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Sharadiya Navratri 2022: मां वैष्णो देवी का स्वरूप मानी जाती हैं मां त्रिपुर सुंदरी, इस शहर में विराजमान हैं राजा कर्ण की कुलदेवी - devotee of karna maa tripura devi

शारदीय नवरात्रि में माताओं के अनोखे और निराले किस्से सुनने मिल रहे हैं. वहीं आज हम आपको बताएंगे जबलपुर की प्रसिद्ध त्रिपुर सुंदरी माता के बारे में. त्रिपुर सुंदरी माता का इतिहास हजारों साल पुराना है. कहा जाता है कि माता के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. sharadiya navratri 2022, famous tripura sundari devi temple, Thousand years old history of Maa Tripura Devi, devotee of karna maa tripura devi

Maa Tripur Sundari
मां त्रिपुर सुंदरी
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Published : Sep 30, 2022, 8:13 AM IST

जबलपुर। मां जगदंबा, जगत जननी, जगदंबे और ना जाने ऐसे कितने नाम जिनके स्मरण मात्र से जीवन की हर मुश्किलें आसान हो जाती है. ऐसी ही शक्ति की उपासना का नवरात्र पर्व चल रहा है. प्रदेश में जगह-जगह माता के पंडला सजाए गए हैं, वहीं गरबा का आयोजन किया जा रहा है. आज हम आपको मध्यप्रदेश की एक ऐसी शक्ति के दर्शन कराएंगे जिनके दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. जो दानवीर कर्ण की कुलदेवी थी, जो पूरे देश में इकलौती प्रत्यक्ष रुप में मौजूद हैं, ऐसी हैं मां त्रिपुर सुंदरी. sharadiya navratri 2022, famous tripura sundari devi temple, Thousand years old history of Maa Tripura Devi

Maa Tripur Sundari
मां त्रिपुर देवी के पद
कर्ण की कुल देवी हैं त्रिपुर देवी:
संस्कारधानी जबलपुर आस्था श्रद्धा और संस्कारों के लिए जाना जाता है. जबलपुर से करीब 14 किलोमीटर दूर तेवर ग्राम में स्थित जम्मू कश्मीर के कटरा में विराजमान मां वैष्णो देवी का स्वरूप मानी जाने वाली मां त्रिपुर सुंदरी को महाकाली महासरस्वती महालक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. जिन्हें कर्ण की कुल देवी कहा जाता है, बारह सौ साल पुराने इस मंदिर की एक अलग ही मान्यता है. कहते हैं कि यहां एक नारियल चुनरी में बांधकर जो भी मन्नत मांगी जाती है. मां त्रिपुर सुंदरी सभी भक्तों की मन्नत पूरी करती हैं. जिनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई है, जिनके दर्शन के लिए देश प्रदेश से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के भक्त दौड़े चले आते हैं.
मां वैष्णो देवी का स्वरूप मानी जाती हैं मां त्रिपुर सुंदरी

Sharadiya Navratri 2022: कचहरी माता के मंदिर में लगती है कानूनी विवादों की अर्जी, सत्य-असत्य का होता है फैसला

हजारों साल पुराना है इतिहास: मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का इतिहास सौ-दो सौ साल पुराना नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है. मान्यता है कि 5000 साल पहले त्रिपुर सुंदरी मां द्वापर युग में महादानवीर कर्ण की कुलदेवी थीं. करण त्रिपुर सुंदरी मां की श्रद्धा भाव से सेवा करता था, त्रिपुर सुंदरी मां ने कर्ण को वरदान दिया था कि वह चाहे जितना भी दान कर ले उसके खजाने में हमेशा सवा मन सोना बना रहेगा. जब कर्ण ने मां से वरदान मांगा कि जिस तरह मैं हमेशा आपकी सेवा करता हूं और मैंने स्वयं को आपके लिए अर्पित कर दिया है. भविष्य में आप के भक्तों को भी आपकी कृपा मिल सके कोई ऐसा उपाय करिए. इस पर त्रिपुर सुंदरी मां ने वरदान दिया कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से उनके दरबार में एक नारियल चढ़ाएगा. उसकी हर मनोकामना पूरी होगी. तब से त्रिपुर सुंदरी मंदिर में नारियल बांधे जाने लगे.

