कटनी । मजदूरों को बंधक बनाकर काम कराने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बड़वारा तहसील की भगनवारा पंचायत के 1 दर्जन से ज़्यादा मजदूर सोलापुर महाराष्ट्र के बरौली गांव में बंधक के रूप में काम कर रहे थे. परिजनों की सूचना पर सामाजिक संस्था की मदद और जिला प्रशासन के सहयोग से उन्हें मुक्त कराया गया है.
बता दे मजदूरों ने कमाती थाना महाराष्ट्र में मामले की शिकायत भी दर्ज कराई है. लेकिन उन्हें अभी तक प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया, जिसके चलते उन्हें शासन की कोई भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. पीड़ित मजदूरो ने बताया कि नासिक में काम कराने के नाम पर ठेकेदार विक्रम उन्हें अपने साथ ले गया था, लेकिन वहां से उन्हें सोलापुर के बरौली गांव भेज दिया गया जहां गन्ना कटाई का काम कराया जाता था. मजदूरों ने बताया कि उन्हें झोपड़ियों में रखा जाता था और सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक काम करते थे और पैसे भी नहीं दिये जाते थे.
मजदूरों कि सूचना पर सामाजिक संस्था ने परिवार के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों व श्रम अधिकारीयो से संपर्क किया और महाराष्ट्र के अधिकारियों के सहयोग से मजदूरो को मुक्त कराया. हांलाकि मजदूरों को बंधक से छोड़ने का प्रमाण पत्र अभी नहीं मिला हैं. जिसे लेकर मजदूरों ने कलेक्टर को आवेदन सौंपा.
कटनी जिले के मजदूर महाराष्ट्र में थे बंधक, प्रशासन की मदद से कराए गए मुक्त
कटनी की बड़वारा तहसील के मजदूरों को महाराष्ट्र के बरौली गांव में बंधक बनाया गया था. जिन्हें प्रशासन ने मुक्त कराया है.
कटनी । मजदूरों को बंधक बनाकर काम कराने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. बड़वारा तहसील की भगनवारा पंचायत के 1 दर्जन से ज़्यादा मजदूर सोलापुर महाराष्ट्र के बरौली गांव में बंधक के रूप में काम कर रहे थे. परिजनों की सूचना पर सामाजिक संस्था की मदद और जिला प्रशासन के सहयोग से उन्हें मुक्त कराया गया है.
बता दे मजदूरों ने कमाती थाना महाराष्ट्र में मामले की शिकायत भी दर्ज कराई है. लेकिन उन्हें अभी तक प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया, जिसके चलते उन्हें शासन की कोई भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. पीड़ित मजदूरो ने बताया कि नासिक में काम कराने के नाम पर ठेकेदार विक्रम उन्हें अपने साथ ले गया था, लेकिन वहां से उन्हें सोलापुर के बरौली गांव भेज दिया गया जहां गन्ना कटाई का काम कराया जाता था. मजदूरों ने बताया कि उन्हें झोपड़ियों में रखा जाता था और सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक काम करते थे और पैसे भी नहीं दिये जाते थे.
मजदूरों कि सूचना पर सामाजिक संस्था ने परिवार के साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों व श्रम अधिकारीयो से संपर्क किया और महाराष्ट्र के अधिकारियों के सहयोग से मजदूरो को मुक्त कराया. हांलाकि मजदूरों को बंधक से छोड़ने का प्रमाण पत्र अभी नहीं मिला हैं. जिसे लेकर मजदूरों ने कलेक्टर को आवेदन सौंपा.