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लॉकडाउन में गरीबों और मजदूरों का सहारा बनी 'माई की रसोई' - मंडला नर्मदा नदी

मंडला शहर में लॉकडाउन के चलते माई की रसोई गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों का सबसे बड़ा सहारा बनी हुई है. इस रसोई के जरिए हर दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है.

माई की रसोई
माई की रसोई
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Published : Apr 13, 2020, 3:14 PM IST

मंडला। शहर में लॉकडाउन के दौरान माई की रसोई हर दिन लोगों को खाना खिला रही है. जो इस वक्त गरीबों और मजदूर वर्ग के लोगों का सबसे बड़ा सहारा बनी हुई है. यह रसोई पिछले आठ सालों से संचालित की जा रही है, जो लगातार गरीबों को भोजन कराती है.

लॉकडाउन में गरीबों और मजदूरों का सहारा बनी 'माई की रसोई'

यहां लॉकडाउन का भी पूरा पालन करवाया जा रहा है. पहले हर आने वाले को यही बैठकर खाना खिलाया जाता था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसका स्वरुप बदल गया है. सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए यहां लोगों को खाना खिलाया जाता है. यहां बनने वाली नवरत्न खिचड़ी जिसमें 9 प्रकार के अनाज और शुद्ध घी का तड़का होता है. जिसे लोगों को खिलाया जाता है.

बनाई जाती है नवरत्न खिचड़ी
बनाई जाती है नवरत्न खिचड़ी

मंडला शहर के रपटा घाट में बीते आठ सालों से यह 'माई की रसोई' चल रही है, जो कभी बंद नहीं हुई और करीब हर दिन कई लोगों को खाना खिलाती है. इस कमेटी के करीब दर्जन भर सदस्य बिना किसी बाहरी सहारे के आपस मे ही चंदा करते हैं और रोज शाम के समय जरूरतमंदों को भरपेट खिचड़ी खिलाते हैं.

हर दिन मिलता है लोगों को खाना
हर दिन मिलता है लोगों को खाना

माई की रसोई चलाने वाले ग्रुप के सदस्य रूपेश इशरानी ने बताया कि, कोरोना के चलते यहां सरकारी नियमों और जिला प्रशासन के दिए गए निर्देशों का पालन किया जा रहा है. जिसके चलते बैठा कर खिलाने की बजाय लोगों को खिचड़ी ले जाने के लिए दे दी जाती है, कोई यहां अगर बैठ कर खाना चाहे, तो उनके लिए दूर दूर स्थान चिन्हित कर दिए गए हैं जिससे कि सोशल डिस्टेंस बना रहे.

मंडला। शहर में लॉकडाउन के दौरान माई की रसोई हर दिन लोगों को खाना खिला रही है. जो इस वक्त गरीबों और मजदूर वर्ग के लोगों का सबसे बड़ा सहारा बनी हुई है. यह रसोई पिछले आठ सालों से संचालित की जा रही है, जो लगातार गरीबों को भोजन कराती है.

लॉकडाउन में गरीबों और मजदूरों का सहारा बनी 'माई की रसोई'

यहां लॉकडाउन का भी पूरा पालन करवाया जा रहा है. पहले हर आने वाले को यही बैठकर खाना खिलाया जाता था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसका स्वरुप बदल गया है. सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए यहां लोगों को खाना खिलाया जाता है. यहां बनने वाली नवरत्न खिचड़ी जिसमें 9 प्रकार के अनाज और शुद्ध घी का तड़का होता है. जिसे लोगों को खिलाया जाता है.

बनाई जाती है नवरत्न खिचड़ी
बनाई जाती है नवरत्न खिचड़ी

मंडला शहर के रपटा घाट में बीते आठ सालों से यह 'माई की रसोई' चल रही है, जो कभी बंद नहीं हुई और करीब हर दिन कई लोगों को खाना खिलाती है. इस कमेटी के करीब दर्जन भर सदस्य बिना किसी बाहरी सहारे के आपस मे ही चंदा करते हैं और रोज शाम के समय जरूरतमंदों को भरपेट खिचड़ी खिलाते हैं.

हर दिन मिलता है लोगों को खाना
हर दिन मिलता है लोगों को खाना

माई की रसोई चलाने वाले ग्रुप के सदस्य रूपेश इशरानी ने बताया कि, कोरोना के चलते यहां सरकारी नियमों और जिला प्रशासन के दिए गए निर्देशों का पालन किया जा रहा है. जिसके चलते बैठा कर खिलाने की बजाय लोगों को खिचड़ी ले जाने के लिए दे दी जाती है, कोई यहां अगर बैठ कर खाना चाहे, तो उनके लिए दूर दूर स्थान चिन्हित कर दिए गए हैं जिससे कि सोशल डिस्टेंस बना रहे.

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