भोपाल/जबलपुर। मध्य प्रदेश राज्य शूटिंग अकादमी की प्रतिभावान पैरा शूटर रूबिना फ्रांसिस ने पैरू के लीमा में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप में इतिहास रच दिया. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल पैरा वूमेन इवेन्ट में भारत को पैरा ओलंपिक गेम्स कोटा दिलाया है.
रूबिना फ्रांसिस ने पैरा वर्ल्ड कप के फाइनल राउंड में 238.1 अंकों के साथ नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और स्वर्णिम सफलता अर्जित की. इसी के साथ रूबीना ने भारत को पैरा ओलंपिक गेम्स कोटा दिलाया. इससे पहले रूबिना ने क्वालिफिकेशन राउंड में 600 में से 555 अंक प्राप्त किए और पांचवा स्थान हासिल कर फाइनल में जगह बनाई. उल्लेखनीय है कि साल 2017 में ओसिजेक में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप में टर्की के खिलाड़ी अयसेगुल पेहलीवनलर ने 237.1 अंक अर्जित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
सीएम शिवराज ने की तारीफ
मध्यप्रदेश की युवा शूटर रूबीना फ्रांसिस ने यह कामयाबी हासिल कर परिवार सहित पूरे देश का नाम रौशन किया है. रूबीना फ्रांसिस यह गौरव हासिल करने वालीं मध्य प्रदेश की पहली शूटर हैं. पैर की विकलांगता और आर्थिक आभाव के बावजूद भी अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया. जिसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने इस उपलब्धि पर बधाई दी. सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, '10 मीटर एयर पिस्टल में देश को पैरा ओलंपिक गेम्स कोटा दिलाने पर बहुत बधाई, आपने हमें गौरवान्वित किया है, भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं'.
स्टार खिलाड़ी रूबीना की उपलब्धियां
वर्ष 2017 से मध्य प्रदेश राज्य शूटिंग अकादमी में शूटिंग की बारीकियां सीख रहीं रूबीना ने अंतर्राष्ट्रीय पैरा शूटिंग प्रतियोगिताओं में देश को दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक दिलाए हैं. रूबीना ने वर्ष 2017 में बैंकाक में आयोजित वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोट्र्स चैम्पियनशिप के 10 मीटर एयर पिस्टल वूमेन टीम इवेन्ट में जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए देश को स्वर्ण पदक दिलाया. साल 2019 में रूबीना ने क्रोएशिया में आयोजित वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स वर्ल्ड कप में देश को कांस्य पदक दिलाया. उन्होंने राष्ट्रीय पैरा शूटिंग प्रतियोगिताओं में 10 स्वर्ण, 2 रजत सहित 12 पदक अर्जित कर मध्य प्रदेश को गौरवान्वित किया है.
परिवार में खुशी की लहर
बेटी की इस सफलता पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उनके पिता साइमन फ्रांसिस ने इसका पूरा श्रेय रूबीना और उसके कोच को दिया. उन्होंने कहा, बच्ची जब स्कूल में पढ़ती थी, तब साल 2006 में गन और ग्लोरी संस्था के कैंप का आयोजन हुआ था. कैंप में रूबीना ने अच्छा प्रदर्शन किया, जिसके कारण उसे संस्था में दाखिला मिला. रूबीना के पिता ने बताया कि वह पेशे से मोटर मैकेनिक हैं और उनकी पत्नी सुनीता एक प्राईवेट प्रसुति गृह में काम करती हैं. रूबीना जब प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो वह बाहर बैठकर उसका इंतजार करते रहे थे. चूंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इस वजह से वह बार-बार आने जाने के लिए पेट्रोल खर्च नहीं उठा सकते थे.
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रूबीना की मां ने कहा, 'हम किराए के मकान में रहते थे, पैर से विकलांग होने के बावजूद भी बेटी ने खुद की छत दी. भगवान ऐसी बेटी सभी को दे. उसने हमारा नाम रौशन कर दिया है. वह जब मेडल प्राप्त करती है तो सबसे पहले अपने पापा को बताती. मेडल हासिल नहीं करने पर दुखी होती और मुझे जानकारी देती. उम्मीद है कि अपनी कड़ी मेहनत से वह पैरा ओलंपिक में भी पदक हालिस करेगी'.