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कोरोना ने ठंडा किया आइसक्रीम कारोबार, संचालक लाचार, छिन गया रोजगार

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Published : Aug 7, 2020, 1:53 PM IST

गर्मियों के दिन आते ही आइसक्रीम पार्लर लोगों की चहलकदमी से गुलजार हो जाते हैं. साल 2020 की गर्मी निकल गई लेकिन इस साल न तो आइसक्रीम पार्लर में कोई दिखा और न ही लोगों ने आइसक्रीम का जायका लिया. आखिर कोरोना का आइसक्रीम पर कैसा हुआ असर, पढ़ें यहां...

huge loss to ice cream shopkeepers
आइसक्रीम पार्लर दुकादारों को घाटा

झाबुआ। गर्मी के मौसम में जहां लोग आइसक्रीम, बर्फ का गोला और ठंडे पदार्थों की ओर भागते हैं, वहीं इस साल कोरोना संक्रमण के चलते सबने इनसे दूरी बना ली है, जिस वजह से अब आइसक्रीम कारोबारी इन दिनों काफी घाटा सहने को मजबूर हैं. बीते तीन महीनों से लगे लॉकडाउन के कारण एक ओर जहां आइसक्रीम दुकानदारों को काफी घाटा हुआ है, वहीं कोरोना काल के चलते लोगों ने भी इस बार आइसक्रीम का जायका तक नहीं लिया है.

आइसक्रीम पार्लर दुकानदारों को घाटा

दुकानदारों को हुआ लाखों का घाटा

हर साल की गर्मी को देखते हुए आइसक्रीम दुकान संचालकों ने लाखों का स्टॉक अपने दुकान में रख लिया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण बीते तीन महीने के लॉकडाउन में दुकानदारों का सारा स्टॉक खराब हो गया. इस वजह से दुकानदारों को कई लाख का घाटा उठाना पड़ा. एक ओर दुकानें बंद रहने से लाखों रुपए का माल (आइसक्रीम) खराब हुई, वहीं बंद अवधि में दुकानों का किराया और बिजली भी इनके लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं.

छिना रोजगार

कोरोना काल ने कारोबारियों की ऐसी कमर तोड़ी है कि वे अब अपनी दुकान में अकेले सभी काम कर रहे हैं. लॉकडाउन के पहले तक जहां उनके दुकानों में तीन से चार वर्कर हुआ करते थे, अब वे सब नदारद हैं. कोरोना वायरस के कारण जिले के आइसक्रीम व्यवसाय से जुड़े तीन सौ से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गए हैं, जो इन दिनों दूसरे रोजगार की खोज-बिन में लगे हैं.

रोजगार की तलाश में राजस्थान से मध्य प्रदेश आए आइसक्रीम पार्लर संचालकों का कहना है कि वे अब दो साल पीछे चले गए हैं. मार्च से जून तक दुकान बंद रही, जिसके कारण दुकान का किराया, मकान किराया, लाइट बिल सहित कई खर्च लाखों में हो गया है. अब उसका भुगतान करना आने वाले छह महीनों में भी मुश्किल है. क्योंकि आने वाले दिनों में भी लोग कोरोना के डर के चलते आइसक्रीम से दूरी बनाएंगे. ऐसे में अब उन्हें नुकसान की भरपाई और लाभ की चिंता सताने लगी है.

कोरोना काल में नहीं कर रहे ठंडे पदार्थों का सेवन
तीन महीने के लॉकडाउन के बाद अनलॉक होते ही बाजार में आइसक्रीम पार्लर तो जरूर खुल गए. लेकिन कोरोना के डर के चलते लोगों ने अब बाहर का खाना कम कर दिया है, जिसके चलते आइसक्रीम की बिक्री कम हो रही है. वहीं सरकार की एडवाइजरी के चलते लोगों ने गला खराब करने वाली (ठंडी खाद्य पदार्थ) वस्तुओं से दूरी बना ली है. यहां तक की जो लोग आइसक्रीम के शौकीन हैं, वे भी अब आइसक्रीम के स्वाद से तौबा कर रहे हैं.

