भोपाल। झाबुआ उपचुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाला चुनाव है. वैसे तो झाबुआ उपचुनाव के प्रचार के लिए कांग्रेस ने भारी भरकम स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है लेकिन कांग्रेस की रणनीति है कि स्टार प्रचारकों की जगह स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जाए.
मुख्यमंत्री के अलावा कोई नहीं पहुंचा प्रचार में
मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे तौर पर झाबुआ उपचुनाव पर नजर लगाए हुए हैं और नामांकन दाखिल कराने के अलावा एक बार और झाबुआ का दौरा कर आए हैं. लेकिन मुख्यमंत्री के अलावा अभी तक झाबुआ में कांग्रेस ने किसी और स्टार प्रचारक को मैदान में नहीं उतारा है.
स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा
इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह का कहना है कि कांग्रेस इस उपचुनाव को आम चुनाव की दृष्टि से लड़ने जा रही है. कमलनाथ सरकार को जितना समय मिला और जो कार्य उन्होंने किए, उनको लेकर जनता के बीच आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कांतिलाल भूरिया अपने आप में परिचित नाम हैं. उन्होंने लंबे समय से आदिवासियों की लड़ाई लड़ी सबसे बड़ी बात यह कि कांतिलाल भूरिया की उम्मीदवारी सभी लोगों की सहमति और प्रस्ताव के बाद तय की गई है. उन्होंने कहा कि हमें वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा है और उनकी मेहनत से ही कांग्रेस चुनाव जीतेगी.
झाबुआ उपचुनाव को जीतने से कांग्रेस की एक सीट में बढ़ोतरी होगी और कमलनाथ सरकार बहुमत के जादुई आंकड़े से सिर्फ एक सीट की दूरी पर रह जाएगी. फिलहाल कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े 116 से 2 सीटें कम 114 सीट पर है. इसी लिए यह चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो का सवाल बन गया है.