जबलपुर। याचिकाकर्ता बैजनाथ पॉल की तरफ से दायर की गयी सिविल रिवीजन में कहा गया था कि उसकी गाड़ी से प्रमोद चतुर्वेदी की मौत हो गयी थी. घटना के समय उसका डम्पर ड्राइवर नंदू विश्वकर्मा चला रहा था. मृतक की पत्नी व बच्चों ने मोटर दुर्घटना अधिकरण सीधी के समक्ष दावा प्रस्तुत किया था. दावे की सुनवाई करते हुए अगस्त 2009 को अवार्ड पारित किया गया था.
वाहन मालिक व ड्राइवर को दोषी ठहराया गया था : आदेश में वाहन मालिक तथा ड्राइवर को संयुक्त रूप से दोषी ठहराया गया था. पारित अवार्ड के निष्पादन के लिए पुनः मोटर दुर्घटना अधिकरण सीधी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया था. इसकी सुनवाई करते हुए वाहन मालिक के खिलाफ साल 2015 में कुर्की आदेश जारी किये गये थे. इसके खिलाफ उक्त सिविल आवेदन प्रस्तुत किया गया था. इसमे कहा गया था कि सुनवाई के दौरान उसे अपना पक्ष प्रस्तुत करने पर्याप्त अवसर प्रदान नहीं किये गये. मोटर दुर्घटना अधिकरण ने ड्राइवर को भी संयुक्त रूप से दोषी ठहराया है.
रिवीजन पर कोर्ट ने लगाई फटकार : याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कुर्की आदेश के परिपालन में रोक लगा दी थी. आवेदन की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. एकलपीठ द्वारा जारी फैसले में कहा गया कि कानूनी दायित्व से बचने तथा विलंबकारी रणनीति के तहत उक्त रिवीजन आवेदन दायर किया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रोटी कमाने वाले व्यक्ति की साल 2007 में मौत होने के बावजूद भी परिवार को अभी तक मुआवजा की राशि नहीं मिली है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे ने पैरवी की.
Road accident Case, 50 thousand fine, Not giving compensation, victim family relief, Not Given compensation amount