मंडला। जिले में कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह से तबाही मचाई उसे देखते हुए देर से ही सही ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय डेढ़ महीने पहले शिवराज सिंह ने लिया था, लेकिन काम के नाम पर अभी यहां बस ढांचा ही बनकर तैयार हुआ है. वहीं जनप्रतिनिधि भी इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दे रहे है. ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बनाई गई रणनीति कहीं न कहीं अधूरी लग रही है. इसी को लेकर कांग्रेस विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले ने प्रशासन और बीजेपी के स्थानीय सांसद और विधायकों पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में देश में बीजेपी की सरकार है इसके बावजूद जनप्रतिनिधि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं कर पा रहे है.
कछुआ चाल से हो रहा निर्माण
दरअसल मंडला में ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण को लेकर दावा किया जा रहा था कि यह 15 दिन में बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी यहां प्लांट के नाम पर सिर्फ ढांचा और टीन की चादरें ही दिखाई दे रही है. इसके अलावा नैनपुर में ऑक्सीजन बेड लगाने के निर्देश दिए गए थे, जिसका काम भी शुरू हो चुका था. इस काम को भी 15 -20 दिन में पूरा करने का दावा किया जा रहा था, लेकिन यह काम भी अधूरा पड़ा है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ ही जानकार भारत में तीसरी लहर आने की बात कर रहे है. ऐसे में समझा जा सकता है कि मंडला जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ऑक्सीजन प्लांट निर्माण को लेकर कितना गंभीर है.
तीसरी लहर से कैसे निपटेगा बुरहानपुर?, जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का काम अधूरा
सांसद, केंद्रीय मंत्री नकारा : डॉ अशोक मर्सकोले
मंडला जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल हमेशा से बेहाल रहा है. यहां चिकित्सकों की कमी के साथ ही नर्सिंग स्टाफ भी कभी पूरा नहीं रहा, ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट को लेकर हो रही लेटलतीफी को निवास विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले ने सीधे तौर पर सरकार और जिला प्रशासन की उदासीनता बताया, वहीं जिले के सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके को नकारा बताते हुए काम नहीं करा पाने का आरोप लगाया.
CMHO का अजीब तर्क, बड़े शहरों को प्राथमिकता
जब इस बारे में मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने निर्माण कार्य धीमे चलने के पीछे अजीबोगरीब तर्क दिया. डॉ. श्रीनाथ सिंह का कहना है कि बड़े शहरों में तकनीकी स्तर की आवश्यकता को पहले पूरा किया जाता है. लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्ट की भी समस्या ने कार्य की गति धीमी कर दी है. जबकि ऑक्सीजन प्लांट निर्माण अतिआवश्यक कार्य के तहत आता है इसीलिए इसे प्राथमिकता के आधार पर पहले किया जाना था. लेकिन नहीं हुआ.
बहरहाल कोरोना की तीसरी लहर की संभावना लगातार जताई जा रही है. ऐसे में समय रहते जरूरतमंद लोगों को सांसे दिलाने ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण की शुरुआत तो हुई लेकिन कछुआ चाल निर्माण के चलते महज ढांचे तक पहुंचा कार्य जिम्मदारों की लापरवाही को जाहिर कर रहा है.