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मिसाल: MP के सबसे बड़े केंद्रीय जेल के कैदियों ने इस तरह दूर किया जल संकट - model of water conservation

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल के कैदियों ने जल संरक्षण की मिसाल पेश की है. जेल पानी की समस्या से निपटने के लिए जेल प्रबंधन ने खाली पड़ी ढाई एकड़ जमीन पर तालाब निर्माण की सोची. जिसके बाद जेल में बंद करीब 100 कैदियों की मेहनत से कुछ ही महीने में तालाब बनकर तैयार हो गया.

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Published : Jul 20, 2020, 10:39 AM IST

जबलपुर। 'जल ही जीवन है' कुछ इस तरह का लक्ष्य लेकर आज पूरी दुनिया पानी बचाने में जुटी है. प्रदेश के सबसे बड़े केंद्रीय जेल जबलपुर में भी पानी सहजने की मुहिम 2010 में शुरू हुई थी, जोकि आज पूरे प्रदेश की जेलों के लिए मॉडल बन गया है. जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे कैदियों ने पानी की आपूर्ति के लिए खुद ही एक बड़ा तालाब खोद डाला. आलम ये है कि जेल में बने 'जल संरक्षण' के इस तलाब से न सिर्फ पानी की समस्या दूर हो गई, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में लगे हुए कुएं और हैंडपंप भी इसी तालाब से रिचार्ज हो रहे हैं.

जेल में कैदियों का जल संरक्षण

इस जेल में करीब 3 हजार कैदी बंद हैं. इन कैदियों के नहाने, उनके लिए खाना बनाने और पीने के पानी की समस्या कई सालों से थी. पहले जेल विभाग नगर निगम से पानी के टैंकर खरीद कर पानी की व्यवस्था करता था, अब के वरिष्ठ जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार जब जेल अधीक्षक हुआ करते थे. जेल में पानी की समस्या को देखते हुए उन्होंने खाली पड़े ढाई एकड़ जमीन पर तालाब बनाने की योजना बनाई और जेल मंत्रालय से अनुमति मिलते ही जेल में बंद करीब 100 कैदियों की मदद से कुछ ही महीने में तालाब जेल में तैयार हो गया.

बाहर से पानी मंगवाना जेल की सुरक्षा के लिए था खतरा

नगर निगम के टैंकर बाहर से पानी भरकर जेल के अंदर पहुंचाते थे, ऐसे में कई मर्तबा जेल की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती थी. हमेशा एक डर लगा रहता था कि दिन में 5 से 10 बार जब टैंकर अंदर बाहर आते जाते हैं तो कहीं कोई कैदी इसका फायदा उठाकर जेल से भागने में कामयाब न हो जाए. पानी को लेकर जेल में कई बार बोर भी करवाया गया, पर शुरुआती गर्मी में ही बोर पूरी तरह फेल हो जाते थे.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक बने जेल के लिए पालनहार

जेल में पानी की विकराल समस्या विभाग के लिए चुनौती बन गई थी. इस बीच तत्कालीन जेल अधीक्षक जोकि वर्तमान में वरिष्ठ जेल अधीक्षक के पद पर जबलपुर में पदस्थ हैं. उन्होंने कैदियों के साथ मिलकर एक बड़ा तालाब खोद डाला. जिसका उद्घाटन करने के लिए स्वर्गीय विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी, तत्कालीन जेल मंत्री जगदीश देवड़ा, पूर्व महापौर प्रभात साहू और पार्षद कमलेश अग्रवाल गए थे.

महज 4 माह में ही कैदियों ने खोद डाला ढाई एकड़ में गहरा तालाब

जेल में पानी की समस्या को देखते हुए जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार के साथ करीब 100 से ज्यादा कैदी एकजुट हुए. कैदियों ने चार माह के भीतर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक तालाब खोदने में जुट गए और 4 माह के भीतर ही ढाई एकड़ जमीन पर करीब 20 फीट गहरे तालाब कैदियों ने खोद डाला. इस तालाब के बनने के बाद जेल प्रशासन सहित सजा काट रहे कैदियों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है.

