खंडवा। कोरोना काल के चलते मध्य प्रदेश में पिछले 8 महीने से स्कूल बंद है. वहीं स्कूली शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूल खोलने के आदेश अभी तक जारी नहीं किए हुए हैं. लेकिन विभाग की तरफ से स्कूलों के शिक्षकों को ऑनलाइन और हमारा घर हमारा विद्यालय के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई करने के निर्देश जरुर दिए गए है.
जहां एक ओर ऑनलाइन पढ़ाई के लिए हर बच्चे के पास एंड्रॉइड मोबाईल नहीं है. ऐसे में जिले के छोटे से गांव में प्राथमिक शिक्षक के तौर पर कार्य करने वाले नवाचारी शिक्षक जगदीश गौर ने शिक्षा विभाग के इस निर्देश के बाद गांव के विभिन्न मुहल्लों में जाकर बच्चों को अलग अंदाज में पढ़ा रहे हैं. उन्होंने बच्चों के लिए खुद के खर्च से कई नवाचार भी किए हैं. ये नवाचार मिसाल बन गए है. शिक्षक जगदीश गौर को जिले में नवाचारी शिक्षक के नाम से जाना जाता है.
कोरोना काल में मुहल्ला क्लास का नवाचार
खंडवा जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर जिले के बलड़ी ब्लॉक के छोटे से गांव मिनावा में प्राथमिक स्कूल के बच्चों को उनके घर और मुहल्लों में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. हर दिन सुबह 10 बजे से लेकर 1 बजे तक कुल 3 घंटे तक जगदीश गौर बच्चों को पढ़ाई कराते हैं.
चलित पुस्तकालय का अनूठा नवाचार
शिक्षक जगदीश गौर ने खंडवा के स्कूलों में बच्चों के लिए एक चलित पुस्तकालय बनाया है. यह पुस्तकालय उन्होंने स्वयं के खर्च से बनाया है ताकि बच्चों को समुचित लाभ मिले और वो पिछड़े नहीं. उन्होंने एक दो नहीं बल्कि पूरे तीन पुस्तकालय स्वयं के खर्च से बनाए हैं. प्रत्येक पुस्तकालय में 40-40 पुस्तकों के सेट बनाए गए हैं और इस पुस्कालय को मुहल्ला कक्षाओं में स्थापित किया गया है.
पुस्तकालय के साथ रेडियो भी
प्रत्येक छात्र अपने-अपने मुहल्लों की कक्षा में उपस्थित होकर अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें पढ़ते हैं. इन पुस्तकालयों में ज्ञानवर्धक कहानी, कविता, पहेलियां, महापुरुषों की जीवनी, प्रेरक प्रसंग, बाल गीत, राष्ट्रीय गीत, जातक कथाएं, नैतिक शिक्षा सबंधी पुस्तकें हैं. शिक्षक जगदीश गौर ने कोरोना संक्रमण काल की शुरूआत से ही बच्चों को मास्क वितरण भी किया और इसे लगाकर शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया. इसके साथ ही उन्होंने बच्चों के माता पिता को रेडियो भी दिया है. जिसके माध्यम से बच्चे रेडियो पर आने वाले शिक्षाप्रद कार्यक्रमों को सुन सकें. ये कोशिश एक ऐसे समाज का भविष्य बनाने की है जो मुफलिसी के चलते सुविधाओं से महरुम हैं. मगर अब ये वक्त भी बदल रहा है और ये बच्चे भी. एक शिक्षक की कोशिश से ये आगे बढ़ रहे हैं.