जबलपुर। फिल्म शोले में आपने बसंती की धन्नो को दौड़ते हुए कई बार देखा होगा, लेकिन जबलपुर में तांगों के बीच मुकाबला कराया गया. जिसमें लाली नाम की घोड़ी ने ये खिताब अपने नाम किया. 20 किलोमीटर दूरी के दौड़ वाले इस आयोजन में शहर के कई तांगे वालों ने अपने घोड़े-घोड़ियों के साथ रेस में भाग लिया था.
पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों के जमाने में घोड़ागाड़ी की रेस अपने आप में लोगों को आकर्षकित करने वाला खेल है. जबलपुर में पिछले 37 सालों से इस रेस का आयोजन होता रहा है. यह 20 किलोमीटर की रेस बेहद कठिन होती है. कड़ी धूप में घोड़े घोड़ियों को दौड़ाया गया. रेस में कई घोड़ों ने हार मान ली तो कुछ थक गए, लेकिन लाली ने इन सब के विपरीत बिना रुके सबको पछाड़ दिया.
घोड़ी लाली के मालिक का कहना है कि वह रोजाना घोड़ी को ट्रेनिंग देता है. साथ ही उसके खानपान का भी खासा ध्यान रखते हैं. उसे काजू, बादाम, मुनक्का और चना खिलाते हैं. इस रेस के दौरान कई घोड़े दौड़ते दौड़ते गिर गए और कई जख्मी हो गए. कई घोड़ों को सांस लेने में परेशानी होने लगी तो कई के मुंह से खून आने लगा. रेस को लोगों ने काफी एंजॉय किया, लेकिन इस तरह की रेस कहीं न कहीं जानवरों पर अत्याचार को भी बढ़ावा देता है.