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बेटी की शादी के लिए महिला को हाई कोर्ट से मिली जमानत

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महिला को उसकी बेटी की शादि में जाने के लिए जमानत दी है. महिला पर 2 फरवरी को राज्य सुरक्षा कानून के तहत जिला बदर की कार्रवाई हुई थी.

Madhya Pradesh High Court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : May 4, 2021, 10:27 PM IST

जबलपुर। मप्र हाई कोर्ट ने एक महिला को राहत प्रदान करते हुए उसे उसकी बेटी की आगामी दिन में होने वाले वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दी है. जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की एकलपीठ ने सिवनी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जारी 2 फरवरी के आदेश को एक सप्ताह के लिए रोक दिया है, ताकि महिला अपनी बेटी की 7 मई को होने वाली शादी कार्यक्रम में शामिल हो सके. इसके लिए युगलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला को 50 हजार की राशि सिक्योरिटी बतौर जमा करने और सीमित समयावधि समाप्त होने पर आदेश का पालन करने के निर्देश दिए है.

  • 2 फरवरी में हुई थी राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई

दरअसल सिवनी भैरवगंज निवासी लता कुल्हरे की ओर से याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि 2 फरवरी को जिला मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए सिवनी और समीपवर्ती जिलों पर जिला बदर की कार्रवाई की थी. आदेश को उन्होने कमिश्नर के समक्ष चुनौती दी थी. इतना ही नहीं 4 मार्च को एक आवेदन भी दिया था अंतरिम राहत के लिए, कि उनकी बेटी रोशनी की शादी 7 मई को है, जिस पर उन्हें शामिल होने की अनुमति दी जाए, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उक्त आवेदन भी कमिश्नर के समक्ष लंबित है, जिस पर महिला हाईकोर्ट की शरण ली.

कोरोना संक्रमण को लेकर हाई कोर्ट की एमपी सरकार को फटकार

सुनवाई दौरान पूरे मामले का अवलोकन करने पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने सीमित राहत की मांग की है और मां होने के नाते उसका अपनी बेटी की शादी में शामिल होना आवश्यक है. इस मत के साथ न्यायालय ने महिला को 50 हजार की सिक्योरिटी पर एक सप्ताह की राहत प्रदान करते हुए कलेक्टर के आदेश को एक सप्ताह के लिए रोकते हुए शादी में शामिल होने कीअनुमति दी है.

जबलपुर। मप्र हाई कोर्ट ने एक महिला को राहत प्रदान करते हुए उसे उसकी बेटी की आगामी दिन में होने वाले वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दी है. जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की एकलपीठ ने सिवनी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जारी 2 फरवरी के आदेश को एक सप्ताह के लिए रोक दिया है, ताकि महिला अपनी बेटी की 7 मई को होने वाली शादी कार्यक्रम में शामिल हो सके. इसके लिए युगलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला को 50 हजार की राशि सिक्योरिटी बतौर जमा करने और सीमित समयावधि समाप्त होने पर आदेश का पालन करने के निर्देश दिए है.

  • 2 फरवरी में हुई थी राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई

दरअसल सिवनी भैरवगंज निवासी लता कुल्हरे की ओर से याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि 2 फरवरी को जिला मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए सिवनी और समीपवर्ती जिलों पर जिला बदर की कार्रवाई की थी. आदेश को उन्होने कमिश्नर के समक्ष चुनौती दी थी. इतना ही नहीं 4 मार्च को एक आवेदन भी दिया था अंतरिम राहत के लिए, कि उनकी बेटी रोशनी की शादी 7 मई को है, जिस पर उन्हें शामिल होने की अनुमति दी जाए, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उक्त आवेदन भी कमिश्नर के समक्ष लंबित है, जिस पर महिला हाईकोर्ट की शरण ली.

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सुनवाई दौरान पूरे मामले का अवलोकन करने पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने सीमित राहत की मांग की है और मां होने के नाते उसका अपनी बेटी की शादी में शामिल होना आवश्यक है. इस मत के साथ न्यायालय ने महिला को 50 हजार की सिक्योरिटी पर एक सप्ताह की राहत प्रदान करते हुए कलेक्टर के आदेश को एक सप्ताह के लिए रोकते हुए शादी में शामिल होने कीअनुमति दी है.

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