भोपाल/खंडवा। भिंड जिले में शनिवार को जेल की जर्जर दीवार गिर गई. दीवार गिरने से 21 से ज्यादा कैदी जख्मी हो गए. सिर्फ भिंड ही नहीं मध्य प्रदेश के कई जिलों में ऐसी ही पुरानी जेल है जो अंग्रेजों के जमाने की है. यह जेल पूरी तरह से जर्जर भी हो चुकी है. बारिश के मौसम में इनके गिरने का भी खतरा बना हुआ है. इन जेलों में बंद कैदियों की संख्या भी क्षमता से अधिक है. जेलों की मरम्मत के लिए प्राशासन को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन प्रशासन इन जेलों की मरम्मत के लिए शायद भिंड जैसे हादसे का इंतजार कर रहा है.
प्रदेश में कितने जेल, कितने कैदी
मध्य प्रदेश में कुल 131 जेल हैं. जिनमें 11 सेंट्रल जेल, 41 जिला जेल और 73 उपजेल समेत 6 खुली जेल हैं. प्रदेश की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता कुल 28 हजार 718 है, लेकिन स्थिति यह है कि इन जेलों में 44 हजार 603 कैदी हैं. इस तरह प्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा 15 हजार 885 कैदी बंद हैं. यदि भिंड जैसे हादसे को रोकने के लिए जेल प्रबंधन के पास कोई प्लान नहीं है.
148 साल पुरानी जेल में बंद है क्षमता से ज्यादा कैदी
खंडवा में अंग्रेजों के जमाने की 1873 में बनी शहीद जननायक टंट्या भील जेल की हालत खराब है. करीब 148 साल पुरानी इस जेल में क्षमता से दुगनी संख्या में कैदियों को रखा जा रहा है. जेल की क्षमता केवल 208 कैदियों की है, लेकिन मौजूदा स्थिति में यहां 550 से अधिक कैदी हैं. एक और जहां कैदियों की संख्या अधिक है, वहीं दुसरी तरफ जेल के अंदर के भवन की स्थिति काफी अच्छी नहीं है. भवन की मरम्मत के लिए जेल प्रशासन ने मुख्यालय और पीडब्ल्यूडी को भी पत्र लिखा है.
मरम्मत कार्य के लिए लिखा पत्र
प्रभारी जेल अधिक्षक ललित दीक्षित का कहना है कि जेल प्रशासन ने भवन की वास्तविक स्थिति से जेल मुख्यालय को अवगत कराया है. इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को भी पत्र लिखा. जिसमें बैरक और दिवारों की मरम्मत के लिए कहा गया है.
प्रदेश में कई जेल है सुरक्षित
सिंगरौली जिला जेल अधीक्षक प्रभांशु चतुर्वेदी ने बताया कि जेल की पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद है. किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. जेल के कुछ हिस्से में दरारें जरूर पड़ी थी, जिन्हें 4 महीने पहले ही पीडब्ल्यूडी ने दुरुस्त करवा दिया. सिंगरौली जेल की शुरुआत 2002 में की गई थी. जिसके बाद से जेल सुचारू रूप से चालू है. यह बिल्डिंग करीब 25 साल पुरानी है. यही वजह है कि बिल्डिंग अभी तक सुरक्षित है.
कोरोना काल में सरकार ने अस्थाई जेलों का लिया सहारा
कोरोना काल में राजधानी भोपाल में जेल पहाडी स्थित पुरानी जेल को अस्थाई जेल बनाया था. इस जेल में प्रशासन ने क्वारेंटीन सेंटर और आइसोलेशन वार्ड बनाए थे. जेल पुरानी होने के कारण कमजोर है. इस जेल में प्रशासन ने कैदियों को रखने की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन जेल की जर्जर हालत से भिंड जैसी घटना का डर बना रहता है.
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कोरोना काल में कैदियों को दूसरे जिले भेजा
कोरोना काल में जेल विभाग ने जेल में संक्रमण को रोकने के लिए एक जिले के कैदियों को दूसरे जिले की जेल में भेज दिया था. इस कारण उन जेलों में भी कैदी बढ़ गए थे जो जर्जर है. खंडवा की 148 साल पुरानी जेल में पड़ोसी जिले बुरहानपुर से कैदियों को भेजा गया था. जिससे खंडवा जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जा रहा है. इस तरह से मध्य प्रदेश की कई जेल में एसी स्थिति है.
5000 कैदियों की फिर बढ़ी पैरोल
कोरोना काल में जेलों में कैदियों की संख्या को कम करने के लिए जेल विभाग ने 29 जुलाई को 5000 कैदियों की पेरोल बढ़ा दी थी.