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दिल्ली चुनाव 2025: 'दिल्ली का दिल' जीतने के लिए 'बयानबाजी' और रेवड़ियों का सहारा - DELHI ELECTIONS 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में अपनी नैया पार लगाने के लिए राजनीतिक दल सभ्य और असभ्य दोनों तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.

Delhi Elections 2025 Freebies Whataboutism Development In Race To Win Dilli Ka Dil
अरविंद केजरीवाल (ANI)
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By Bilal Bhat

Published : Jan 27, 2025, 10:02 PM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बमुश्किल एक हफ्ते का समय बचा है और राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव प्रचार अपने शबाब पर पहुंच गया है. 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला है. दिल्ली का दिल कौन जीतेगा, इस हॉट मुकाबले में राजनीतिक दल सभ्य और असभ्य दोनों तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.

भाजपा पिछले 27 वर्षों से दिल्ली में सरकार बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. भगवा पार्टी 1998 के बाद से दिल्ली में सरकार नहीं बना पाई है. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 1998 से 2013 तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. देश की सबसे पुरानी पार्टी भी दिल्ली में फिर से खुद को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने तमाम विवादों और चुनौतियों के बावजूद 2014 के बाद से ही खुद को राजनीति में मजबूती के साथ स्थापित किया है, जब पहली बार दिल्ली में मात्र 48 दिनों तक उसकी सरकार थी.

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होना है और 8 फरवरी को चुनाव नतीजे आएंगे. देखा जाए तो भाजपा और 'आप' का प्रचार अभियान कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा आक्रामक नजर आता है. हालांकि, कमजोर प्रचार अभियान के बावजूद कांग्रेस मतदाताओं के एक हिस्से वोट हासिल कर 'आप' को नुकसान पहुंचा सकती है.

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक जनसभा के दौरान वीरेंद्र सचदेवा, पार्टी नेता कमलजीत सेहरावत और अन्य लोगों के साथ. (PTI)

दिल्ली में इन दिनों चुनावी रैलियों में मतदाताओं को लुभाने के लिए 'व्हाटअबाउटिज्म' (Whataboutism) का बोलबाला है. विपक्षी दलों को बदनाम करने और वोटरों का समर्थन पाने के लिए पार्टियां एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रही हैं. भाजपा, कांग्रेस और AAP के स्टार प्रचारक एक-दूसरे के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने में लगे हैं. सभी दिग्गज नेता अपने प्रतिद्वंद्वियों को बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोपों के जरिये नीचा दिखाने में व्यस्त हैं, इनमें से कुछ निराधार आरोपों का सहारा ले रहे हैं.

भाजपा दिल्ली के मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है कि भगवा पार्टी के सत्ता में आने से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आएगा. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा मीडिया के सामने आकर 'आप' प्रमुख अरविंद केजरीवाल के दावों पर सवाल उठाने के लिए दस्तावेज दिखाते हैं. चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा दावा करते हैं कि 'आप' सरकार द्वारा चलाए जा रहे मोहल्ला क्लीनिक में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी करते हुए 'आप' की योजनाओं के मुकाबले अधिक कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने का वादा किया.

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25 जनवरी को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक जनसभा के दौरान राजौरी गार्डन सीट से भाजपा उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ. (PTI)

दिल्ली चुनाव में हिंदुत्व का एजेंडा पिछले चुनावों की तरह उतना जोरदार तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, जो आमतौर पर भाजपा के चुनाव अभियानों का प्रमुख हिस्सा होता है. हालांकि भाजपा ने केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए 'चुनावी हिंदू' जैसे शब्द इस्तेमाल किए हैं, लेकिन अब भगवा पार्टी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर बात कर रही है.

आम आदमी पार्टी के प्रचार अभियान की बात करें तो 'आप' प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल आत्म-प्रशंसा भरे भाषण देने में बिजी हैं. वह जनसभा में आने वाले लोगों के प्रति बहुत सम्मान दिखा रहे हैं और दिल्ली में किए गए अपने कार्यों का गुणगान कर रहे हैं. केजरीवाल पटपड़गंज में एक रैली में बड़ी संख्या आए दर्शकों की भीड़ को देखकर चकित रह गए, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में मनीष सिसोदिया 3,000 वोटों के मामूली अंतर से जीते थे.

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नई दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दिल्ली सरकार के गणतंत्र दिवस समारोह को संबोधित करती हुईं सीएम आतिशी (PTI)

हालांकि, सिसोदिया इस बार पटपड़गंज सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन केजरीवाल इस सीट को जीतने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. यहां से अवध ओझा 'आप' के उम्मीदवार है, जो पहले यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग चलाते थे.

