जबलपुर : हाईकोर्ट जबलपुर में वक्फ बोर्ड की जमीन का अधिग्रहण किए जाने की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 के तहत सरकार वक्फ की संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर सकती. इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विनय जैन की युगलपीठ ने पाया कि याचिका में जिन दो जिलों की संपत्ति का उल्लेख किया है, वह हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के न्यायिक क्षेत्र में आते हैं.
क्या है वक्फ बोर्ड की जमीन का मामला?
गौरतलब है कि भोपाल जिले के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि साल 1983 से 1985 तक सर्वे के बाद वक्फ सम्पत्ति का गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. गजट में उल्लेखित वक्फ संपत्ति के संबंध में उस समय आपत्ति नहीं ली गयी थी. वक्फ बोर्ड सिर्फ वक्फ की संपत्ति का केयर टेकर और उसके पास संपत्ति के स्थानांतरण व नामांतरण का अधिकार नहीं है. इसके अलावा वक्फ एक्ट 1995 के अनुसार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति का सरकार अधिग्रहण नहीं कर सकती है.
इंदौर खंडपीठ में होगी वक्फ की सुनवाई
याचिका में रतलाम स्थित सदियों पुरानी पहलवान बाबा शाह दरगाह का सड़क बनाने के लिए अधिग्रहण किए जाने का उल्लेख किया गया. याचिका में कहा गया था कि दरगाह के समीप ही फोरलेन व टू-लेन रोड है. इसके अलावा उज्जैन में चार सौ साल पुरानी मस्जिद को तोड़कर सरकार के द्वारा जमीन का अधिग्रहण किए जाने का भी उल्लेख किया गया था. युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद न्यायिक अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए याचिका को सुनवाई के लिए इंदौर खंडपीठ स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सैयद अशर अली वारसी ने पैरवी की.
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