जेल में बने तालाब को पीएचई विभाग ने भी दिया सहयोग

जब जेल की जमीन पर तालाब बनवाया तो तालाब के पानी को रोकने के लिए भी एक समस्या जेल विभाग के सामने आ रही थी. ऐसे में पीएचई विभाग ने जेल विभाग की मदद की और एक स्टॉप डैम बनाया, जोकि जल संरक्षण के लिए विशेष भूमिका अदा कर रहा है. पीएचई विभाग ने करीब 18 लाख रुपए से एक स्टॉप डैम बनाया. खास बात ये थी कि इस स्टॉप डैम को बनाने में जेल में सजा काट रहे कैदियों की एक बार फिर अहम भूमिका सामने आई. कैदियों के श्रम से पीएचई विभाग ने भी करीब 6 लाख रूपए बचाए और एक मई 2010 को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर तालाब खोदने का कार्य शुरू किया गया था.

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर शुरु हुआ था काम

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में तालाब खोदने का काम अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस एक मई 2010 को शुरू किया गया था. जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार की प्रेरणा और जेल के बंदियों की मेहनत से करीब 4 माह में ही तलाब खोद दिया गया. तालाब तैयार हो जाने के बाद जब उसमें पानी भरा तो 25 जुलाई 2010 को ये तालाब ओवरफ्लो भी हो गया. आज इस तालाब में इतना पानी है कि न ही ये कभी सूखता है और न ही कभी जेल में पानी की किल्लत होती है. इस तरह की योजना प्रदेश के सतना, इंदौर, भोपाल सहित कई और जेलों में भी अपनाई गई.

एक नजर इस पर

  • जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में आज करीब 2500 कैदी सजा काट रहे हैं.
  • जेल में पानी की अतिरिक्त आवश्यकता जैसे बागवानी निस्तार गौशाला आदि की पूर्ति भी तालाब से की जा रही है.
  • पीएचई ने 18.75 लाख रुपए की सामग्री एवं 6.24 लाख रूपए मानव श्रम जोकि जेल विभाग ने उपलब्ध कराया था.
  • पीएचई विभाग ने स्टॉप डैम के लिए 75 प्रतिशत तो जेल विभाग ने 25 प्रतिशत का श्रम दिया था.
  • तालाब की तकनीकी डिजाइन के लिए जल संसाधन विभाग की मदद ली गई थी.
  • 1 मई 2010 अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर तालाब निर्माण शुरू किया गया था.
  • तालाब की जल संग्रहण क्षमता 0.25 वर्ग मीटर (4465.00 cu.m) है.
  • मिट्टी बांध की लंबाई 350 मीटर, ऊंचाई 6 मीटर और वेस्ट वियर पक्का स्ट्रक्चर 15 मीटर का है.

जबलपुर। 'जल ही जीवन है' कुछ इस तरह का लक्ष्य लेकर आज पूरी दुनिया पानी बचाने में जुटी है. प्रदेश के सबसे बड़े केंद्रीय जेल जबलपुर में भी पानी सहजने की मुहिम 2010 में शुरू हुई थी, जोकि आज पूरे प्रदेश की जेलों के लिए मॉडल बन गया है. जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे कैदियों ने पानी की आपूर्ति के लिए खुद ही एक बड़ा तालाब खोद डाला. आलम ये है कि जेल में बने 'जल संरक्षण' के इस तलाब से न सिर्फ पानी की समस्या दूर हो गई, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में लगे हुए कुएं और हैंडपंप भी इसी तालाब से रिचार्ज हो रहे हैं.

जेल में कैदियों का जल संरक्षण

इस जेल में करीब 3 हजार कैदी बंद हैं. इन कैदियों के नहाने, उनके लिए खाना बनाने और पीने के पानी की समस्या कई सालों से थी. पहले जेल विभाग नगर निगम से पानी के टैंकर खरीद कर पानी की व्यवस्था करता था, अब के वरिष्ठ जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार जब जेल अधीक्षक हुआ करते थे. जेल में पानी की समस्या को देखते हुए उन्होंने खाली पड़े ढाई एकड़ जमीन पर तालाब बनाने की योजना बनाई और जेल मंत्रालय से अनुमति मिलते ही जेल में बंद करीब 100 कैदियों की मदद से कुछ ही महीने में तालाब जेल में तैयार हो गया.

