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झाबुआ: 13 हजार हितग्राहियों को नहीं मिली पीएम आवास योजना के तहत राशि, ये रिपोर्ट देखिए

झाबुआ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हितग्राहियों को मकान बनाने की राशि एक साल से नहीं मिली है. जिसके चलते उनके आशियाने अधर में लटके पड़े हैं. पढ़िए पूरी खबर...

13 thousand beneficiaries did not receive the amount
13 हजार हितग्राहियों को नहीं मिली राशि
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Published : Oct 3, 2020, 1:50 PM IST

झाबुआ। आदिवासी बहुल झाबुआ में प्रधानमंत्री आवास योजना कछुआ की चाल से चल रही है. यहां आदिवासी समुदाय के लोगों को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिन लोगों का चयन इस योजना में मकान बनाने के लिए किया गया, उन्हें समय रहते राशि नहीं मिल रही है. जिसके चलते जिले में हजारों मकान अधूरे पड़े हैं.

किस्त की आस में बैठे हितग्राही

किस्त की आस में बैठे हितग्राही

ग्रामीण इलाकों में पहले लोग कच्चे, टीन शेड वाले मकानों में रह रहे थे, लेकिन जैसी ही सरकारी योजना का लाभ मिला तो इन्होंने अपने कच्चे मकान तोड़कर पक्के मकान बनाने की शुरुआत कर दी. आलम ये है कि बीते एक साल से प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा हितग्राहियों के खाते में जमा नहीं हो पाया है. किसी के खाते में 2 किस्त गई तो किसी को पहली किस्त भी नसीब हुई है. किस्त के लिए हितग्राही जनपद पंचायत और नगर पालिका कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं.

Incomplete houses
अधूरे पड़े मकान

पीएम आवास योजना के तहत हजारों मकान अधूरे पड़े

जिले में 13 हजार से ज्यादा ऐसे हितग्राही हैं. जिन्हें पैसे मिलने का इंतजार है. पैसा नहीं मिल पाने के कारण कई मकानों की नींव भी नहीं भर पाई है, तो कुछ लोगों ने जो काम किया उनके पैसों का भुगतान करना बाकी है.

Tribals forced to live in a hut
झोपड़ी में रहने को मजबूर आदिवासी

हालांकि जिले में अभी तक 32 हजार 140 से अधिक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पूरे होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन पिछले साल सितंबर के बाद से इस योजना में पैसों की कमी के चलते हितग्राहियों के आवास पूरे नहीं बन पाए हैं और थांदला विकासखंड में भी हजारों प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान अधूरे पड़े हैं.

जिले में कुल 13 हजार 35 से अधिक मकान ऐसे हैं. जिन्हें शासन की ओर से योजना का पैसा देना बकाया है. जिले के नगरी निकाय क्षेत्रों में भी कई प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि डलवानी बाकी है. सीएमओ नगर पालिका एल एस डोडिया का कहना है कि नगरीय क्षेत्र में 1278 मकान स्वीकृत हैं. जिनमें 232 पूरे हो चुके हैं बाकी बचे 810 हितग्राहियों को उनकी पहले किस्त के रूप में एक लाख रूपये दिये जा चुके हैं.

राशि नहीं मिलने से अधर में अटका काम

नगरी निकाय क्षेत्रों में योजना की नवीन सूची में शामिल लोग लंबे समय से अपना पक्का मकान बनाने का सपना संजोए बैठे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वकांक्षी योजना को आवास और शहरी मंत्रालय ने 2022 तक देशभर में सवा करोड़ से अधिक पक्के मकान बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन योजनाओं में देरी से मिल रही राशि के चलते ग्रामीण इलाकों के लोगों को इस योजना का पूरा लाभ समय रहते नहीं मिल पा रहा.

अब तक ग्रामीण इलाकों में बने प्रधानमंत्री आवास योजना के स्वीकृत मकान 43087 है. जिसमें से 32,140 को पूरा बताया गया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 11,000 से अधिक मकान अधूरे पड़े और शहरी क्षेत्र में 2500 मकान का काम अधूरा पड़ा है.

