जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत फैक्लटी के पद रिक्त हैं. एमपीपीएससी के माध्यम से विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों की प्रकिया प्रारंभ करवाई जाए. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सचिव को नोटिस तामिल करवाने के निर्देश जारी किये हैं.
पत्र को याचिका के रूप में लिया : रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एलएलबी के छात्र रोहित पाल सहित अन्य छात्रों ने साल 2014 में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था. जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय में फैक्टली सहित अन्य सुविधाएं नहीं हैं. पत्र को जनहित याचिका में दर्ज लेकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सुनवाई के निर्देश दिये थे. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कई निर्देश भी जारी किये थे. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा लग रहा है कि पिछले 10 सालों से न्यायालय लॉ कोर्स संचालित कर रहा है. इसे समाप्त करने का समय आ गया है.
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कोर्ट मित्र ने आवेदन पेश किया : कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निरीक्षण के बाद कैसे मान्यता प्रदान की जाती है. हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सचिव को अनावेदक बनाते हुए नोटिस जारी करने के निर्देश दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से कोई जवाब पेश नहीं किया गया. याचिका में कोर्ट मित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने युगलपीठ के समक्ष एक आवेदन पेश किया. जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय अपने स्तर पर भर्ती प्रक्रिया करती है. प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के लगभग 75 प्रतिशत पद रिक्त हैं. इन पदों की भर्ती का दायित्व एमपीपीएससी को सौंपा जाये. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद निर्देश दिया कि वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सचिव को नोटिस तामील करवाएं.