बाहर से पानी मंगवाना जेल की सुरक्षा के लिए था खतरा

नगर निगम के टैंकर बाहर से पानी भरकर जेल के अंदर पहुंचाते थे, ऐसे में कई मर्तबा जेल की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती थी. हमेशा एक डर लगा रहता था कि दिन में 5 से 10 बार जब टैंकर अंदर बाहर आते जाते हैं तो कहीं कोई कैदी इसका फायदा उठाकर जेल से भागने में कामयाब न हो जाए. पानी को लेकर जेल में कई बार बोर भी करवाया गया, पर शुरुआती गर्मी में ही बोर पूरी तरह फेल हो जाते थे.

वरिष्ठ जेल अधीक्षक बने जेल के लिए पालनहार

जेल में पानी की विकराल समस्या विभाग के लिए चुनौती बन गई थी. इस बीच तत्कालीन जेल अधीक्षक जोकि वर्तमान में वरिष्ठ जेल अधीक्षक के पद पर जबलपुर में पदस्थ हैं. उन्होंने कैदियों के साथ मिलकर एक बड़ा तालाब खोद डाला. जिसका उद्घाटन करने के लिए स्वर्गीय विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी, तत्कालीन जेल मंत्री जगदीश देवड़ा, पूर्व महापौर प्रभात साहू और पार्षद कमलेश अग्रवाल गए थे.

महज 4 माह में ही कैदियों ने खोद डाला ढाई एकड़ में गहरा तालाब

जेल में पानी की समस्या को देखते हुए जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार के साथ करीब 100 से ज्यादा कैदी एकजुट हुए. कैदियों ने चार माह के भीतर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक तालाब खोदने में जुट गए और 4 माह के भीतर ही ढाई एकड़ जमीन पर करीब 20 फीट गहरे तालाब कैदियों ने खोद डाला. इस तालाब के बनने के बाद जेल प्रशासन सहित सजा काट रहे कैदियों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है.

जेल में बने तालाब को पीएचई विभाग ने भी दिया सहयोग

जब जेल की जमीन पर तालाब बनवाया तो तालाब के पानी को रोकने के लिए भी एक समस्या जेल विभाग के सामने आ रही थी. ऐसे में पीएचई विभाग ने जेल विभाग की मदद की और एक स्टॉप डैम बनाया, जोकि जल संरक्षण के लिए विशेष भूमिका अदा कर रहा है. पीएचई विभाग ने करीब 18 लाख रुपए से एक स्टॉप डैम बनाया. खास बात ये थी कि इस स्टॉप डैम को बनाने में जेल में सजा काट रहे कैदियों की एक बार फिर अहम भूमिका सामने आई. कैदियों के श्रम से पीएचई विभाग ने भी करीब 6 लाख रूपए बचाए और एक मई 2010 को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर तालाब खोदने का कार्य शुरू किया गया था.

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर शुरु हुआ था काम

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में तालाब खोदने का काम अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस एक मई 2010 को शुरू किया गया था. जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार की प्रेरणा और जेल के बंदियों की मेहनत से करीब 4 माह में ही तलाब खोद दिया गया. तालाब तैयार हो जाने के बाद जब उसमें पानी भरा तो 25 जुलाई 2010 को ये तालाब ओवरफ्लो भी हो गया. आज इस तालाब में इतना पानी है कि न ही ये कभी सूखता है और न ही कभी जेल में पानी की किल्लत होती है. इस तरह की योजना प्रदेश के सतना, इंदौर, भोपाल सहित कई और जेलों में भी अपनाई गई.

एक नजर इस पर

  • जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में आज करीब 2500 कैदी सजा काट रहे हैं.
  • जेल में पानी की अतिरिक्त आवश्यकता जैसे बागवानी निस्तार गौशाला आदि की पूर्ति भी तालाब से की जा रही है.
  • पीएचई ने 18.75 लाख रुपए की सामग्री एवं 6.24 लाख रूपए मानव श्रम जोकि जेल विभाग ने उपलब्ध कराया था.
  • पीएचई विभाग ने स्टॉप डैम के लिए 75 प्रतिशत तो जेल विभाग ने 25 प्रतिशत का श्रम दिया था.
  • तालाब की तकनीकी डिजाइन के लिए जल संसाधन विभाग की मदद ली गई थी.
  • 1 मई 2010 अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर तालाब निर्माण शुरू किया गया था.
  • तालाब की जल संग्रहण क्षमता 0.25 वर्ग मीटर (4465.00 cu.m) है.
  • मिट्टी बांध की लंबाई 350 मीटर, ऊंचाई 6 मीटर और वेस्ट वियर पक्का स्ट्रक्चर 15 मीटर का है.
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