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विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार: HC - जस्टिस संजय द्विवेदी

हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति मामले में फैसला दिया कि विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है.

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Published : Mar 14, 2021, 10:49 AM IST

जबलपुर। हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दायर मामले का पटाक्षेप करते हुए डीजीपी को निर्देशित किया है. हाई कोर्ट की लॉर्जर बेंच द्वारा दिए गए फैसले के परिप्रेक्ष्य में आवेदिका के दावे पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर उसे नियुक्ति प्रदान करें. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उक्त फैसला एक विवाहित बेटे की ओर से दायर मामले में दिया है, जिसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट की फुल बेंच ने विवाहित बेटी को भी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया है. इसके बावजूद भी उसे नियुक्ति नहीं दी जा रही है.

यह मामला प्रीति सिंह की ओर से दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसकी मं मोहिनी सिंह सतना जिले के कोलगवां थाने में एएसआई के पद पर पदस्थ थी. अक्टूबर 2014 में ड्यूटी जाते समय एक एक्सीडेंट में उनकी मृत्यु हो गई, जिनकी केवल दो विवाहित बेटी है. जिस पर अनुकंपा नियुक्ति पाने उन्होने आवेदन किया था, जिसे पूर्व की अनुकंपा नियुक्ति पॉलिसी के तहत अमान्य कर दिया गया था. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पांडे ने पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि संविधान-14 में समानता का अधिकार है, जिसमें स्पष्ट रूप से लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करने का उल्लेख है. इतना ही नहीं हाई कोर्ट की लॉर्जर बेंच ने भी एक मामले में स्पष्ट किया है कि विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है, जिस पर सुनवाई कर न्यायालय ने मामले का पटाक्षेप करते हुए उक्त निर्देश दिए.

जबलपुर। हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दायर मामले का पटाक्षेप करते हुए डीजीपी को निर्देशित किया है. हाई कोर्ट की लॉर्जर बेंच द्वारा दिए गए फैसले के परिप्रेक्ष्य में आवेदिका के दावे पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर उसे नियुक्ति प्रदान करें. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उक्त फैसला एक विवाहित बेटे की ओर से दायर मामले में दिया है, जिसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट की फुल बेंच ने विवाहित बेटी को भी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया है. इसके बावजूद भी उसे नियुक्ति नहीं दी जा रही है.

यह मामला प्रीति सिंह की ओर से दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसकी मं मोहिनी सिंह सतना जिले के कोलगवां थाने में एएसआई के पद पर पदस्थ थी. अक्टूबर 2014 में ड्यूटी जाते समय एक एक्सीडेंट में उनकी मृत्यु हो गई, जिनकी केवल दो विवाहित बेटी है. जिस पर अनुकंपा नियुक्ति पाने उन्होने आवेदन किया था, जिसे पूर्व की अनुकंपा नियुक्ति पॉलिसी के तहत अमान्य कर दिया गया था. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पांडे ने पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि संविधान-14 में समानता का अधिकार है, जिसमें स्पष्ट रूप से लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करने का उल्लेख है. इतना ही नहीं हाई कोर्ट की लॉर्जर बेंच ने भी एक मामले में स्पष्ट किया है कि विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है, जिस पर सुनवाई कर न्यायालय ने मामले का पटाक्षेप करते हुए उक्त निर्देश दिए.

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