कटनी। कटनी जिले में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. सरकारी पशु चिकित्सक डॉ.आर के सोनी ने बताया कि मंगलवार को सूअरों की अचानक मौत के बाद नमूने जांच के लिए भोपाल की प्रयोगशाला में 27 अक्टूबर को भेजे गए थे. रिपोर्ट से पता चला है कि जानवर अफ्रीकी स्वाइन बुखार से पीड़ित थे.
जानवरों से इंसान में नहीं फैलता : पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक बीते 15 दिनों में 115 संक्रमित सूअरों में से 85 की मौत हो गई है. बता दें कि अफ्रीकी स्वाइन बुखार एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल रोग है, जो सूअरों को प्रभावित करता है. डॉ. सोनी का कहना है कि यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं फैलली. हालांकि सभी सावधानियां बरती गई हैं और सुअर किसानों को बीमारी फैलने के बारे में सतर्क कर दिया गया है.
कटनी प्रशासन ने उठाए थे सख्त कदम : बता दें कि पिछले माह कटनी जिले में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी. सुरक्षा की दृष्टि से प्रभारी कलेक्टर ने सुअरों और उनके मालिकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही सुअरों के मांस की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई. इंफेक्टेड क्षेत्र से करीब एक किमी दायरे को प्रतिबंधित जोन घोषित कर दिया गया है. इसके अलावा कुल 9 किमी क्षेत्र को सर्विलांस मोड रखा गया है. प्रभारी कलेक्टर ने नेशनल एक्शन प्लान फॉर कंट्रोल कंटेनेमेंट एण्ड इरेडिक्शन ऑफ अफ्रीकन फीवर के निहित प्रावधानों के तहत जारी आदेश में उल्लेखित किया गया है कि इंफेक्टेड जोन में पाये जाने वाले सभी सुअर आश्रयों में आवाजाही को प्रतिबंधित किया है. साथ ही विगत 30 दिवस में हुए सुअरों के परिवहन संबंधी विवरण एकत्रित कर अन्य संभावित रोग उद्भेद क्षेत्रों को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं.
African Swine Flu की पुष्टि होने से हड़कंप, कटनी में सुअर पालन स्थल प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित
रीवा में अगस्त में हुई थीं व्यापक मौतें : रीवा में अगस्त माह में दो सप्ताह के भीतर अफ्रीकी स्वाइन बुखार से 2 हजार से अधिक सुअरों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने धारा 144 लागू की थी. उस वक्त कलेक्टर मनोज पुष्प ने संक्रमण और संक्रामक की रोकथाम और नियंत्रण के तहत जारी आदेश में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेश जारी किए. इसके अलावा जबलपुर में इस रोग का प्रकोप देखा गया है.