सिसोदिया इस बार जंगपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं. 2020 के चुनाव में इस सीट से 'आप' के प्रवीण कुमार लगभग 50 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर विजयी हुए थे. इस बार सिसोदिया का मुकाबला भाजपा के तरविंदर मारवाह और कांग्रेस के फरहाद सूरी से है. सूरी दिल्ली के पूर्व मेयर हैं. पिछले तीन बार से 'आप' यह सीट जीत रही है.

केजरीवाल चुनावी रैलियों में जो कुछ भी बोलते हैं, उसे दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी भी दोहराती हैं. वह केजरीवाल के मुफ्त बिजली के वादे का बखान करती हैं और रैलियों में भीड़ से पूछती हैं कि "क्या आपको मुफ्त बिजली मिलती है?" केजरीवाल भी यह नारा अपनी रैलियों में भीड़ से लगवाते हैं.

केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री पद संभाल रहीं आतिशी दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कालिकाजी सीट से चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला दक्षिण दिल्ली से दो बार के सांसद और तीन बार के विधायक भाजपा के रमेश बिधूड़ी और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रमुख अलका लांबा जैसे दिग्गजों से है. अलका लांबा 2015 में AAP के टिकट पर चांदनी चौक सीट से विधायक चुनी गई थीं. 2019 में वह कांग्रेस में शामिल हो गई थीं.

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नई दिल्ली में 21 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के 'संकल्प पत्र' (घोषणापत्र) का दूसरा भाग जारी करते हुए भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और रामवीर सिंह बिधूड़ी, वीरेंद्र सचदेवा (PTI)

जनसभाओं में नेताओं के आक्रामक भाषणों से चुनाव अप्रत्याशित और दिलचस्प होता जा रहा है. भाजपा नेताओं के भाषण मुख्य रूप से AAP सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के खिलाफ आरोपों पर केंद्रित हैं. दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा ने तीन चुनावी घोषणापत्र जारी किए है, जिनमें कल्याणकारी योजनाओं और वादों की भरमार है, जो AAP की योजनाओं से मिलती-जुलती हैं.

भाजपा के चुनावी वादों पर पलटवार करते हुए केजरीवाल ने एक रैली में कहा कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. जिससे लोगों में यह संदेश गया है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वह 'आप' सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजना को खत्म कर देगी. केजरीवाल के बयान के बाद फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश में अमित शाह ने स्पष्ट किया कि भाजपा चल रही योजनाओं को जारी रखेगी. करोल बाग में एक रैली के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने केजरीवाल को 'झूठ का एटीएम' करार दिया. उन्होंने दिल्ली में प्रदूषित यमुना और यूपी में गंगा के बीच तुलना भी की, जहां तीर्थयात्री पवित्र स्नान करते हैं.

योगी आदित्यनाथ भाजपा उम्मीदवार दुष्यंत गौतम के लिए प्रचार कर रहे थे, जो 'आप' के विशेष रवि और कांग्रेस के राहुल धानक के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. विशेष रवि ने पिछले दो चुनावों में भाजपा उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया. इस बार भाजपा ने दुष्यंत को इस उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है कि वह बाजी पलटने में कामयाब हो सकते हैं. शकूर बस्ती विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पार्टी के दिल्ली मंदिर प्रकोष्ठ के प्रमुख करनैल सिंह को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला तीन बार के 'आप' विधायक सतेंद्र जैन से है. दिल्ली के ब्राह्मणों को एकजुट करने के लिए 2022 में इस प्रकोष्ठ का गठन किया गया था.

नड्डा ने खुद करनैल सिंह के लिए प्रचार किया, जो भाजपा के लिए इस सीट की अहमियत को दर्शाता है. सिंह खुद को सनातन धर्म का सेवक कहते हैं. शकूर बस्ती में अपने प्रचार के दौरान नड्डा ने केजरीवाल पर हमला बोला.

कांग्रेस के कमजोर चुनाव प्रचार के बीच, भाजपा और 'आप' ने एक-दूसरे को बदनाम करने के लिए हर संभव कोशिश की है, ताकि वे चुनाव में लोगों का समर्थन हासिल कर सकें. निष्पक्षता और अतिशयोक्ति के बीच मतदाता 5 फरवरी को अपना फैसला करेंगे. दिल्ली की सीएम आतिशी ने देवली विधानसभा क्षेत्र में एक रैली में सही कहा, "आप एक दिन अपना वोट डालते हैं और इसका असर पांच साल तक रहता है."

