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झाबुआ जिला प्रशासन पर बड़ा आरोप, आपदा को अवसर में बदला या हुआ करोड़ों का घोटाला

झाबुआ से कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया ने जिला प्रसाशन पर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को घर भेजने और उनके रुकने और खाने की व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं. लेकिन इस खर्च की आज तक कोई जानकारी नहीं दी गई है. विधायक का कहना है कि अगर इस मुद्दे की जांच नहीं हुई तो वे विधानसभा में इसे उठाएंगे.

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झाबुआ न्यूज
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Published : Aug 12, 2020, 6:51 PM IST

झाबुआ। लॉकडाउन के दौरान झाबुआ जिला प्रशासन की तरफ से किए गए कामों की जमकर तारीफ हो रही है. गुजरात से सटे इस आदिवासी बहुल जिले के अधिकारियों ने आपदा को अवसर में बदलकर अच्छा काम किया. गुजरात से लौटे मजदूर को खाने की व्यवस्था कर उन्हें घरों तक पहुंचाया, मास्क और सेनिटाइजर की भी जिले में कमी नहीं होने दी गई. लेकिन अब इन अधिकारियों के कामों पर सवालियां निशाना खड़े हो रहे हैं.

झाबुआ जिला प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप

कांग्रेस विधायक ने उठाए सवाल

कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया का कहना है कि गुजरात से आने वाले प्रवासी मजदूरों को घर भेजने और जिले में कोरोना की रोकथाम के लिए खर्च किए गए करोड़ों रुपए में जमकर गड़बड़ी की गई है. भूरिया का आरोप है कि यह तो वो राशि है जो सरकार की ओर से दी गई थी. लेकिन संकट के इस दौर में जिले के लोगों ने भी जिला प्रशासन की मदद की थी. उसका कोई हिसाब नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि कलेक्टर और सांसद की मौजूदगी में उन्होंने जिला प्रशासन की बैठक में खर्च किए गए इन पैसों के जांच की मांग की है.

विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा

कांतिलाल भूरिया ने कहा कि यदि जिला स्तर पर हमारी मांग की जांच नहीं की जाएगी तो वह इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे. इसके लिए उप समिति बनावाएंगे ताकि इस खर्च में पारदर्शिता लाई जा सके. कांतिलाल भूरिया का आरोप है कि प्रशासन के अधिकारियों ने मजदूरों को भोजन देने के नाम पर होटल और रेस्टोरेंट वालों से बिल बनवाकर पैसे लिए हैं. लॉकडाउन के दौरान झाबुआ जिले में किए गए कामों में जमकर गड़बड़ी की गई है. इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए.

बसों से मजदूरों को भेजा गया था घर

कांग्रेस विधायक का आरोप है कि आपदा के इस दौर में जिन श्रमिकों को भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की गई थी उनके आंकड़ों में भी अधिकारियों ने जादूगरी की है. हालांकि यह सब जांच का विषय है.

विभागीय अधिकारियों की मानें तो 2 हजार 198 बसें झाबुआ जिले के अलग-अलग चेक पोस्ट से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में रवाना की गई थी. जबकि मेघनगर के रेलवे स्टेशन ते 399 बसों को रवाना किया गया.

इसके अलावा छोटे वाहनों से भी मजदूरों को उनके घर भेजा गया था. इस व्यवस्था पर किराया और पेट्रोल डीजल के नाम पर 12 करोड़ों रुपए की राशि जिला प्रशासन ने खर्च की थी. शायद यही वजह है कांतिलाल भूरिया ने इस मुद्दे को उठाया है. वही इस मुद्दे पर कलेक्टर ने जवाब देने की बजाय आरटीआई के तहत पूरी जानकारी लेने की बात कही है.

झाबुआ। लॉकडाउन के दौरान झाबुआ जिला प्रशासन की तरफ से किए गए कामों की जमकर तारीफ हो रही है. गुजरात से सटे इस आदिवासी बहुल जिले के अधिकारियों ने आपदा को अवसर में बदलकर अच्छा काम किया. गुजरात से लौटे मजदूर को खाने की व्यवस्था कर उन्हें घरों तक पहुंचाया, मास्क और सेनिटाइजर की भी जिले में कमी नहीं होने दी गई. लेकिन अब इन अधिकारियों के कामों पर सवालियां निशाना खड़े हो रहे हैं.

झाबुआ जिला प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप

कांग्रेस विधायक ने उठाए सवाल

कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया का कहना है कि गुजरात से आने वाले प्रवासी मजदूरों को घर भेजने और जिले में कोरोना की रोकथाम के लिए खर्च किए गए करोड़ों रुपए में जमकर गड़बड़ी की गई है. भूरिया का आरोप है कि यह तो वो राशि है जो सरकार की ओर से दी गई थी. लेकिन संकट के इस दौर में जिले के लोगों ने भी जिला प्रशासन की मदद की थी. उसका कोई हिसाब नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि कलेक्टर और सांसद की मौजूदगी में उन्होंने जिला प्रशासन की बैठक में खर्च किए गए इन पैसों के जांच की मांग की है.

विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा

कांतिलाल भूरिया ने कहा कि यदि जिला स्तर पर हमारी मांग की जांच नहीं की जाएगी तो वह इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे. इसके लिए उप समिति बनावाएंगे ताकि इस खर्च में पारदर्शिता लाई जा सके. कांतिलाल भूरिया का आरोप है कि प्रशासन के अधिकारियों ने मजदूरों को भोजन देने के नाम पर होटल और रेस्टोरेंट वालों से बिल बनवाकर पैसे लिए हैं. लॉकडाउन के दौरान झाबुआ जिले में किए गए कामों में जमकर गड़बड़ी की गई है. इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए.

बसों से मजदूरों को भेजा गया था घर

कांग्रेस विधायक का आरोप है कि आपदा के इस दौर में जिन श्रमिकों को भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की गई थी उनके आंकड़ों में भी अधिकारियों ने जादूगरी की है. हालांकि यह सब जांच का विषय है.

विभागीय अधिकारियों की मानें तो 2 हजार 198 बसें झाबुआ जिले के अलग-अलग चेक पोस्ट से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में रवाना की गई थी. जबकि मेघनगर के रेलवे स्टेशन ते 399 बसों को रवाना किया गया.

इसके अलावा छोटे वाहनों से भी मजदूरों को उनके घर भेजा गया था. इस व्यवस्था पर किराया और पेट्रोल डीजल के नाम पर 12 करोड़ों रुपए की राशि जिला प्रशासन ने खर्च की थी. शायद यही वजह है कांतिलाल भूरिया ने इस मुद्दे को उठाया है. वही इस मुद्दे पर कलेक्टर ने जवाब देने की बजाय आरटीआई के तहत पूरी जानकारी लेने की बात कही है.

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