ETV Bharat / state

खरगोनः सवान के पहले सोमवार पर शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़ - maheshwar of khargone

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह में पार्थिव शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व है. महेश्वर के काशी विश्वनाथ मंदिर में भावसार परिवार सदियों से पार्थिव शिवलिंग का पूजन करता आ रहा है. इस बार भी शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ी.

parthiv shivling is been worshied on the first sawan somwar in khargone
सवान में खरगोन में होता है पार्थिव शिवलिंग का पुजन,
author img

By

Published : Jul 7, 2020, 1:20 AM IST

खरगोन। सावन महीने में पार्थिव शिवलिंग पूजन का अपना महत्व है. खरगोन सहित पूरे जिले में पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजे जाते है. ऐसा ही जिले की पौराणिक नगरी महेश्वर के काशी विश्वनाथ मंदिर में भावसार परिवार पार्थिव शिवलिंग का पूजन करते हुआ आ रहा है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होता है महादेव का पूजन

भावसार परिवार के तीसरी पीढ़ी के दीर्धायु राज भावसार ने बताया कि हमारी दादी सालों से पार्थव शवलिंग का पूजन करते आ रही है, वो इसे मानती भी है. यह काली मिट्टी से बनाए जाते है. पूजन के बाद इसे नर्मदा नदी में विसर्जित किया जाता है. पुजारी पंडित श्याम शर्मा ने कहा कि पार्थिव शिवलिंग का पूजन मातुश्री अहिल्या बाई होलकर के जमाने से होता आ रहा है. अहिल्या मां साहब शिवजी की परम भक्त थी. उन्होंने पार्थिव शिवलिंग पूजन की शुरुआत की थी. 108 ब्राह्मणों द्वारा सवा लाख पार्थिव शिवलिंग बनाए जाते थे, तब से उन्हें देख काशी विश्वनाथ मंदिर में भी सावन माह में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया जाता है.

इसके पूजन से मनोरथी के मनोरथ पूर्ण होते है. आज हमारे मनोरथी द्वारा 501 शवलिंग बना कर पूजा गया है. इनके परिवार में सालों से पार्थिव शिवलिंग का पूजन होता आ रहा है, इसमें सफेद खाद्य पदार्थ जैसे दही चावल के भोग का विशेष महत्व है.

खरगोन। सावन महीने में पार्थिव शिवलिंग पूजन का अपना महत्व है. खरगोन सहित पूरे जिले में पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजे जाते है. ऐसा ही जिले की पौराणिक नगरी महेश्वर के काशी विश्वनाथ मंदिर में भावसार परिवार पार्थिव शिवलिंग का पूजन करते हुआ आ रहा है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होता है महादेव का पूजन

भावसार परिवार के तीसरी पीढ़ी के दीर्धायु राज भावसार ने बताया कि हमारी दादी सालों से पार्थव शवलिंग का पूजन करते आ रही है, वो इसे मानती भी है. यह काली मिट्टी से बनाए जाते है. पूजन के बाद इसे नर्मदा नदी में विसर्जित किया जाता है. पुजारी पंडित श्याम शर्मा ने कहा कि पार्थिव शिवलिंग का पूजन मातुश्री अहिल्या बाई होलकर के जमाने से होता आ रहा है. अहिल्या मां साहब शिवजी की परम भक्त थी. उन्होंने पार्थिव शिवलिंग पूजन की शुरुआत की थी. 108 ब्राह्मणों द्वारा सवा लाख पार्थिव शिवलिंग बनाए जाते थे, तब से उन्हें देख काशी विश्वनाथ मंदिर में भी सावन माह में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया जाता है.

इसके पूजन से मनोरथी के मनोरथ पूर्ण होते है. आज हमारे मनोरथी द्वारा 501 शवलिंग बना कर पूजा गया है. इनके परिवार में सालों से पार्थिव शिवलिंग का पूजन होता आ रहा है, इसमें सफेद खाद्य पदार्थ जैसे दही चावल के भोग का विशेष महत्व है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.