पन्ना: पन्ना शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम परिसर में स्थित राम जानकी मंदिर की स्थापना तत्कालीन बुंदेला नरेश पन्ना महाराज हरिवंश राय ने 1846 में करवाई थी. सैकड़ों साल पुरानी राम जानकी की प्रतिमा मंदिर में स्थापित है. इसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. खासकर उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां लगातार दर्शन को आते हैं.
महाराजा छत्रसाल के वंशज ने बनवाया मंदिर
बता दें कि पन्ना महाराजा छत्रसाल की राजधानी रही है. पन्ना की जागीर चित्रकूट से बांदा तक फैली थी. महाराजा छत्रसाल धार्मिक प्रवृत्ति के थे. उनकी पीढ़ियां भी धार्मिक गतिविधियों से जुड़ी रही. पन्ना के तत्कालीन नरेश हरवंश राय द्वारा सारंगधाम सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम में स्थित वन भूमि में विशाल राम जानकी मंदिर की स्थापना करवाई गई. उन्हीं के द्वारा राम जानकी की प्रतिमा लाई गई थी, जो आज भी मंदिर में स्थापित है. मंदिर की नक्काशी एवं बनावट बुंदेली स्थापत्य कला में बनी हुई है. मंदिर के ऊपर गुम्मद और कलश लगा हुआ है. राजा ने उस समय मंदिर को लगभग 144 एकड़ भूमि मंदिर को दान की थी. इसी कृषि भूमि की आय से मंदिर का संचालन होता है.
यहां पहले सुतीक्ष्ण मुनि का आश्रम था
इस मंदिर की पुजारी अनिल मिश्रा बताते हैं "पहले यहां सुतीक्ष्ण मुनि का आश्रम हुआ करता था. मुनि से मिलने भगवान राम वनवास के दौरान सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट होते यहां आए थे और करीब ढाई दिन सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम में रुके थे. इसके बाद आश्रम का नाम सारंगधाम पड़ा और तभी से इस मंदिर परिसर को सारंग धाम के नाम से जाना जाता है." बता दें कि सारंग धाम मंदिर परिसर में कई छोटे एवं बड़े मंदिर हैं. राम जानकी मंदिर समतल प्रांगण में बना हुआ है
- सरकार को क्यों कराना पड़ा था नंदिकेश्वर मंदिर का निर्माण, सिंचाई विभाग अब भी उठा रहा जिम्मेदारी
- शिवपुरी के हनुमान मंदिर में पाठ के दौरान श्रद्धालु के सिर पर बैठा रहा वानर, लोगों ने कहा- चमत्कार
धनुषीय आकार के पर्वत का रहस्य बहुत गूढ़
रामजानकी मंदिर के सामने विशाल धनुष के आकार का पर्वत खड़ा हुआ है. पहाड़ पर सीता रसोई भी बनी हुई है. राधा कृष्णा का भी मंदिर पहाड़ पर है. इसके साथ ही श्रीराम भक्त हनुमान का भी मंदिर भी बना है. यहां पर वर्ष में एक बार मकर संक्रांति के पर्व मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.