जबलपुर। 100 साल से ज्यादा पुरानी जबलपुर की बंगाली दुर्गा पूजा, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लोगों को बंगाली दुर्गा पूजा में ऑनलाइन ही दर्शन करने की अनुमति मिली. केवल सीमित लोगों के साथ पुजारियों ने पूजन अर्चन किया. सामान्य दिनों में बड़ी तादाद में बंगाली लोग यहां पूजा-पाठ किया करते थे.
जबलपुर में दुर्गा पंडालों की परंपरा बंगाली समाज के लोगों ने शुरु की थी. अंग्रेजों के समय जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों में काम करने के लिए अंग्रेज बंगाली समाज के लोगों को जबलपुर लेकर आए थे. बंगाली समाज के लोगों ने जबलपुर में एक बंगाली क्लब की स्थापना की और पहली बार यहीं पर बंगाली दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था. आज भी करमचंद चौक के 100 साल से ज्यादा पुराने क्लब में बंगाली पूजा उसी अंदाज में की जाती है, जैसे 100 साल पहले की गई थी, लेकिन इस साल इसका रंग फीका पड़ गया है, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से न सिर्फ प्रशासन ने रोक लगाई है, बल्कि समाज के लोग भी इसके लिए तैयार नहीं हैं. इसलिए बंगाली क्लब का ये आयोजन किया तो पूरे विधि विधान से गया है, लेकिन समाज के लोगों से अपील की गई है कि वो इस आयोजन को ऑनलाइन मोबाइल पर या कंप्यूटर पर देख सकते हैं. उन्हें क्लब में आने की जरूरत नहीं है. जबलपुर जिला प्रशासन ने करमचंद चौक के बंगाली क्लब की प्रतिमा को और पूजा आरती को ऑनलाइन प्रसारित किया है. अष्टमी की पूजा के बाद यहां सिंदूर खेला भी खेला गया, लेकिन आयोजन में बहुत सीमित लोग ही शामिल हो पाएंगे. बाकी लोगों के घरों पर प्रसाद पहुंचा दिया जाएगा.
जबलपुर में बंगाली लोगों ने ऐसे कई क्लबों की स्थापना अलग-अलग मोहल्लों में कर ली है और अब जबलपुर में कई जगहों पर बंगाली प्रतिमाएं और बंगाली ढंग से देवी पूजा की जाती है.