लिहाजा 13,000 से अधिक मकान किस्त नहीं मिलने से अधूरे हैं. बता दें कि शहर में मकान बनाने के लिए मिलते हैं 2,50,000 रूपये, वहीं ग्रामीण इलाकों में पक्के मकान के लिए मिलते हैं 1,38,000 मकान बनने की राशि मिलती है.

झाबुआ। आदिवासी बहुल झाबुआ में प्रधानमंत्री आवास योजना कछुआ की चाल से चल रही है. यहां आदिवासी समुदाय के लोगों को योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिन लोगों का चयन इस योजना में मकान बनाने के लिए किया गया, उन्हें समय रहते राशि नहीं मिल रही है. जिसके चलते जिले में हजारों मकान अधूरे पड़े हैं.

किस्त की आस में बैठे हितग्राही

किस्त की आस में बैठे हितग्राही

ग्रामीण इलाकों में पहले लोग कच्चे, टीन शेड वाले मकानों में रह रहे थे, लेकिन जैसी ही सरकारी योजना का लाभ मिला तो इन्होंने अपने कच्चे मकान तोड़कर पक्के मकान बनाने की शुरुआत कर दी. आलम ये है कि बीते एक साल से प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा हितग्राहियों के खाते में जमा नहीं हो पाया है. किसी के खाते में 2 किस्त गई तो किसी को पहली किस्त भी नसीब हुई है. किस्त के लिए हितग्राही जनपद पंचायत और नगर पालिका कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं.

Incomplete houses
अधूरे पड़े मकान

पीएम आवास योजना के तहत हजारों मकान अधूरे पड़े

जिले में 13 हजार से ज्यादा ऐसे हितग्राही हैं. जिन्हें पैसे मिलने का इंतजार है. पैसा नहीं मिल पाने के कारण कई मकानों की नींव भी नहीं भर पाई है, तो कुछ लोगों ने जो काम किया उनके पैसों का भुगतान करना बाकी है.

Tribals forced to live in a hut
झोपड़ी में रहने को मजबूर आदिवासी

हालांकि जिले में अभी तक 32 हजार 140 से अधिक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पूरे होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन पिछले साल सितंबर के बाद से इस योजना में पैसों की कमी के चलते हितग्राहियों के आवास पूरे नहीं बन पाए हैं और थांदला विकासखंड में भी हजारों प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान अधूरे पड़े हैं.

जिले में कुल 13 हजार 35 से अधिक मकान ऐसे हैं. जिन्हें शासन की ओर से योजना का पैसा देना बकाया है. जिले के नगरी निकाय क्षेत्रों में भी कई प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि डलवानी बाकी है. सीएमओ नगर पालिका एल एस डोडिया का कहना है कि नगरीय क्षेत्र में 1278 मकान स्वीकृत हैं. जिनमें 232 पूरे हो चुके हैं बाकी बचे 810 हितग्राहियों को उनकी पहले किस्त के रूप में एक लाख रूपये दिये जा चुके हैं.

राशि नहीं मिलने से अधर में अटका काम

नगरी निकाय क्षेत्रों में योजना की नवीन सूची में शामिल लोग लंबे समय से अपना पक्का मकान बनाने का सपना संजोए बैठे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वकांक्षी योजना को आवास और शहरी मंत्रालय ने 2022 तक देशभर में सवा करोड़ से अधिक पक्के मकान बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन योजनाओं में देरी से मिल रही राशि के चलते ग्रामीण इलाकों के लोगों को इस योजना का पूरा लाभ समय रहते नहीं मिल पा रहा.

अब तक ग्रामीण इलाकों में बने प्रधानमंत्री आवास योजना के स्वीकृत मकान 43087 है. जिसमें से 32,140 को पूरा बताया गया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 11,000 से अधिक मकान अधूरे पड़े और शहरी क्षेत्र में 2500 मकान का काम अधूरा पड़ा है.

लिहाजा 13,000 से अधिक मकान किस्त नहीं मिलने से अधूरे हैं. बता दें कि शहर में मकान बनाने के लिए मिलते हैं 2,50,000 रूपये, वहीं ग्रामीण इलाकों में पक्के मकान के लिए मिलते हैं 1,38,000 मकान बनने की राशि मिलती है.

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