खरगोन। सावन महीने में पार्थिव शिवलिंग पूजन का अपना महत्व है. खरगोन सहित पूरे जिले में पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजे जाते है. ऐसा ही जिले की पौराणिक नगरी महेश्वर के काशी विश्वनाथ मंदिर में भावसार परिवार पार्थिव शिवलिंग का पूजन करते हुआ आ रहा है.
भावसार परिवार के तीसरी पीढ़ी के दीर्धायु राज भावसार ने बताया कि हमारी दादी सालों से पार्थव शवलिंग का पूजन करते आ रही है, वो इसे मानती भी है. यह काली मिट्टी से बनाए जाते है. पूजन के बाद इसे नर्मदा नदी में विसर्जित किया जाता है. पुजारी पंडित श्याम शर्मा ने कहा कि पार्थिव शिवलिंग का पूजन मातुश्री अहिल्या बाई होलकर के जमाने से होता आ रहा है. अहिल्या मां साहब शिवजी की परम भक्त थी. उन्होंने पार्थिव शिवलिंग पूजन की शुरुआत की थी. 108 ब्राह्मणों द्वारा सवा लाख पार्थिव शिवलिंग बनाए जाते थे, तब से उन्हें देख काशी विश्वनाथ मंदिर में भी सावन माह में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया जाता है.
इसके पूजन से मनोरथी के मनोरथ पूर्ण होते है. आज हमारे मनोरथी द्वारा 501 शवलिंग बना कर पूजा गया है. इनके परिवार में सालों से पार्थिव शिवलिंग का पूजन होता आ रहा है, इसमें सफेद खाद्य पदार्थ जैसे दही चावल के भोग का विशेष महत्व है.