खंडवा। खरीफ के सीजन में हुई अतिवृष्टि और खराब बुवाई की वजह से सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है , जिसके चलते किसानों ने खराब बुवाई की शिकायत भी की थी, लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आने से किसानो में गुस्सा देखा जा रहा है.
बता दें कि जिले के गांधवा के युवा किसान सर्वोदय पाटीदार मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़कर अपनी पुष्तैनी खेती को संभाल रहे हैं. और इसी दौरान सर्वोदय ने रबी के सीजन के दौरान करीब 53 एकड़ खेत में सोयाबीन लगाई थी और सोयाबीन की बुवाई खंडवा की एक दुकान से खरीदी थी, लेकिन जब खेत में उसे बुवाई की गई तो पूरी फसल का मात्र 10 फीसदी ही सर्वोदय के हाथ लगा.
वही सर्वोदय का कहना है कि जब उन्होंने बीज खरीदे थी तो दुकानदार ने उन्हें अच्छी उत्पादन क्षमता वाला बीज बता दिया था, लेकिन जब फसल लगी तो पता चला की बीज एक प्रकार का न होकर मिश्रीत प्रजाति का है और इससे फसल नष्ट हो गई. उन्होंने बताया कि 9 लाख की लागत लगाई थी जिससे उन्हें तकरीबन 24 से 28 लाख का फायदा होने वाला था, लेकिन खराब बुवाई के चलते उनकी लागत भी नहीं निकल पाई.
ऐसा ही ग्राम गुड़ी के एक आदिवासी किसान के साथ हुआ, गुड़ी के आदिवासी किसान राजू ने अपने 10 एकड़ के खेत में सोयाबीन लगाई थी. राजू ने भी सोयाबीन के बीज बाजार से खरीदे थी. ऐसे में उन्हें भी मिलावटी बीज बेच दिया गया. राजू ने इस उम्मीद से सोयाबीन के बीज खेत में बोए थे कि उसे अच्छी फसल मिलेगी. लेकिन मिलावटी बीज और ज्यादा बारिश ने खेती बर्बाद कर दी. राजू के खेत में भी कृषि विभाग ने सर्वे तो कर लिया लेकिन सरकारी मदद का नतीजा नहीं मिल सका.
इधर कृषि वैज्ञानिक बोनी से पहले बीजों को उपचारित करने की बात कह रहे हैं. हालांकि उनका ये भी कहना है कि जब किसान बीज खरीदे तो उसे अच्छे से परख लें अगर बीज एक समान ना होकर अलग आकार और रंग के हो तो उसे तुरंत वापस कर दें. सही बीज लेने के बाद उसे उपचारित कर लें ताकि बीज खराब ना हो.