जबलपुर। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा दायर किया था. पहले विवेक तंखा ने इन तीनों को नोटिस दिए थे कि यदि वे अपने बयान पर माफी मांग लेते हैं तो विवेक तंखा कोर्ट नहीं जाएंगे. यह नोटिस जबलपुर के एडवोकेट शशांक शेखर के माध्यम से भेजे गए थे, लेकिन इन तीनों ही नेताओं ने माफी मांगने से इनकार कर दिया. लिहाजा विवेक तंखा ने जबलपुर जिला अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था, यह मुकदमा 2022 में दर्ज करवाया गया था. इसी मुकदमे में अब विवेक तंखा अपने बयान कोर्ट के सामने दर्ज करवाएंगे, 29 अप्रैल को विवेक तंखा की ओर से कपिल सिब्बल पैरवी करेंगे.
-
में आपत्तिजनक माहौल निर्मित किया जो की पूर्णतः कोर्ट रिकॉर्ड एवं कार्यवाही के विपरीत था। ओबीसी के वकील को ओबीसी का विरोधी बना दिया। २९ अप्रैल को मेरा कोर्ट बयान होगा। @KapilSibal जी मेरे वकील होगे मैजिस्ट्रेट अदालत में। हम सब है सत्य की लड़ाई में है #Insaafkesipahi २/२
— Vivek Tankha (@VTankha) April 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">में आपत्तिजनक माहौल निर्मित किया जो की पूर्णतः कोर्ट रिकॉर्ड एवं कार्यवाही के विपरीत था। ओबीसी के वकील को ओबीसी का विरोधी बना दिया। २९ अप्रैल को मेरा कोर्ट बयान होगा। @KapilSibal जी मेरे वकील होगे मैजिस्ट्रेट अदालत में। हम सब है सत्य की लड़ाई में है #Insaafkesipahi २/२
— Vivek Tankha (@VTankha) April 25, 2023में आपत्तिजनक माहौल निर्मित किया जो की पूर्णतः कोर्ट रिकॉर्ड एवं कार्यवाही के विपरीत था। ओबीसी के वकील को ओबीसी का विरोधी बना दिया। २९ अप्रैल को मेरा कोर्ट बयान होगा। @KapilSibal जी मेरे वकील होगे मैजिस्ट्रेट अदालत में। हम सब है सत्य की लड़ाई में है #Insaafkesipahi २/२
— Vivek Tankha (@VTankha) April 25, 2023
जानें क्या था मामला: दरअसल मामला पंचायत चुनाव के ठीक पहले का है, मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में रोटेशन और ओबीसी के आरक्षण को लेकर पेंच फंसा था. इस जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने की बजाय यह आदेश दिया था कि पहले महाराष्ट्र की तर्ज पर एक आयोग बनाया जाए, जो अपनी रिपोर्ट पेश करेगा और उस रिपोर्ट के आधार पर ही आरक्षण का फैसला होगा. इस आदेश के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण का लाभ नहीं मिला था.
इन खबरों पर एक खबर: |
इसके बाद OBC की राजनीति शुरू हुई: अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों को साधने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी की शिवराज के नेतृत्व वाली एमपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार के वकील ने कोई तर्क ही पेश नहीं किया, इसलिए अन्य पिछड़ा वर्ग को लाभ नहीं मिला. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के इन तीनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस नेता विवेक तंखा को जिम्मेदार बताया कि उनकी वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं मिल पाया. विवेक तंखा ने भारतीय जनता पार्टी के इन्हीं आरोपों के खिलाफ मानहानि का दावा किया है. विवेक तंखा का कहना है कि "शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के आरोप निराधार हैं और इससे मेरी सामाजिक छवि धूमिल हुई है. यह तीनों नेता माफी मांगते तो कुछ हो सकता था, लेकिन इन लोगों की माफी नहीं मांगने की वजह से यह मामला कोर्ट में पहुंच गया है और अब मैं 29 अप्रैल को कोर्ट में अपने बयान दर्ज करवाऊंगा." इस केस में तंखा की पैरवी कपिल सिब्बल करेंगे, फिलहाल मामला जिस स्तर पर पहुंचा है उससे लगता है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह को भी इस मामले में कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखना होगा.