यह भी पढ़ें- दिल्ली चुनाव में 'अंगूठा छाप' उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी, जानिए उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता!

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बमुश्किल एक हफ्ते का समय बचा है और राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव प्रचार अपने शबाब पर पहुंच गया है. 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला है. दिल्ली का दिल कौन जीतेगा, इस हॉट मुकाबले में राजनीतिक दल सभ्य और असभ्य दोनों तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.

भाजपा पिछले 27 वर्षों से दिल्ली में सरकार बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. भगवा पार्टी 1998 के बाद से दिल्ली में सरकार नहीं बना पाई है. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 1998 से 2013 तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. देश की सबसे पुरानी पार्टी भी दिल्ली में फिर से खुद को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने तमाम विवादों और चुनौतियों के बावजूद 2014 के बाद से ही खुद को राजनीति में मजबूती के साथ स्थापित किया है, जब पहली बार दिल्ली में मात्र 48 दिनों तक उसकी सरकार थी.

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होना है और 8 फरवरी को चुनाव नतीजे आएंगे. देखा जाए तो भाजपा और 'आप' का प्रचार अभियान कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा आक्रामक नजर आता है. हालांकि, कमजोर प्रचार अभियान के बावजूद कांग्रेस मतदाताओं के एक हिस्से वोट हासिल कर 'आप' को नुकसान पहुंचा सकती है.

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक जनसभा के दौरान वीरेंद्र सचदेवा, पार्टी नेता कमलजीत सेहरावत और अन्य लोगों के साथ. (PTI)

दिल्ली में इन दिनों चुनावी रैलियों में मतदाताओं को लुभाने के लिए 'व्हाटअबाउटिज्म' (Whataboutism) का बोलबाला है. विपक्षी दलों को बदनाम करने और वोटरों का समर्थन पाने के लिए पार्टियां एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रही हैं. भाजपा, कांग्रेस और AAP के स्टार प्रचारक एक-दूसरे के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने में लगे हैं. सभी दिग्गज नेता अपने प्रतिद्वंद्वियों को बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोपों के जरिये नीचा दिखाने में व्यस्त हैं, इनमें से कुछ निराधार आरोपों का सहारा ले रहे हैं.

भाजपा दिल्ली के मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है कि भगवा पार्टी के सत्ता में आने से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आएगा. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा मीडिया के सामने आकर 'आप' प्रमुख अरविंद केजरीवाल के दावों पर सवाल उठाने के लिए दस्तावेज दिखाते हैं. चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा दावा करते हैं कि 'आप' सरकार द्वारा चलाए जा रहे मोहल्ला क्लीनिक में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी करते हुए 'आप' की योजनाओं के मुकाबले अधिक कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने का वादा किया.

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25 जनवरी को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक जनसभा के दौरान राजौरी गार्डन सीट से भाजपा उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ. (PTI)

दिल्ली चुनाव में हिंदुत्व का एजेंडा पिछले चुनावों की तरह उतना जोरदार तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, जो आमतौर पर भाजपा के चुनाव अभियानों का प्रमुख हिस्सा होता है. हालांकि भाजपा ने केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए 'चुनावी हिंदू' जैसे शब्द इस्तेमाल किए हैं, लेकिन अब भगवा पार्टी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर बात कर रही है.

आम आदमी पार्टी के प्रचार अभियान की बात करें तो 'आप' प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल आत्म-प्रशंसा भरे भाषण देने में बिजी हैं. वह जनसभा में आने वाले लोगों के प्रति बहुत सम्मान दिखा रहे हैं और दिल्ली में किए गए अपने कार्यों का गुणगान कर रहे हैं. केजरीवाल पटपड़गंज में एक रैली में बड़ी संख्या आए दर्शकों की भीड़ को देखकर चकित रह गए, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में मनीष सिसोदिया 3,000 वोटों के मामूली अंतर से जीते थे.

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नई दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दिल्ली सरकार के गणतंत्र दिवस समारोह को संबोधित करती हुईं सीएम आतिशी (PTI)

हालांकि, सिसोदिया इस बार पटपड़गंज सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन केजरीवाल इस सीट को जीतने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. यहां से अवध ओझा 'आप' के उम्मीदवार है, जो पहले यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग चलाते थे.

