खंडवा। निमाड़ अंचल के खंडवा शहर को सूबे का ऐतिहासिक, प्राचीन और साहित्यिक नगर माना जाता है. जिसे संगीत के जादूगर किशोर कुमार उर्फ काका के शहर के नाम से भी जाना जाता है, जबकि ये माखनलाल चतुर्वेदी और रामनारायण उपाध्याय जैसे साहित्यकारों की कर्मस्थली भी है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर भी खंडवा जिले में ही स्थित है, लेकिन सूबे की सियासत में भी इस शहर का रुतबा कम नहीं है. अबकी बार यहां बीजेपी-कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और अरुण यादव के बीच मुकाबला है.
कभी कांग्रेस के दबदबे वाली खंडवा लोकसभा सीट पर पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने मजबूत पकड़ बना ली है. इस सीट पर अब तक हुए 15 आम चुनावों में से 9 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है तो 6 बार बीजेपी ने भगवामय किया है, जबकि एक बार लोकदल ने यहां खाता खोला था. 1996 से बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान इस सीट पर लगातार जीत हासिल कर रहे थे, लेकिन 2009 के चुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव ने उनकी जीत पर ब्रेक लगा दिया था. जिसका बदला 2014 में नंदकुमार सिंह ने अरुण यादव को हराकर हिसाब बराबर किया था. अब तीसरी बार ये दोनों दिग्गज सियासी दंगल में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं.
इस बार खंडवा-बुरहानपुर संसदीय क्षेत्र के 19 लाख 8 हजार 390 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिनमें 9 लाख 82 हजार 451 पुरुष मतदाता हैं तो 9 लाख 25 हजार 862 महिला मतदाता शामिल हैं, जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 79 है. इस बार यहां कुल 2370 मतदान केंद्र बनाए गए हैं.
खंडवा संसदीय सीट के तहत खंडवा, मांधाता, पंधाना, बुरहानपुर, नेपानगर, बड़वाह, भीकनगांव और बागली विधानसभा सीटें शामिल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी, जबकि तीन सीटें बीजेपी के खाते में गई थी और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी.
खंडवा क्षेत्र में राजपूत, ब्राह्मण, मराठा और ओबीसी वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. आदिवासी वर्ग के मतदाता भी इस सीट पर प्रभावी भूमिका निभाते हैं. बीजेपी ने यहां राजपूत प्रत्याशी पर दांव लगाया है तो कांग्रेस ओबीसी प्रत्याशी को मैदान में उतारा है.
बीजेपी-कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के मैदान में होने से ये सीट सूबे की हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रहा है. खास बात ये है कि दोनों दिग्ग्ज एक-एक बार एक-दूसरे को हरा चुके हैं. ऐसे में दूसरी जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. जिसके चलते इस सीट पर मालवा-निमाड़ अंचल का सबसे कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि, 23 मई को ही इस पर अंतिम मुहर लगेगी कि नंदकुमार चौहान सियासी पिच पर सिक्सर लगाते हैं, या फिर अरुण यादव सियासी हैट्रिक मारते हैं.