खंडवा। सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 52वें प्रांत अधिवेशन में शिरकत करने के लिए खंडवा पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने अपने संस्थान सुपर-30 से लेकर देश की शिक्षा नीति सहित तमाम विषयों पर खुलकर बातचीत की.
सवाल- सुपर-30 का कैसा सफर रहा ?
जवाब- आनंद कुमार ने अपने सुपर-30 के अभी तक के सफर को लेकर कहा कि उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए काम किया, जो पढ़ना चाहते थे. कुछ अच्छा करना चाहते थे, लेकिन उनके पास संसाधन नहीं था. पारिवारिक पृष्ठभूमि और आर्थिक व्यवस्था नहीं थी, सुपर-30 का ही नतीजा है कि आज ऐसे बच्चे देश विदेश में बड़े पदों पर आसीन हैं.
सवाल- देश में कई ऐसे प्रतिभावान बच्चे हैं जो आपके संस्थान सुपर 30 में पढ़ना चाहते हैं. इसके लिए विस्तार की क्या योजना है ?
जवाब- हम विस्तार पर ही कार्य कर रहे हैं. आगामी 2020 में इसका बड़ा स्वरूप देखने को मिलेगा. इसी के साथ आगामी महीने में पूरे देश के बच्चों को सुपर-30 का लाभ मिले इस बात की घोषणा पूरी तैयारी के साथ करेंगे.
सवाल- देश में शिक्षा नीति में परिवर्तन की चर्चाएं होती हैं, एक शिक्षाविद् होने के नाते आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?
जवाब- शिक्षा नीति को लेकर हमें अपने पाठ्यक्रम को व्यवहारिक ज्ञान आधारित बनाना चाहिए. साथ ही हमारे शिक्षकों को बेहतर ट्रेनिंग की आवश्यकता है. हमें ऐसे जुनूनी शिक्षकों को खास प्रकार की ट्रेनिंग देनी होगी, जो बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकें. इसके लिए केंद्र या राज्य की सरकारों ने मिलकर योजना बनानी चाहिए.
सवाल- केंद्र सरकार विश्वविद्यालयों से महाविद्यालयों की संबद्धता हटाने पर विचार कर रही है. ऐसे में महाविद्यालय स्वायत्त तरीके से काम कर सकेंगे अगर ऐसा होता है तो आप इसे कैसे देखते हैं ?
जवाब- शिक्षा में स्वतंत्रता बहुत जरूरी हैं, क्योंकि स्वतंत्रता से ही विकास संभव है. महाविद्यालयों को स्वायत्तता देना जरूरी है और अच्छी बात भी है. लेकिन निजी कॉलेज अपनी मनमानी करने लगें और निजी कॉलेज पैसा कमाने का साधन बन जाए. इसलिए कुछ बंदिशें जरूरी हैं.
सवाल- देशभर में कई विश्वविद्यालयों में आज युवा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं ?
जवाब- भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यहां सभी को अपनी बात रखने की आजादी है. लेकिन तरीका शांतिपूर्वक होना चाहिए. आजादी और लोकतंत्र के नाम पर हिंसा करना कतई उचित नहीं है.