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स्थानीय नेताओं के भरोसे झाबुआ जीत की उम्मीद, कांग्रेस के लिए करो या मरो का चुनाव

पूर्ण बहुमत से दो सीट दूर खड़ी कांग्रेस के लिए झाबुआ उपचुनाव करो या मरो का चुनाव बन गया है. कांग्रेस इसमें कोई कसर नहीं छोंड़ना चाहती इसी लिए स्टार प्रचारकों की अपेक्षा स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को प्रचार में तवज्जो दे रही है.

झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस
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Published : Oct 11, 2019, 1:12 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 1:21 PM IST

भोपाल। झाबुआ उपचुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाला चुनाव है. वैसे तो झाबुआ उपचुनाव के प्रचार के लिए कांग्रेस ने भारी भरकम स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है लेकिन कांग्रेस की रणनीति है कि स्टार प्रचारकों की जगह स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जाए.

स्थानीय नेताओं के भरोसे झाबुआ की जीत

मुख्यमंत्री के अलावा कोई नहीं पहुंचा प्रचार में
मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे तौर पर झाबुआ उपचुनाव पर नजर लगाए हुए हैं और नामांकन दाखिल कराने के अलावा एक बार और झाबुआ का दौरा कर आए हैं. लेकिन मुख्यमंत्री के अलावा अभी तक झाबुआ में कांग्रेस ने किसी और स्टार प्रचारक को मैदान में नहीं उतारा है.

स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा
इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह का कहना है कि कांग्रेस इस उपचुनाव को आम चुनाव की दृष्टि से लड़ने जा रही है. कमलनाथ सरकार को जितना समय मिला और जो कार्य उन्होंने किए, उनको लेकर जनता के बीच आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कांतिलाल भूरिया अपने आप में परिचित नाम हैं. उन्होंने लंबे समय से आदिवासियों की लड़ाई लड़ी सबसे बड़ी बात यह कि कांतिलाल भूरिया की उम्मीदवारी सभी लोगों की सहमति और प्रस्ताव के बाद तय की गई है. उन्होंने कहा कि हमें वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा है और उनकी मेहनत से ही कांग्रेस चुनाव जीतेगी.

झाबुआ उपचुनाव को जीतने से कांग्रेस की एक सीट में बढ़ोतरी होगी और कमलनाथ सरकार बहुमत के जादुई आंकड़े से सिर्फ एक सीट की दूरी पर रह जाएगी. फिलहाल कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े 116 से 2 सीटें कम 114 सीट पर है. इसी लिए यह चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो का सवाल बन गया है.

भोपाल। झाबुआ उपचुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाला चुनाव है. वैसे तो झाबुआ उपचुनाव के प्रचार के लिए कांग्रेस ने भारी भरकम स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है लेकिन कांग्रेस की रणनीति है कि स्टार प्रचारकों की जगह स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जाए.

स्थानीय नेताओं के भरोसे झाबुआ की जीत

मुख्यमंत्री के अलावा कोई नहीं पहुंचा प्रचार में
मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे तौर पर झाबुआ उपचुनाव पर नजर लगाए हुए हैं और नामांकन दाखिल कराने के अलावा एक बार और झाबुआ का दौरा कर आए हैं. लेकिन मुख्यमंत्री के अलावा अभी तक झाबुआ में कांग्रेस ने किसी और स्टार प्रचारक को मैदान में नहीं उतारा है.

स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा
इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह का कहना है कि कांग्रेस इस उपचुनाव को आम चुनाव की दृष्टि से लड़ने जा रही है. कमलनाथ सरकार को जितना समय मिला और जो कार्य उन्होंने किए, उनको लेकर जनता के बीच आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कांतिलाल भूरिया अपने आप में परिचित नाम हैं. उन्होंने लंबे समय से आदिवासियों की लड़ाई लड़ी सबसे बड़ी बात यह कि कांतिलाल भूरिया की उम्मीदवारी सभी लोगों की सहमति और प्रस्ताव के बाद तय की गई है. उन्होंने कहा कि हमें वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा है और उनकी मेहनत से ही कांग्रेस चुनाव जीतेगी.

