुपोषित बच्चों से जुड़े ये आंकड़े परिवार नियोजन के लिए चलाए जा रहे अभियान की विफलता को ही साबित कर रहे हैं.

11 जुलाई से 11 अगस्त तक विश्व जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दंपति परिवार नियोजन के साधन नहीं अपनाते हैं. जिसके चलते दो बच्चों के बीच उतना अंतर नहीं रख पाते हैं, जोकि स्वस्थ बच्चे के लिए जरूरी होता है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बच्चों में कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं. परिवार नियोजन को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने के मकसद से इस पखवाड़े का आयोजन किया गया है.

Intro:मण्डला जिले में 11 जुलाई से 11 अगस्त तक विश्व जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा लेकिन ऐसे पखवाड़े का लाभ ही क्या जो ग्रामीणों को न तो जागरूक कर पा रहा न ही परिवार नियोजन कार्यक्रम के माध्यम से लोगों तक यह संदेश पहुँचा पा रहा कि दो बच्चों के बीच कितना अंतर रखना चाहिए ? और ऐसे में जिले में लगातार बढ़ रहे हैं कुपोषण के आंकड़े


Body:मण्डला जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बच्चों में कुपोषण के मामले सामने आ रहे हैं जिसकी वजह है दंपत्तियों के द्वारा परिवार नियोजन के साधन नहीं अपनाए जाते और दो बच्चों के बीच उतना अंतर नहीं रखा जाता जो स्वास्थ्य बच्चे के लिए जरूरी हो,साथ ही माँ यदि कमजोर है तो बच्चा भी कमजोर पैदा होगा जिसके लिए परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने की सलाह उन्हें दी जानी चाहिए लेकिन ऐसा होता दिखाई नही दे रहा तभी जिले भर से कुपोषण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं आंकड़े की बात करें तो

मण्डला के 0 से 5 साल के कुल 85 हज़ार 456 बच्चों के सर्वे में 14 हज़ार 446 बच्चे कुपोषित निकले जिनका प्रतिशत 17 है,वहीं 1290 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं,इस आंकड़े की यदि प्रतिशत में बात की जाए तो 100 में से 17% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं वहीं 2 बच्चे अति कुपोषित हैं,जो कि जिले के लिए चिंता का विषय है,अप्रैल माह में 108,मई माह में 146 और जून माह में 171 कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए जिसका कारण सीधे तौर पर देखा जाए तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इन दंपतियों को यह नहीं समझाया जा सका कि वे परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग करें और बच्चे पैदा करने का विचार तभी करें जब इसके लिए वे सक्षम हों,11 जुलाई से 11 अगस्त तक जिले में जनंसख्या नियंत्रण के लिए विश्व जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास वे आंकड़े ही दर्ज नहीं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं या ऐसे आंकड़े विभाग के द्वारा जारी ही नहीं किये जा रहे कि किन क्षेत्रों में लोगों को परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिए जागरूक किया जाना है या किस गाँव को परिवार नियोजन के लिहाज से अच्छा माना जाए



Conclusion:जिला स्वास्थ्य एवम चिकित्सा अधिकारी के अनुसार यह कार्यक्रम पूरे साल ही चलता है लेकिन सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग और इसके माद्यम से चलाए जा रहे कार्यक्रमों का कितना असर हो पा रहा इसके आँकड़े सामने नहीं आँकड़े आते हैं तो बस कुपोषित बच्चों के जो कहीं न कहीं परिवार नियोजन के लिए चलाए जा रहे अभियान की विफलता को ही साबित करता है

बाईट--रश्मि वर्मा,पोषण पुनर्वास केंद्र मण्डला
बाईट--के सी सौरोते जिला स्वास्थ्य अधिकारी मण्डला
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