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों ने इन दिनों ठंडी वस्तु का उपयोग कम कर दिया है. लिहाजा आइसक्रीम की बिक्री पर भी इसका असर साफ देखा जा रहा है. आइसक्रीम की सर्वाधिक बिक्री मार्च से लेकर जून महीनों के बीच होती है. इससे इस अवधि के दौरान इन आइसक्रीम पार्लरों का साल भर का खर्च निकाल कर अच्छा मुनाफा भी मिलती था, लेकिन इस बार आइसक्रीम पार्लर को भारी नुकसान सहना पड़ रहा है.

झाबुआ। गर्मी के मौसम में जहां लोग आइसक्रीम, बर्फ का गोला और ठंडे पदार्थों की ओर भागते हैं, वहीं इस साल कोरोना संक्रमण के चलते सबने इनसे दूरी बना ली है, जिस वजह से अब आइसक्रीम कारोबारी इन दिनों काफी घाटा सहने को मजबूर हैं. बीते तीन महीनों से लगे लॉकडाउन के कारण एक ओर जहां आइसक्रीम दुकानदारों को काफी घाटा हुआ है, वहीं कोरोना काल के चलते लोगों ने भी इस बार आइसक्रीम का जायका तक नहीं लिया है.

आइसक्रीम पार्लर दुकानदारों को घाटा

दुकानदारों को हुआ लाखों का घाटा

हर साल की गर्मी को देखते हुए आइसक्रीम दुकान संचालकों ने लाखों का स्टॉक अपने दुकान में रख लिया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण बीते तीन महीने के लॉकडाउन में दुकानदारों का सारा स्टॉक खराब हो गया. इस वजह से दुकानदारों को कई लाख का घाटा उठाना पड़ा. एक ओर दुकानें बंद रहने से लाखों रुपए का माल (आइसक्रीम) खराब हुई, वहीं बंद अवधि में दुकानों का किराया और बिजली भी इनके लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं.

छिना रोजगार

कोरोना काल ने कारोबारियों की ऐसी कमर तोड़ी है कि वे अब अपनी दुकान में अकेले सभी काम कर रहे हैं. लॉकडाउन के पहले तक जहां उनके दुकानों में तीन से चार वर्कर हुआ करते थे, अब वे सब नदारद हैं. कोरोना वायरस के कारण जिले के आइसक्रीम व्यवसाय से जुड़े तीन सौ से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गए हैं, जो इन दिनों दूसरे रोजगार की खोज-बिन में लगे हैं.

रोजगार की तलाश में राजस्थान से मध्य प्रदेश आए आइसक्रीम पार्लर संचालकों का कहना है कि वे अब दो साल पीछे चले गए हैं. मार्च से जून तक दुकान बंद रही, जिसके कारण दुकान का किराया, मकान किराया, लाइट बिल सहित कई खर्च लाखों में हो गया है. अब उसका भुगतान करना आने वाले छह महीनों में भी मुश्किल है. क्योंकि आने वाले दिनों में भी लोग कोरोना के डर के चलते आइसक्रीम से दूरी बनाएंगे. ऐसे में अब उन्हें नुकसान की भरपाई और लाभ की चिंता सताने लगी है.

कोरोना काल में नहीं कर रहे ठंडे पदार्थों का सेवन
तीन महीने के लॉकडाउन के बाद अनलॉक होते ही बाजार में आइसक्रीम पार्लर तो जरूर खुल गए. लेकिन कोरोना के डर के चलते लोगों ने अब बाहर का खाना कम कर दिया है, जिसके चलते आइसक्रीम की बिक्री कम हो रही है. वहीं सरकार की एडवाइजरी के चलते लोगों ने गला खराब करने वाली (ठंडी खाद्य पदार्थ) वस्तुओं से दूरी बना ली है. यहां तक की जो लोग आइसक्रीम के शौकीन हैं, वे भी अब आइसक्रीम के स्वाद से तौबा कर रहे हैं.

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों ने इन दिनों ठंडी वस्तु का उपयोग कम कर दिया है. लिहाजा आइसक्रीम की बिक्री पर भी इसका असर साफ देखा जा रहा है. आइसक्रीम की सर्वाधिक बिक्री मार्च से लेकर जून महीनों के बीच होती है. इससे इस अवधि के दौरान इन आइसक्रीम पार्लरों का साल भर का खर्च निकाल कर अच्छा मुनाफा भी मिलती था, लेकिन इस बार आइसक्रीम पार्लर को भारी नुकसान सहना पड़ रहा है.

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