झाबुआ उपचुनाव को जीतने से कांग्रेस की एक सीट में बढ़ोतरी होगी और कमलनाथ सरकार बहुमत के जादुई आंकड़े से सिर्फ एक सीट की दूरी पर रह जाएगी. फिलहाल कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े 116 से 2 सीटें कम 114 सीट पर है. इसी लिए यह चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो का सवाल बन गया है.

Intro:भोपाल। झाबुआ उपचुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाला चुनाव है। उप चुनाव को जीतने से कांग्रेस की 1 सीट में बढ़ोतरी होगी और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बहुमत के जादुई आंकड़े से सिर्फ एक सीट कम रह जाएगी। फिलहाल कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े 116 सीट से 2 सीटें कम 114 सीट पर है। इस उपचुनाव को हर हाल में जीतने के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है। कांग्रेस इस चुनाव को जीतने के लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को तवज्जो देने की रणनीति पर काम कर रही है। वैसे तो झाबुआ उपचुनाव के प्रचार के लिए कांग्रेस ने भारी भरकम स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। लेकिन मप्र कांग्रेस की रणनीति है कि इस उपचुनाव में स्टार प्रचारकों की जगह स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को तवज्जो दी जाए। हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ सीधे तौर पर झाबुआ उपचुनाव पर नजर लगाए हुए हैं और नामांकन दाखिल कराने के अलावा एक बार और झाबुआ का दौरा कर आए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के अलावा अभी तक झाबुआ में कांग्रेस ने किसी और स्टार प्रचारक को मैदान में नहीं उतारा है। कांग्रेस की रणनीति है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को तवज्जो दी जाए।जिससे वह जूस और लगन के साथ पार्टी की जीत के लिए काम करें।


Body:इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह का कहना है कि झाबुआ उपचुनाव में जो शैली भाजपा ने अपनाई है। वो निश्चित रूप से जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए। कांग्रेस इस उपचुनाव को आम चुनाव की दृष्टि से लड़ने जा रही है। हम खासतौर पर कमलनाथ सरकार को जितना समय मिला और जो कार्य उन्होंने किए, उनको लेकर जनता के बीच आ रहे हैं। कांतिलाल भूरिया अपने आप में परिचित नाम हैं। उन्होंने लंबे समय से आदिवासियों की लड़ाई लड़ी और प्रसन्नता की बात यह है कि कांतिलाल भूरिया की उम्मीदवारी सभी लोगों की सहमति और प्रस्ताव के बाद तय की गई है।


Conclusion:प्रचार की रणनीति पर चर्चा करते हुए राजीव सिंह ने बना बताया कि खास तौर पर कांग्रेस की रणनीति यही है कि हमें वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पूरा भरोसा है और उनकी मेहनत से ही कांग्रेस चुनाव जीतेगी। जहां तक उम्मीदवार की आवश्यकता का प्रश्न है कि वह प्रदेश कांग्रेस से अनुरोध करते हैं कि किसी स्टार प्रचारक को भेजना है, तो हम प्रयास करेंगे। अन्यथा हमारे लोकल मैनेजमेंट और स्थानीय कार्यकर्ता और नेता पूरे सक्षम हैं और वह बहुत ढंग से चुनाव लड़ रहे हैं, इसमें किसी को कोई शक नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नामांकन के दिन रैली को संबोधित करके आए हैं। उस दिन हमारे इंदौर संभाग के नेता और सरकार में मंत्री वहां उपस्थित थे। कांग्रेसी कार्यकर्ता उत्साहित हैं और उनके उत्साह और मेहनत से कांग्रेस चुनाव जीतने जा रही है।
Last Updated : Oct 11, 2019, 1:21 PM IST
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