झाबुआ। आदिवासी संस्कृति को विरासत के रूप में संजोए हुए जनजाति समुदाय के लोगों के लोक पर्व भगोरिया का समापन सोमवार को किया गया. 7 दिनों तक जिले में रौनक बिखेरने वाले लोक पर्व भगोरिया उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान जिले के अलग-अलग हाट बाजारों में 7 दिनों तक लाखों लोगों ने भगोरिया पर्व में सम्मिलित होकर इसका लुत्फ उठाया. आदिवासी समुदाय के लोग होलिका दहन के पहले सालों से ये पर्व धूमधाम से मनाते हैं.
क्या है भगोरिया पर्व
भगोरिया पर्व में आदिवासी समुदाय की महिलाएं, पुरुष और अन्य लोग एक जैसे परिधानों में हाट बाजारों में सम्मिलित होते हैं. हालांकि समय के साथ-साथ इन लोक पर्व पर आधुनिकता भी हावी होने लगी है. जिससे यहां के पहनावे में बड़ा बदलाव हुआ है. लेकिन अभी भी ग्रामीण अंचलों में लोग एक जैसे पहनावे के साथ दिखते हैं. जबकि महिलाएं और युवतियां चांदी के आभूषणों से सजधज कर इन हाट बाजारों में आते हैं. यहां परम्परागत वाद्य यंत्र ढोल, मांदल, ताली और घुंघरू की थाप पर जमकर लोक नृत्य होता है.
कड़ी सुरक्षा की जिम्मेदारी
सुरक्षा की दृष्टि से भी पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहता है, सीसीटीवी कैमरों के साथ ही पुलिस अलग-अलग इलाकों में गश्ती दल के माध्यम से हाट बाजारों में आने वाले लोगों पर निगाह रखता है. ताकि बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो. सोमवार को जिले के अलग-अलग इलाकों में आखिरी भगोरिया हाट संपन्न हुआ. राजनीतिक दलों के लोग भी इन हाट बाजारों में आने से नहीं चूकते.