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नर्मदापुरम में BJP नेता के भतीजे पर नगर पालिका की जमीन अतिक्रमण करने का मामला, अब दो हफ्ते बाद होगी केस में सुनवाई - होशंगाबाद नगर पालिका की जमीन पर अतिक्रमण

MP High Court Hearing: नर्मदापुरम में नगर पालिका की 60 हजार वर्गफुट जमीन के अतिक्रमण किए जाने के मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका प्रशासनिक आदेश के बाद भी कार्रवाई न करने को लेकर की गई है. मामले में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के भतीजे पर शासकीय जमीन पर अतिक्रमण करने का आरोप है.

MP High Court Hearing
नर्मदापुरम में नगर पालिका की 60 हजार वर्गफुट जमीन पर अतिक्रमण करने का मामला
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 9, 2023, 7:21 PM IST

जबलपुर। नर्मदापुरम में नगर पालिका की 60 हजार वर्गफुट जमीन पर तत्कानील विधानसभा अध्यक्ष के भतीजे की ओर से अतिक्रमण किये जाने के मामले में चुनौती देते हुए, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. अब इस मामले में शु्क्रवार को सुनवाई हुई.

सुनवाई के दौरान आवेदक की तरफ से रिज्वाइंडर पेश किया गया. राजस्व विभाग द्वारा पट्टे और भूमि स्वामी का आवेदन पहले ही खारिज किया जा चुका है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने निर्देश दिए. इसमें उन्होंने रिज्वाइंडर पर जवाब पेश करने का समय दिया. अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.

क्या है मामला?: याचिकाकर्ता वीरेन्द्र यादव की तरफ से साल 2018 में दायर की याचिका के तहत- अरूण शर्मा नर्मदापुरम में नर्मदा एजुकेशन संस्था चलाते हैं. वे संस्था के संचालक होने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के भतीजे हैं. संस्था की आड़ में उन्होने नगर पालिका की 60 हजार वर्गफुट जमीन पर कब्जा कर रखा है. इस संबंध में जनसुनवाई के दौरान जिला कलेक्टर से शिकायत की गई थी.

कलेक्टर ने शिकायत पर जांच के निर्देश नायब तहसीलदार को दिये थे. नायब तहसीलदार की तरफ से एसडीएम को सौंपी गयी रिपोर्ट में शिकायत को सही बताते हुए कहा है- नर्मदा एजुकेशन संस्था ने शासकीय जमीन पर कब्जा कर रखा है. नगर पालिका के सीएमओ को अतिक्रमण हटाने उचित कार्रवाई करनी चाहिए. नायब तहसील की जांच रिपोर्ट के बावजूद भी शासकीय जमीन को मुक्त करवाने को लेकर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की, जिसे लेकर अदालत में चुनौती दी गई है.

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याचिका में आरोप: "विधानसभा अध्यक्ष के राजनीतिक प्रभाव के कारण उसके भतीजे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. अनावेदक की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया था- उक्त जमीन साल 1957 में सोसायटी से खरीदी थी. इसके बाद साल 1988 में जमीन के पट्टे के लिए आवेदन किया था.


याचिकाकर्ता की तरफ से लिखित आवेदन: आवेदन में कहा गया है कि उक्त जमीन एजुकेशन सोसायटी को आवंटित की गयी थी. एजुकेशन सोसायटी को आवंटित जमीन बेची नहीं जा सकती है. राजस्व अधिकारी ने उनकी रजिस्टी को अवैध माना है.

इसके अलावा राजस्व अधिकारी ने उनके पट्टे का आवेदन भी खारिज कर दिया है. रिज्वाइडर पर जवाब पेश करने के लिए आवेदक ने समय प्रदान करने का आग्रह किया. इसे स्वीकार करते वक्त आदेश जारी किए गए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता के.के. गौतम ने पैरवी की.

जबलपुर। नर्मदापुरम में नगर पालिका की 60 हजार वर्गफुट जमीन पर तत्कानील विधानसभा अध्यक्ष के भतीजे की ओर से अतिक्रमण किये जाने के मामले में चुनौती देते हुए, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. अब इस मामले में शु्क्रवार को सुनवाई हुई.

सुनवाई के दौरान आवेदक की तरफ से रिज्वाइंडर पेश किया गया. राजस्व विभाग द्वारा पट्टे और भूमि स्वामी का आवेदन पहले ही खारिज किया जा चुका है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने निर्देश दिए. इसमें उन्होंने रिज्वाइंडर पर जवाब पेश करने का समय दिया. अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.

क्या है मामला?: याचिकाकर्ता वीरेन्द्र यादव की तरफ से साल 2018 में दायर की याचिका के तहत- अरूण शर्मा नर्मदापुरम में नर्मदा एजुकेशन संस्था चलाते हैं. वे संस्था के संचालक होने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के भतीजे हैं. संस्था की आड़ में उन्होने नगर पालिका की 60 हजार वर्गफुट जमीन पर कब्जा कर रखा है. इस संबंध में जनसुनवाई के दौरान जिला कलेक्टर से शिकायत की गई थी.

कलेक्टर ने शिकायत पर जांच के निर्देश नायब तहसीलदार को दिये थे. नायब तहसीलदार की तरफ से एसडीएम को सौंपी गयी रिपोर्ट में शिकायत को सही बताते हुए कहा है- नर्मदा एजुकेशन संस्था ने शासकीय जमीन पर कब्जा कर रखा है. नगर पालिका के सीएमओ को अतिक्रमण हटाने उचित कार्रवाई करनी चाहिए. नायब तहसील की जांच रिपोर्ट के बावजूद भी शासकीय जमीन को मुक्त करवाने को लेकर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की, जिसे लेकर अदालत में चुनौती दी गई है.

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याचिका में आरोप: "विधानसभा अध्यक्ष के राजनीतिक प्रभाव के कारण उसके भतीजे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. अनावेदक की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया था- उक्त जमीन साल 1957 में सोसायटी से खरीदी थी. इसके बाद साल 1988 में जमीन के पट्टे के लिए आवेदन किया था.


याचिकाकर्ता की तरफ से लिखित आवेदन: आवेदन में कहा गया है कि उक्त जमीन एजुकेशन सोसायटी को आवंटित की गयी थी. एजुकेशन सोसायटी को आवंटित जमीन बेची नहीं जा सकती है. राजस्व अधिकारी ने उनकी रजिस्टी को अवैध माना है.

इसके अलावा राजस्व अधिकारी ने उनके पट्टे का आवेदन भी खारिज कर दिया है. रिज्वाइडर पर जवाब पेश करने के लिए आवेदक ने समय प्रदान करने का आग्रह किया. इसे स्वीकार करते वक्त आदेश जारी किए गए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता के.के. गौतम ने पैरवी की.

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