कटनी। पुलिस ने शादी तय कर धोखाधड़ी और ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. गिरोह के सदस्य शादी के लिये दिखाई गयी लड़कियों की फर्जी मां, फर्जी मामा और फर्जी भाई बनकर लड़के पक्ष से ठगी (fraud marriage in katni) की वारदात को अंजाम देते थे. गिरोह ने कई परिवारों को शादी का झांसा देकर लाखों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. कैमोर थाना पुलिस ने एक महिला सहित गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. रविवार को पुलिस अधीक्षक ने कंट्रोल रूम में प्रेस वार्ता कर मामले का खुलासा किया है.
ऐसे रची साजिश
कैमोर थाना क्षेत्र के ग्राम बडारी में रहने वाले जगदम्बा प्रसाद दीक्षित ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि इनके दो बेटे बसंत लाल दीक्षित और राजेश दीक्षित अविवाहित हैं. इस संबंध में करीब 02 माह पहले सतना निवासी अरुण कुमार तिवारी और मनसुख रैकवार उनके घर आकर मिले. उन्होंने बताया कि सिंधी कैंप सतना में रहने वाली बबीता तिवारी की दो बच्चियां शादी के योग्य हैं एवं उनके पिता के न होने से उनकी आर्थिक स्थिती खराब है.
जगदम्बा प्रसाद दीक्षित को लड़की दिखवाने 23 अक्टूबर को सतना बुलवाया गया. जहां एक दो मंजिला मकान में रहने वाली बबीता तिवारी से मिलाया और दोनों लड़कियों को शादी (fake marriage in katni) के लिये दिखाया. जगदम्बा प्रसाद दीक्षित ने दोनों लड़कियों साधना तिवारी और शिवानी तिवारी को पसंद करते हुये उसी दिन ओली भरकर शगुन किया. शादी की तारीख तय करने के लिये जगदम्बा प्रसाद ने लड़की पक्ष को बडारी बुलाया.
शादी के दिन लड़कियां हुईं फरार
इसके बाद लड़कियों की मां बबीता तिवारी उसके साथ केशव प्रसाद मामा और दीपक भाई बनकर पहुंचे. जहां नेंग दस्तूर करते हुए दोनों पक्ष के लोंगो ने मिलकर शादी की तारीख 29 नवम्बर तय कर दी. गिरोह ने योजना के तहत आर्थिक स्थिति कमजोर बताते हुए आयोजन के नाम पर जगदम्बा प्रसाद दीक्षित से अलग अलग तारीख में एक लाख दस हजार रुपये ले लिए गये. इसके बाद भी दीक्षित परिवार खुश था. शादी के कार्ड छपवाकर रिश्तेदारी और समाज में बांट दिए. साथ ही टेंट, मैरिज गार्डन, कैटरिंग, घोडी, बैंड आदि की एडवांस बुकिंग में भी करीब एक लाख रुपए खर्च कर दिये.
29 नवम्बर को बारात निकलने के ठीक एक दिन पूर्व बबिता तिवारी ने मोबाइल से सूचित किया कि जेठ की मौत हो जाने से शादी नहीं हो सकेगी. तब दीक्षित परिवार उनके दुख में शामिल होने के लिये सतना पहुंचा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. पता चला कि वह मकान तो बबीता तिवारी का था ही नहीं. वह यहां किराये पर रहती थी, जिसकी कोई दो लड़कियां भी नहीं हैं. करीब एक माह पहले मकान खाली करके जा चुकी है.
अन्य परिवार को भी लगाया चूना
दुखी दीक्षित परिवार नें खोज बीन शुरू की तो उन्हें वहां बबीता तिवारी और उसके गिरोह का शिकार एक अन्य ब्राम्हण परिवार भी वहां मिल गया. जिसमें राकेश पाठक निवासी अमरपुर उमरिया एवं रमाकांत उपाध्याय निवासी धनवाही जिला उमरिया ने बताया कि इसी तारीख के लिये उनके साडू भाई रामकिशोर उपाध्याय निवासी धनवाही जिला उमरिया के बेटे विनोद उपाध्याय से बबीता तिवारी ने शिवानी तिवारी के साथ शादी तय करके एक लाख सोलह हजार रुपये लेकर फरार हो गयी है.
दोनो परिवारों ने फोटो में देखा तो बबीता तिवारी ने अपने गिरोह के साथियों के साथ मिलकर वही लड़की को दिखाकर दोनों परिवारों के साथ धोखाधड़ी कर ठगी कर दी थी. शादी के नाम पर धोखाधड़ी और ठगी के शिकार जगदम्बा प्रसाद दीक्षित ने पुलिस की शरण ली. कटनी पुलिस ने पीड़ित की रिपोर्ट पर अपराध पंजीबद्ध कर फरार आरोपियों की तलाश शरू की. मामले की गंभीरता से तफ्सील करते हुए पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया गया.
पुलिस ने छानबीन कर किया खुलासा
कटनी एसपी सुनील जैन ने बताया कि पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि बबीता तिवारी का भाई बनकर नेग दस्तर करने वाला मामा ब्राह्मण नहीं है. उसका सही नाम केशव प्रसाद साकेत निवासी सतना है. लड़कियों का भाई बनकर पेश होने वाला दीपक भी सतना का रहने वाला है. विवाह के लिये स्वय का नेंग दस्तूर करने वाली लड़कियां साधना तिवारी एवं शिवानी त्रिपाठी भी सतना जिले की रहने वाली है. गिरोह में शामिल अरुण कुमार तिवारी और मनसुख रैकवार भी सतना के रहने वाले हैं.
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इनके द्वारा ऐसे संपन्न परिवारों से संपर्क किया जाता था, जिनके यहां लड़के कुंवारे हों और शादी के लायक हों. अरुण और मनसुख का इन परिवारों को सतना ले जाकर बबीता तिवारी से मिलवाने का काम था. जिसके बाद साधना और शिवानी नामक लड़कियों की बबीता तिवारी मां बनती और केशव प्रसाद मामा और दीपक उन ठगी कर अपना मकान बदलकर फरार हो जाते. पुलिस ने सभी को गिरफ्तार (katni police arrested accused) कर लिया है.