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MP पैरा मेडिकल छात्रवृत्ति घोटाला: सरकार ने 11 संस्थाओं से वसूल किए 90 लाख रुपए, 8 कॉलेज सील

जबलपुर हाईकोर्ट ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला करने वाले कॉलेज से वसूली के लिए 10 दिन का समय दिया है. सुनवाई के दौरान सरकार ने बताया कि 11 कॉलेज से 90 लाख रुपए की वसूली की गई है.

mp high court
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय
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Published : Apr 26, 2023, 9:59 PM IST

जबलपुर। कॉलेज संचालाकों से पैरा मेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले की राशि नहीं वसूले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान बुधवार को सरकार की तरफ से बताया गया कि 11 कॉलेज से 90 लाख रुपए की वसूली की गई है. इंदौर के 7 कॉलेज के खाते सीज फ्रीज किए गए है तथा जबलपुर के 8 कॉलेज को सील किया गया है. सरकार के आग्रह पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार के आग्रह पर शेष वसूली के लिए दस दिनों का समय प्रदान किया है.

छात्रवृत्ति के नाम पर घोटाला: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में बताया गया कि साल 2009 से 2015 के बीच हुए प्रदेश के सैकड़ों पैरा मेडिकल कॉलेज ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया था. पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों को प्रवेश दर्शाकर सरकार से करोड़ों रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्राप्त की थी. घोटाले के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे. जांच में घोटाले के आरोप सही पाए गए थे. जिसके बाद सरकार की तरफ से उक्त कॉलेज से राशि वसूले का निर्णय लिया गया था.

याचिका में कहा गया था कि राज्य शासन द्वारा छात्रवृत्ति घोटाले करने वाले कॉलेज से राशि वसूली की किसी तरह की कार्रवाई राज्य सरकार नहीं कर रही है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर प्रदान करने के बावजूद भी सरकार की तरफ से जवाब पेश नहीं किया गया है. युगलपीठ ने 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए सरकार को जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि 24 करोड़ रुपए में से 4 करोड़ रुपए की राशि वसूल की गई है.

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वसूली पर रोक: इंदौर खंडपीठ ने 5 करोड़ रुपए की राशि वसूली करने पर रोक लगा रखी है. शेष राशि वसूली के लिए कॉलेज के खिलाफ आरआरसी जारी की गई है. युगलपीठ ने राशि वसूली में सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित याकिचाएं सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए थे. पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि दो संस्थाओं से 4 लाख 76 हजार रुपए की वसूली की गई है. इसके अलावा दो संस्थाओं के बैंक एकाउंट सीज कर दिए हैं.

याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि सरकार एक तरफ कर्ज ले रही है और दूसरी तरफ अपनी राशि वसूलने में सालों लगा रही है. युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते राशि की वसूली के लिए 24 घंटो में कॉलेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट में उक्त जानकारी दी गई. सरकार की तरफ से शेष राशि वसूले की लिए दस दिन का समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 10 मई को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने पैरवी की.

जबलपुर। कॉलेज संचालाकों से पैरा मेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले की राशि नहीं वसूले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान बुधवार को सरकार की तरफ से बताया गया कि 11 कॉलेज से 90 लाख रुपए की वसूली की गई है. इंदौर के 7 कॉलेज के खाते सीज फ्रीज किए गए है तथा जबलपुर के 8 कॉलेज को सील किया गया है. सरकार के आग्रह पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार के आग्रह पर शेष वसूली के लिए दस दिनों का समय प्रदान किया है.

छात्रवृत्ति के नाम पर घोटाला: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में बताया गया कि साल 2009 से 2015 के बीच हुए प्रदेश के सैकड़ों पैरा मेडिकल कॉलेज ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया था. पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों को प्रवेश दर्शाकर सरकार से करोड़ों रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्राप्त की थी. घोटाले के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे. जांच में घोटाले के आरोप सही पाए गए थे. जिसके बाद सरकार की तरफ से उक्त कॉलेज से राशि वसूले का निर्णय लिया गया था.

याचिका में कहा गया था कि राज्य शासन द्वारा छात्रवृत्ति घोटाले करने वाले कॉलेज से राशि वसूली की किसी तरह की कार्रवाई राज्य सरकार नहीं कर रही है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर प्रदान करने के बावजूद भी सरकार की तरफ से जवाब पेश नहीं किया गया है. युगलपीठ ने 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए सरकार को जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय प्रदान किया था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि 24 करोड़ रुपए में से 4 करोड़ रुपए की राशि वसूल की गई है.

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वसूली पर रोक: इंदौर खंडपीठ ने 5 करोड़ रुपए की राशि वसूली करने पर रोक लगा रखी है. शेष राशि वसूली के लिए कॉलेज के खिलाफ आरआरसी जारी की गई है. युगलपीठ ने राशि वसूली में सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित याकिचाएं सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए थे. पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि दो संस्थाओं से 4 लाख 76 हजार रुपए की वसूली की गई है. इसके अलावा दो संस्थाओं के बैंक एकाउंट सीज कर दिए हैं.

याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि सरकार एक तरफ कर्ज ले रही है और दूसरी तरफ अपनी राशि वसूलने में सालों लगा रही है. युगलपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते राशि की वसूली के लिए 24 घंटो में कॉलेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट में उक्त जानकारी दी गई. सरकार की तरफ से शेष राशि वसूले की लिए दस दिन का समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 10 मई को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने पैरवी की.

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