जबलपुर। बुरहानपुर में कोरोना फंड घोटाले का मामला एक बार फिर चर्चा में है. पुलिस के निष्पक्ष जांच नहीं करने पर इसे चुनौती देते हुए एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी. कोर्ट ने अब सभी अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
क्या है मामला: नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कोरोना काल में बुरहानपुर जिले के पीड़ित मरीजों के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया था. तत्कालीन कलेक्टर ने फंड के उपयोग की स्वतंत्रता तत्कालीन सीएचएमओ को दी थी. सीएचएमओ ने अपने परिचितजनों का खाता खुलवाकर उनके नाम पर राशि जारी कर दी. इसके अलावा जो व्यक्ति कोरोना पीड़ित नहीं थे, उनके नाम पर खाते खोलकर राशि जारी की गई. घोटाला सामने आने के बाद लालबाग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.
कोर्ट में याचिका क्यों लगाई: पुलिस में मामला तो दर्ज हो गया लेकिन जांच ठीक से नहीं किए जाने के आरोप लगे.इसी कारण बुरहानपुर निवासी उदय वर्मा की तरफ से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया कि पुलिस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. सफेदपोश और उच्च अधिकारी इस पूरे घोटाले में शामिल हैं. याचिका में राहत चाही गयी थी कि मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी जाये. याचिका में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,आयुक्त राष्ट्रीय हेल्थ मिशन,डीजीपी,ईओडब्ल्यू पुलिस अधीक्षक तथा थाना प्रभारी को अनावेदक बनाया गया था.
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कोर्ट ने क्या कहा: हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. युगलपीठ ने अनावेदक की सूची से आयुक्त राष्ट्रीय हेल्थ मिशन का नाम हटाने के निर्देश जारी किए हैं.