सिसोदिया इस बार जंगपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं. 2020 के चुनाव में इस सीट से 'आप' के प्रवीण कुमार लगभग 50 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर विजयी हुए थे. इस बार सिसोदिया का मुकाबला भाजपा के तरविंदर मारवाह और कांग्रेस के फरहाद सूरी से है. सूरी दिल्ली के पूर्व मेयर हैं. पिछले तीन बार से 'आप' यह सीट जीत रही है.

केजरीवाल चुनावी रैलियों में जो कुछ भी बोलते हैं, उसे दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी भी दोहराती हैं. वह केजरीवाल के मुफ्त बिजली के वादे का बखान करती हैं और रैलियों में भीड़ से पूछती हैं कि "क्या आपको मुफ्त बिजली मिलती है?" केजरीवाल भी यह नारा अपनी रैलियों में भीड़ से लगवाते हैं.

केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री पद संभाल रहीं आतिशी दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कालिकाजी सीट से चुनाव लड़ रही हैं. उनका मुकाबला दक्षिण दिल्ली से दो बार के सांसद और तीन बार के विधायक भाजपा के रमेश बिधूड़ी और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रमुख अलका लांबा जैसे दिग्गजों से है. अलका लांबा 2015 में AAP के टिकट पर चांदनी चौक सीट से विधायक चुनी गई थीं. 2019 में वह कांग्रेस में शामिल हो गई थीं.

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नई दिल्ली में 21 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के 'संकल्प पत्र' (घोषणापत्र) का दूसरा भाग जारी करते हुए भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और रामवीर सिंह बिधूड़ी, वीरेंद्र सचदेवा (PTI)

जनसभाओं में नेताओं के आक्रामक भाषणों से चुनाव अप्रत्याशित और दिलचस्प होता जा रहा है. भाजपा नेताओं के भाषण मुख्य रूप से AAP सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के खिलाफ आरोपों पर केंद्रित हैं. दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा ने तीन चुनावी घोषणापत्र जारी किए है, जिनमें कल्याणकारी योजनाओं और वादों की भरमार है, जो AAP की योजनाओं से मिलती-जुलती हैं.

भाजपा के चुनावी वादों पर पलटवार करते हुए केजरीवाल ने एक रैली में कहा कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. जिससे लोगों में यह संदेश गया है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वह 'आप' सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजना को खत्म कर देगी. केजरीवाल के बयान के बाद फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश में अमित शाह ने स्पष्ट किया कि भाजपा चल रही योजनाओं को जारी रखेगी. करोल बाग में एक रैली के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने केजरीवाल को 'झूठ का एटीएम' करार दिया. उन्होंने दिल्ली में प्रदूषित यमुना और यूपी में गंगा के बीच तुलना भी की, जहां तीर्थयात्री पवित्र स्नान करते हैं.

योगी आदित्यनाथ भाजपा उम्मीदवार दुष्यंत गौतम के लिए प्रचार कर रहे थे, जो 'आप' के विशेष रवि और कांग्रेस के राहुल धानक के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. विशेष रवि ने पिछले दो चुनावों में भाजपा उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया. इस बार भाजपा ने दुष्यंत को इस उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है कि वह बाजी पलटने में कामयाब हो सकते हैं. शकूर बस्ती विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पार्टी के दिल्ली मंदिर प्रकोष्ठ के प्रमुख करनैल सिंह को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला तीन बार के 'आप' विधायक सतेंद्र जैन से है. दिल्ली के ब्राह्मणों को एकजुट करने के लिए 2022 में इस प्रकोष्ठ का गठन किया गया था.

नड्डा ने खुद करनैल सिंह के लिए प्रचार किया, जो भाजपा के लिए इस सीट की अहमियत को दर्शाता है. सिंह खुद को सनातन धर्म का सेवक कहते हैं. शकूर बस्ती में अपने प्रचार के दौरान नड्डा ने केजरीवाल पर हमला बोला.

कांग्रेस के कमजोर चुनाव प्रचार के बीच, भाजपा और 'आप' ने एक-दूसरे को बदनाम करने के लिए हर संभव कोशिश की है, ताकि वे चुनाव में लोगों का समर्थन हासिल कर सकें. निष्पक्षता और अतिशयोक्ति के बीच मतदाता 5 फरवरी को अपना फैसला करेंगे. दिल्ली की सीएम आतिशी ने देवली विधानसभा क्षेत्र में एक रैली में सही कहा, "आप एक दिन अपना वोट डालते हैं और इसका असर पांच साल तक रहता है."

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