Maa Tripur Sundari
मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर

Shardiya Navratri 2022:पावई वाली माता की महिमा, मुगलों से लड़ा था युद्ध, डकैत भी रहते थे नतमस्तक

त्रिपुर सुंदरी मंदिर के प्रथम पुजारी करीब 80 साल के रमेश दुबे बताते हैं कि उन्हें 10 साल की उम्र में मां भगवती ने सपने में दर्शन दिए थे और अपने त्रिपुर सुंदरी स्वरूप का स्थान बताया था. इसके बाद उन्होंने इस स्थान की खोज की. उस जमाने में यह भयानक जंगल हुआ करता था. जंगल के बीचो-बीच एक बेल के पेड़ के नीचे उन्होंने त्रिपुर सुंदरी मां का प्रतिभा स्वरूप मिला और फिर उनकी सेवा शुरु कर दी.

Maa Tripur Sundari
हर मनोकामना होती है पूरी
तीन माताओं का स्वरूप हैं मां त्रिपुर सुंदरी: त्रिपुर सुंदरी मंदिर समिति के पुजारी बताते हैं कि त्रिपुर सुंदरी मंदिर की खास बात यह है कि यह पुरातात्विक महत्व रखता है. पुरातत्व विभाग ने भी त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा की जांच कर बताया है, यह प्रतिमा करीब 2000 साल पुरानी है, लेकिन धार्मिक मान्यताएं बताती हैं यह मूर्ति 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है. खास बात यह है कि मां भगवती त्रिपुर सुंदरी की प्रतिभा जिसमें महालक्ष्मी महासरस्वती और महाकाली का स्वरुप है या संसार में कहीं और देखने नहीं मिलती. त्रिकूट पर्वत स्थित मां वैष्णो देवी में भी इन तीनों देवियों का पिंडी स्वरूप है. केवल त्रिपुर सुंदरी मंदिर ही ऐसा मंदिर है, जहां देवियों का प्रतिमा स्वरूप मिलता है और यही इस मंदिर को खास बनाता है. मंदिर में लाखों की संख्या में लोग हर साल आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मां के दरबार में नारियल बांधते हैं. मंदिर से जुड़ी तो बहुत सी किवदंतिया और मान्यताएं हैं लेकिन मां जगदंबा का आशीर्वाद जिन भक्तों पर पड़ता है. उनका इस मंदिर में आना तय होता है. त्रिपुर सुंदरी मंदिर में हर साल नवरात्र से लेकर आम दिनों तक लाखों श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामना के लिए मां भगवती से प्रार्थना करते हैं. (sharadiya navratri 2022) (famous tripura sundari devi temple) (Thousand years old history of Maa Tripur Devi) (devotee of karna maa tripura devi)

जबलपुर। मां जगदंबा, जगत जननी, जगदंबे और ना जाने ऐसे कितने नाम जिनके स्मरण मात्र से जीवन की हर मुश्किलें आसान हो जाती है. ऐसी ही शक्ति की उपासना का नवरात्र पर्व चल रहा है. प्रदेश में जगह-जगह माता के पंडला सजाए गए हैं, वहीं गरबा का आयोजन किया जा रहा है. आज हम आपको मध्यप्रदेश की एक ऐसी शक्ति के दर्शन कराएंगे जिनके दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. जो दानवीर कर्ण की कुलदेवी थी, जो पूरे देश में इकलौती प्रत्यक्ष रुप में मौजूद हैं, ऐसी हैं मां त्रिपुर सुंदरी. sharadiya navratri 2022, famous tripura sundari devi temple, Thousand years old history of Maa Tripura Devi

Maa Tripur Sundari
मां त्रिपुर देवी के पद
कर्ण की कुल देवी हैं त्रिपुर देवी: संस्कारधानी जबलपुर आस्था श्रद्धा और संस्कारों के लिए जाना जाता है. जबलपुर से करीब 14 किलोमीटर दूर तेवर ग्राम में स्थित जम्मू कश्मीर के कटरा में विराजमान मां वैष्णो देवी का स्वरूप मानी जाने वाली मां त्रिपुर सुंदरी को महाकाली महासरस्वती महालक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. जिन्हें कर्ण की कुल देवी कहा जाता है, बारह सौ साल पुराने इस मंदिर की एक अलग ही मान्यता है. कहते हैं कि यहां एक नारियल चुनरी में बांधकर जो भी मन्नत मांगी जाती है. मां त्रिपुर सुंदरी सभी भक्तों की मन्नत पूरी करती हैं. जिनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई है, जिनके दर्शन के लिए देश प्रदेश से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के भक्त दौड़े चले आते हैं.
मां वैष्णो देवी का स्वरूप मानी जाती हैं मां त्रिपुर सुंदरी

