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जबलपुर की नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल में कैदियों ने 40 दिन में बनाए 1 लाख मास्क - जबलपुर न्यूज

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल जबलपुर में कैदियों द्वारा एक लाख से ज्यादा फेस मास्क बनाकर विभिन्न शासकीय और गैर शासकीय संस्थाओं को प्रदान किए गए हैं.

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Published : May 17, 2020, 4:15 PM IST

जबलपुर। नित नए प्रयोगों के लिए मशहूर हो चुकी जबलपुर केंद्रीय जेल ने एक नया कीर्तिमान बनाया है, नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल ने अब तक एक लाख से ज्यादा फेस मास्क बनाकर विभिन्न शासकीय और गैर शासकीय संस्थाओं को प्रदान किए हैं.

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मास्क बनाते कैदी

कोरोना की दस्तक मिलते ही 14 मार्च से केंद्रीय जेल के कैदियों ने मास्क बनाने की मुहिम शुरू कर दी थी, जिसके तहत बीते 60 दिनों में 1 लाख मास्क बनाए जा चुके हैं. जेल प्रबंधन द्वारा करीब 40 सिलाई मशीनें और 70 कैदियों को इस काम में लगाया गया है, जो दिन रात मेहनत कर मास्क बना रहे हैं.

जबलपुर के सभी शासकीय और गैर शासकीय संस्थानों के साथ ही महाराष्ट्र के कई जिलों में भी ये मास्क सप्लाई किए गए हैं. जेल प्रबंधन द्वारा ये मास्क नो प्रोफिट, नो लॉस के आधार पर बनाए जा रहे हैं, यानि इन मास्क को बनाने में लगने वाली लागत के आधार पर ही मास्क की कीमत 10 रूपए प्रति मास्क रखी गई है. सूती कपड़े से बने ये मास्क वॉशेबल हैं, यानि इन्हें कपड़ों की तरह डिटर्जेंट से धोकर दोबारा उपयोग किया जा सकता है.

जेल अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि जबलपुर सेंट्रल जेल ने मास्क बनाने का काम सबसे पहले शुरू किया था और इसी तर्ज पर फिर प्रदेश की सभी 125 केंद्रीय, जिला और उपजेलों में मास्क बनाने का काम किया जा रहा है.

जबलपुर। नित नए प्रयोगों के लिए मशहूर हो चुकी जबलपुर केंद्रीय जेल ने एक नया कीर्तिमान बनाया है, नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल ने अब तक एक लाख से ज्यादा फेस मास्क बनाकर विभिन्न शासकीय और गैर शासकीय संस्थाओं को प्रदान किए हैं.

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मास्क बनाते कैदी

कोरोना की दस्तक मिलते ही 14 मार्च से केंद्रीय जेल के कैदियों ने मास्क बनाने की मुहिम शुरू कर दी थी, जिसके तहत बीते 60 दिनों में 1 लाख मास्क बनाए जा चुके हैं. जेल प्रबंधन द्वारा करीब 40 सिलाई मशीनें और 70 कैदियों को इस काम में लगाया गया है, जो दिन रात मेहनत कर मास्क बना रहे हैं.

जबलपुर के सभी शासकीय और गैर शासकीय संस्थानों के साथ ही महाराष्ट्र के कई जिलों में भी ये मास्क सप्लाई किए गए हैं. जेल प्रबंधन द्वारा ये मास्क नो प्रोफिट, नो लॉस के आधार पर बनाए जा रहे हैं, यानि इन मास्क को बनाने में लगने वाली लागत के आधार पर ही मास्क की कीमत 10 रूपए प्रति मास्क रखी गई है. सूती कपड़े से बने ये मास्क वॉशेबल हैं, यानि इन्हें कपड़ों की तरह डिटर्जेंट से धोकर दोबारा उपयोग किया जा सकता है.

जेल अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि जबलपुर सेंट्रल जेल ने मास्क बनाने का काम सबसे पहले शुरू किया था और इसी तर्ज पर फिर प्रदेश की सभी 125 केंद्रीय, जिला और उपजेलों में मास्क बनाने का काम किया जा रहा है.

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