मंडला। 'पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया' शासन की ये लाइन तो सुनने में बड़ी अच्छी लगती है और इसके लिए प्रदेश स्तर पर सरकार करोड़ों रूपए का बजट भी जारी कर तमाम योजनाएं तो चलाती है. पर जमीन पर आते आते इन योजनाओं का हाल बेहाल हो जाता है, हम बात कर रहे हैं मंडला जिले के झूलपुर गांव की जहां स्कूली बच्चे रोजाना नाव के सहारे स्कूल तक का सफर तय करते हैं, ये सफर खतरे से भरा हुआ होता है लेकिन क्या करें साहब बच्चों को अपना जीवन भी तो सवांरना है. आइए आपको दिखाते हैं डर से भरा ये सफर...
नौनिहालों का नाव से आना जाना उनकी मजबूरी है क्योंकि सरकार यहां सिर्फ वोट मांगने ही आती है उसके बाद वो इनकी कोई सुध नहीं लेती है,यहां न तो सड़क है और न ही इसके अलावा कोई और रास्ता, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि नाव जब नदी के बीच में पहुंचती है और पानी का तेज बहाव जब उनकी तरफ आता है नाव के पलटने का भी डर मन में बना रहता है, इस नाव पर न सिर्फ बच्चे बल्कि ग्रामीणों के साथ ही साइकिल और मोटरसाइकिल के साथ सामान भी रखा होता है.
जब पूरे मामले पर क्षेत्रीय विधायक देवसिंह शैयाम का गांव भी है जिनका कहना है कि उन्होंने बहुत कोशिश की है कि यहां एक पुल बन जाए, लेकिन बांध होने के चलते यह सम्भव नहीं हो पाया. वो भी इस दो किलोमीटर के खतरे भरे सफर की मजबूरी को स्वीकार करते हैं और इस के लिए लगातार प्रयास करने की बात भी कहते हैं. लेकिन यह प्रयास कब सफल होगा ये देखने वाली बात है.
पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं
दो दशक पहले इस बाँध को नाव के सहारे पार करती पूरी बारात डूब गई थी, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा बाराती असमय ही मौत के मुंह में समा गए थे. ग्रामीणों के अनुसार बीते कुछ साल पहले भी एक नाव यहां पलट गई थी जिसमें कोई जन हानि तो नहीं हुई लेकिन ये हादसे स्कूली बच्चों के लिए दहशत का वो कारण बन गए जिसे लेकर ये इस पार से उस पार आते जाते हैं
नौनिहाल रोज इस डर के साए में सफर करने को मजबूर हैं, लेकिन न तो सरकार और न ही प्रशासन इस ओर ध्यान देने को तैयार हैं, सफर के दौरान कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, शायद प्रशासन भी यही चाहता है क्योंकि कई बार ग्रामीण पुल के लिए अधिकारियों के पास गुहार लगा चुके हैं.