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MP High Court का अहम फैसला MPPSC एग्जाम में सामान्य वर्ग की सीटों पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का चयन नहीं

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी एग्जाम में आरक्षण को लेकर अहम फैसला सुनाया है. अब एमपीपीएससी की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में सामान्य वर्ग की सीटों पर अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का चयन नहीं हो सकेगा. फैसले के अनुसार अनारक्षित 50 फीसदी सीटों पर अब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का चयन नहीं हो सकेगा.

MP High Court Important decision
सामान्य वर्ग की सीटों पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का चयन नहीं
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Published : Feb 21, 2023, 1:24 PM IST

जबलपुर। एमपीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2019 तथा 2021 के परिणामो को चुनौती देने बाली तीन याचिकाओं पर हाईकोर्ट का अहम फैसला आया है. हाईकोर्ट ने राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के प्रावधानों के विपरीत फैसला सुनाया है. फैसले के अनुसार प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा मे आरक्षण अधिनियम 1994 तथा राज्य सेवा भर्ती नियम 2015 लागू नहीं होंगे. इस प्रकार मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच के जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह की खंडपीठ ने अपने फैसले में आरक्षण के पुराने नियमों को बदल दिया है.

दो परीक्षा परिणामों को लेकर याचिका : बता दें कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अक्टूबर 2022 में 2019 तथा 2021 की चयन परीक्षा के परिणाम घोषित किए थे. इन परीक्षा परिणामों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसमें आरक्षण की कई अनियमितताएं थीं और इन्हीं को अलग-अलग तीन याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई. इसमें अंतिम बहस 18 और 20 फरवरी को हुई अंतिम बहस के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरक्षण के पुराने नियमों हाईकोर्ट के पुराने आदेशों को खारिज कर दिया. यहां तक की सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ 1992 के आरक्षण नियमों को भी शिथिल करते हुए अनारक्षित या सामान्य वर्ग के अभ्यार्थियों के पक्ष में फैसला दिया.

ये हैं अब नए नियम : अब सामान्य वर्ग की अनारक्षित सीटों पर प्रारम्भिक तथा मुख्य परीक्षा मे केवल सामान्य वर्ग के ही अभ्यर्थियों का चयन किया जाए. अंतिम चयन के समय मेरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हो सकता है तथा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) का तथा परीक्षा नियम 2015 का प्रवर्तन परीक्षा के अंतिम चयन सूची बनाते समय लागू किया जाएगा. इस मामले में ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से एडवोकेट रामेश्वर पटेल ने पैरवी की.

Jabalpur High Court: पुलिस ने दर्ज किया नाखून की खरोंच पर हत्या के प्रयास का मामला, कोर्ट ने भेजा नोटिस

पहले ये था नियम : इसके पहले यह नियम था कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई छात्र ज्यादा नंबर ले आता है, जो अनारक्षित वर्ग के छात्रों से ज्यादा हैं तो उसे अनारक्षित कोटे में मौका मिलता था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा. आरक्षित वर्ग के छात्रों को केवल उनके ही कोटे में मौका मिल पाएगा. अनारक्षित या सामान्य वर्ग को अब केवल अपने ही कोटे के उम्मीदवारों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी. बता दें कि इसके पहले भी इस तरीके का एक फैसला आया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हालांकि उस पर फिलहाल स्टे है. उस मामले में हाई कोर्ट में भर्तियों को लेकर आरक्षण नियमों को चुनौती दी गई थी. इस मामले में अभी याचिकाकर्ताओं ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है.

जबलपुर। एमपीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2019 तथा 2021 के परिणामो को चुनौती देने बाली तीन याचिकाओं पर हाईकोर्ट का अहम फैसला आया है. हाईकोर्ट ने राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के प्रावधानों के विपरीत फैसला सुनाया है. फैसले के अनुसार प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा मे आरक्षण अधिनियम 1994 तथा राज्य सेवा भर्ती नियम 2015 लागू नहीं होंगे. इस प्रकार मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच के जस्टिस शील नागु तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह की खंडपीठ ने अपने फैसले में आरक्षण के पुराने नियमों को बदल दिया है.

दो परीक्षा परिणामों को लेकर याचिका : बता दें कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अक्टूबर 2022 में 2019 तथा 2021 की चयन परीक्षा के परिणाम घोषित किए थे. इन परीक्षा परिणामों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसमें आरक्षण की कई अनियमितताएं थीं और इन्हीं को अलग-अलग तीन याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई. इसमें अंतिम बहस 18 और 20 फरवरी को हुई अंतिम बहस के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरक्षण के पुराने नियमों हाईकोर्ट के पुराने आदेशों को खारिज कर दिया. यहां तक की सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ 1992 के आरक्षण नियमों को भी शिथिल करते हुए अनारक्षित या सामान्य वर्ग के अभ्यार्थियों के पक्ष में फैसला दिया.

ये हैं अब नए नियम : अब सामान्य वर्ग की अनारक्षित सीटों पर प्रारम्भिक तथा मुख्य परीक्षा मे केवल सामान्य वर्ग के ही अभ्यर्थियों का चयन किया जाए. अंतिम चयन के समय मेरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हो सकता है तथा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) का तथा परीक्षा नियम 2015 का प्रवर्तन परीक्षा के अंतिम चयन सूची बनाते समय लागू किया जाएगा. इस मामले में ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से एडवोकेट रामेश्वर पटेल ने पैरवी की.

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पहले ये था नियम : इसके पहले यह नियम था कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई छात्र ज्यादा नंबर ले आता है, जो अनारक्षित वर्ग के छात्रों से ज्यादा हैं तो उसे अनारक्षित कोटे में मौका मिलता था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा. आरक्षित वर्ग के छात्रों को केवल उनके ही कोटे में मौका मिल पाएगा. अनारक्षित या सामान्य वर्ग को अब केवल अपने ही कोटे के उम्मीदवारों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी. बता दें कि इसके पहले भी इस तरीके का एक फैसला आया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हालांकि उस पर फिलहाल स्टे है. उस मामले में हाई कोर्ट में भर्तियों को लेकर आरक्षण नियमों को चुनौती दी गई थी. इस मामले में अभी याचिकाकर्ताओं ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है.

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