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कोरोना ने 'कबाड़' की ज़िन्दगी, शून्य की तरफ जा रही आमदनी, सरकार करो मदद ! - difficult to run home in junk work since lockdown

इस साल कोरोना संक्रमण का असर कबाड़ के व्यवसाय करने वालों पर भी पड़ा है. दिवाली तक लाखों रुपए का शहर में कबाड़ का व्यापार होता था. लेकिन इन दिनों स्थिति यह है कि घरों से कबाड़ इकट्ठा करने वाले लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं रही है. कबाड़ से जुड़े लोगों ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

Difficult to run home in junk work
कबाड़ के काम में घर चलाने मुश्किल
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Published : Sep 29, 2020, 2:56 PM IST

कटनी। दीपावली से पहले पितृपक्ष से ही लोग अपने घरों की सफाई, पुताई और सजावट करने में जुट जाते थे. जिससे कटनी में कबाड़ का व्यवसाय करने वालों की चांदी हो जाती थी. लोग घरों से निकलने वाली पुराने सामान को कबाड़ी वाले को बेच देते थे. इससे कबाड़ का व्यवसाय करने वालों को लाखों रुपए का अच्छा खासा मुनाफा हो जाता था. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण का असर कबाड़ के व्यवसाय करने वालों पर भी पड़ा है. दिवाली तक लाखों रुपए का शहर में कबाड़ का व्यापार होता था. लेकिन इन दिनों स्थिति यह है कि घरों से कबाड़ इकट्ठा करने वाले लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं रही है.

कोरोना ने 'कबाड़' की ज़िन्दगी

गुहार सुनो सरकार !

इस धंधे से जुड़े मोहम्मद इस्राफी ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि कबाड़ का काम गणेश जी से उठ जाता था लेकिन इस समय से बहुत परेशान है. कोरोना के कारण गरीब और वे खुद भी काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार उनकी आर्थिक रुप से कुछ मदद करें. मोहम्मद इजराइल बताते है कि कोरोना से पहले वे 500 रुपये की कमा लेते थे लेकिन अब तो 100 रुपये भी कमाना मुश्किल हो रहा है.

Junk placed outside the shop
दुकान के बाहर रखा कबाड़

धंधा हुआ मंदा अब भूखों मरने की नौबत

कबाड़ का काम करने वाली रानी बाई ने कहा कि वे इस काम को करीब 20 सालों से कर रहे हैं. उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि इस बार तो स्थिति काफी ही खराब है. आलम यह है कि इस बार तो कबाड़ से जुड़े लोग भूख से मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिपावली और दशहरा से ये काम शुरू हो जाता था तो उसमें 300 लेकर 400 रुपये प्रतिदिन के कमा लेते थे. लेकिन कोरोना की वजह से दिनभर में 50 रुपये भी कमाना मुश्किल हो रहा है.

Junk placed in open space
खुली जगह पर रखा कबाड़

GST, नोटबंदी और अब कोरोना का कारवां

थोक व्यापारी अमीर खान बताते हैं कि कटनी में 20 से 25 व्यापारी कबाड़ का व्यापार करते हैं. लेकिन अभी तो स्थिति ऐसी है कि पहले जीएसटी फिर नोटबंदी और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से कबाड़ का व्यवसाय पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. इससे धंधे से जुड़े लोग इस समय इतने लाचार और परेशान है कि उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. अमीर खान ने कहा कि अनलॉक में व्यापार 10 प्रतिशत भी नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार हर क्षेत्र को उठाने के लिए पैकेज और प्रयास कर रही है ठीक वैसे ही इस व्यापार में भी जीएसटी को 18 % से कम करे.

देश अनलॉक, व्यापार में लॉकडाउन !

उन्होंने कहा कि अनलॉक के बाद से अभी 2 % भी व्यापार नहीं बचा है. थोक व्यापारी ने कहा कि तीन महीने से इतना माल जुड़ा हुआ है. पिछले साल की बात करें तो अच्छा खासा व्यापार हो जाता था लाखों रुपये का व्यापार हो जाता था. लेकिन इस बार तो खुद की जमा पूजीं खुद की जेब से लगी है.