Sharadiya Navratri 2022: कचहरी माता के मंदिर में लगती है कानूनी विवादों की अर्जी, सत्य-असत्य का होता है फैसला

हजारों साल पुराना है इतिहास: मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का इतिहास सौ-दो सौ साल पुराना नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है. मान्यता है कि 5000 साल पहले त्रिपुर सुंदरी मां द्वापर युग में महादानवीर कर्ण की कुलदेवी थीं. करण त्रिपुर सुंदरी मां की श्रद्धा भाव से सेवा करता था, त्रिपुर सुंदरी मां ने कर्ण को वरदान दिया था कि वह चाहे जितना भी दान कर ले उसके खजाने में हमेशा सवा मन सोना बना रहेगा. जब कर्ण ने मां से वरदान मांगा कि जिस तरह मैं हमेशा आपकी सेवा करता हूं और मैंने स्वयं को आपके लिए अर्पित कर दिया है. भविष्य में आप के भक्तों को भी आपकी कृपा मिल सके कोई ऐसा उपाय करिए. इस पर त्रिपुर सुंदरी मां ने वरदान दिया कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से उनके दरबार में एक नारियल चढ़ाएगा. उसकी हर मनोकामना पूरी होगी. तब से त्रिपुर सुंदरी मंदिर में नारियल बांधे जाने लगे.

Maa Tripur Sundari
मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर

Shardiya Navratri 2022:पावई वाली माता की महिमा, मुगलों से लड़ा था युद्ध, डकैत भी रहते थे नतमस्तक

त्रिपुर सुंदरी मंदिर के प्रथम पुजारी करीब 80 साल के रमेश दुबे बताते हैं कि उन्हें 10 साल की उम्र में मां भगवती ने सपने में दर्शन दिए थे और अपने त्रिपुर सुंदरी स्वरूप का स्थान बताया था. इसके बाद उन्होंने इस स्थान की खोज की. उस जमाने में यह भयानक जंगल हुआ करता था. जंगल के बीचो-बीच एक बेल के पेड़ के नीचे उन्होंने त्रिपुर सुंदरी मां का प्रतिभा स्वरूप मिला और फिर उनकी सेवा शुरु कर दी.

Maa Tripur Sundari
हर मनोकामना होती है पूरी
तीन माताओं का स्वरूप हैं मां त्रिपुर सुंदरी: त्रिपुर सुंदरी मंदिर समिति के पुजारी बताते हैं कि त्रिपुर सुंदरी मंदिर की खास बात यह है कि यह पुरातात्विक महत्व रखता है. पुरातत्व विभाग ने भी त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा की जांच कर बताया है, यह प्रतिमा करीब 2000 साल पुरानी है, लेकिन धार्मिक मान्यताएं बताती हैं यह मूर्ति 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है. खास बात यह है कि मां भगवती त्रिपुर सुंदरी की प्रतिभा जिसमें महालक्ष्मी महासरस्वती और महाकाली का स्वरुप है या संसार में कहीं और देखने नहीं मिलती. त्रिकूट पर्वत स्थित मां वैष्णो देवी में भी इन तीनों देवियों का पिंडी स्वरूप है. केवल त्रिपुर सुंदरी मंदिर ही ऐसा मंदिर है, जहां देवियों का प्रतिमा स्वरूप मिलता है और यही इस मंदिर को खास बनाता है. मंदिर में लाखों की संख्या में लोग हर साल आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मां के दरबार में नारियल बांधते हैं. मंदिर से जुड़ी तो बहुत सी किवदंतिया और मान्यताएं हैं लेकिन मां जगदंबा का आशीर्वाद जिन भक्तों पर पड़ता है. उनका इस मंदिर में आना तय होता है. त्रिपुर सुंदरी मंदिर में हर साल नवरात्र से लेकर आम दिनों तक लाखों श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामना के लिए मां भगवती से प्रार्थना करते हैं. (sharadiya navratri 2022) (famous tripura sundari devi temple) (Thousand years old history of Maa Tripur Devi) (devotee of karna maa tripura devi)
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