जबलपुर। खुले में आनाज का भंडारण किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई, इस दौरान सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि पूर्व पारित आदेश के परिपालन में छह जिलों के कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट पेश की है, जबकि सरकार की तरफ से अन्य जिलों की रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया है. हालांकि, सरकार द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट रिकाॅर्ड में नहीं आने के कारण चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को दस दिन की मोहलत प्रदान की है. साथ ही एक जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की है.
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एडवोकेट गुलाब सिंह की तरफ से दायर याचिका में भंडारण क्षमता व संरक्षण की कमी तथा खाद्यान्न सड़ने को चुनौती दी गयी थी. याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि भंडारण उचित तरीके से किया जाना चाहिए, इसके लिए आपदा प्रबंधन के तहत कानून सुनिश्चित किया जाना चाहिए. खुले में भंडारण तथा कुप्रबंधन के कारण बड़ी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार, भारतीय खाद्य निगम, मध्य प्रदेश वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही पीठ ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि सर्वे करवाकर खुले में रखे खाद्यान्नों के संरक्षण के लिए तत्काल उचित कदम उठाएं.
याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि सिवनी, कटनी सहित 6 जिलों के कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में आनाज का सुरक्षित भंडारण करवाये जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देष जारी कर दिये हैं. वहीं शेष जिलों की रिपेार्ट पेश करने करने के लिए सरकार ने कोर्ट से समय प्रदान करने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा पैरवी कर रहे हैं.