शहर में कबाड़ का व्यवसाय करने वाले लगभग 20 से 25 लोग हैं. जिनसे एक 12 से अधिक ठेले वाले व कचरा बीनने कर अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते थे. लेकिन कोरोना वायरस के चलते लोगों ने अभी तक अपने घर में सफाई का काम शुरू नहीं किया है और ऐसे में कबाड़ व्यापारियों को निराशा है कि आने वाले तिज त्यौहारों में वह कैसे अपना घर और परिवार चला पाएंगे.

कटनी। दीपावली से पहले पितृपक्ष से ही लोग अपने घरों की सफाई, पुताई और सजावट करने में जुट जाते थे. जिससे कटनी में कबाड़ का व्यवसाय करने वालों की चांदी हो जाती थी. लोग घरों से निकलने वाली पुराने सामान को कबाड़ी वाले को बेच देते थे. इससे कबाड़ का व्यवसाय करने वालों को लाखों रुपए का अच्छा खासा मुनाफा हो जाता था. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण का असर कबाड़ के व्यवसाय करने वालों पर भी पड़ा है. दिवाली तक लाखों रुपए का शहर में कबाड़ का व्यापार होता था. लेकिन इन दिनों स्थिति यह है कि घरों से कबाड़ इकट्ठा करने वाले लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं रही है.

कोरोना ने 'कबाड़' की ज़िन्दगी

गुहार सुनो सरकार !

इस धंधे से जुड़े मोहम्मद इस्राफी ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि कबाड़ का काम गणेश जी से उठ जाता था लेकिन इस समय से बहुत परेशान है. कोरोना के कारण गरीब और वे खुद भी काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार उनकी आर्थिक रुप से कुछ मदद करें. मोहम्मद इजराइल बताते है कि कोरोना से पहले वे 500 रुपये की कमा लेते थे लेकिन अब तो 100 रुपये भी कमाना मुश्किल हो रहा है.

Junk placed outside the shop
दुकान के बाहर रखा कबाड़

धंधा हुआ मंदा अब भूखों मरने की नौबत

कबाड़ का काम करने वाली रानी बाई ने कहा कि वे इस काम को करीब 20 सालों से कर रहे हैं. उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि इस बार तो स्थिति काफी ही खराब है. आलम यह है कि इस बार तो कबाड़ से जुड़े लोग भूख से मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिपावली और दशहरा से ये काम शुरू हो जाता था तो उसमें 300 लेकर 400 रुपये प्रतिदिन के कमा लेते थे. लेकिन कोरोना की वजह से दिनभर में 50 रुपये भी कमाना मुश्किल हो रहा है.

Junk placed in open space
खुली जगह पर रखा कबाड़

GST, नोटबंदी और अब कोरोना का कारवां

थोक व्यापारी अमीर खान बताते हैं कि कटनी में 20 से 25 व्यापारी कबाड़ का व्यापार करते हैं. लेकिन अभी तो स्थिति ऐसी है कि पहले जीएसटी फिर नोटबंदी और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से कबाड़ का व्यवसाय पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. इससे धंधे से जुड़े लोग इस समय इतने लाचार और परेशान है कि उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. अमीर खान ने कहा कि अनलॉक में व्यापार 10 प्रतिशत भी नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार हर क्षेत्र को उठाने के लिए पैकेज और प्रयास कर रही है ठीक वैसे ही इस व्यापार में भी जीएसटी को 18 % से कम करे.

देश अनलॉक, व्यापार में लॉकडाउन !

उन्होंने कहा कि अनलॉक के बाद से अभी 2 % भी व्यापार नहीं बचा है. थोक व्यापारी ने कहा कि तीन महीने से इतना माल जुड़ा हुआ है. पिछले साल की बात करें तो अच्छा खासा व्यापार हो जाता था लाखों रुपये का व्यापार हो जाता था. लेकिन इस बार तो खुद की जमा पूजीं खुद की जेब से लगी है.

शहर में कबाड़ का व्यवसाय करने वाले लगभग 20 से 25 लोग हैं. जिनसे एक 12 से अधिक ठेले वाले व कचरा बीनने कर अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते थे. लेकिन कोरोना वायरस के चलते लोगों ने अभी तक अपने घर में सफाई का काम शुरू नहीं किया है और ऐसे में कबाड़ व्यापारियों को निराशा है कि आने वाले तिज त्यौहारों में वह कैसे अपना घर और परिवार चला पाएंगे.

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