जबलपुर। मोबाइल के दौर में ज्यादातर युवा फोटो और वीडियो बनाने में लगे हुए हैं. ऐसे में जबलपुर की एक युवा इंजीनियर ने टीनएजर बच्चों के लिए एक किताब लिखी है. इंजीनियरिंग की छात्रा का कहना है कि तरुणाई (युवा अवस्था) में बच्चों के सामने कई किस्म के तनाव होते हैं और इन तनाव से वह कैसे निकले और जीवन को सफल बनाएं ऐसी कुछ छोटी-छोटी बातों को जोड़कर उन्होंने एक पुस्तक लिखी है.
टीनएजर के लिए लिखी किताब: जानवी रामटेकर अभी मात्र 22 साल की हैं और उन्होंने टीनएजर बच्चों को ध्यान में रखकर एक पुस्तक लिखी है. जानवी का कहना है कि ''उन्होंने अपने टीनएज लाइफ में जो महसूस किया उसे पुस्तक में लिखा है. वह अपने आसपास जो होता हुआ देख रही थी उससे बहुत प्रभावित थी और उन्होंने उसे ही अपनी किताब में लिखने की कोशिश की है.''
बच्चों के सामने प्रतिस्पर्धा: जानवी का कहना है कि ''आज का टीनएजर बहुत अधिक तनाव में है. जैसे ही एक बच्चा तरुणाई में आता है उसके सामने परिवार और समाज प्रतिस्पर्धा खड़ी कर देता है और इसकी वजह से वह खुद को साबित करने के लिए एक अंधी दौड़ में लग जाता है. ऐसी स्थिति में उसके सामने कई बार निराशा खड़ी हो जाती है जिसका मुकाबला वह नहीं कर पाता और कई बार गलत कदम भी उठा लेता है.''
किताब में तनाव से निकलने के टिप्स: जानवी का कहना है कि ''यह पुस्तक उसने ऐसे ही टीनएजर बच्चों के लिए लिखी है जिनके सामने जिंदगी ने तनाव खड़ा कर दिया है और वे इस तनाव की वजह से गलत कदम उठा लेते हैं. इस तनाव को कैसे कम किया जाए और कैसे अपनी नाकामियों को कामयाबी में बदला जाए इस बात को जानवी ने अपनी पुस्तक में लिखने की कोशिश की है.'' बता दें कि जानवी की यह पहली पुस्तक है.
दोनों हाथों से लिखने का बनाया रिकॉर्ड: जानवी अभी अपने कैरियर की शुरुआत कर रही हैं और उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की है. पढ़ाई के दौरान उन्होंने यह महसूस किया कि लोग कई किस्म से तनाव और डिप्रेशन में हैं और छोटे-छोटे तरीकों से वे अपने तनाव को खत्म कर जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं. जानवी अपने खुद के अनुभव के बारे में बताती हैं कि ''उन्हें दसवीं क्लास में एक समस्या हो गई थी जिसकी वजह से उनके एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने परिवार के सदस्यों की सलाह पर दूसरे हाथ से लिखना शुरू किया धीरे-धीरे उनका पहला हाथ भी काम करने लगा और दोनों हाथों से लिखने की वजह से उनकी इस कला को एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.''
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पुस्तक को पाठकों तक पहुंचाना बड़ी चुनौती: जानवी का कहना है कि ''यदि जीवन में कोई कमजोरी आ भी जाए तो हार न माने और कोशिशें जारी रखें तो सफलता एक दिन जरूर मिलती है.'' हालांकि आजकल पुस्तकें पढ़ने का चलन बहुत कुछ घट गया है और ज्यादातर लोग पुस्तकें पढ़ने की बजाय मोबाइल पर अपना समय ज्यादा व्यतीत कर रहे हैं ऐसी स्थिति में पुस्तक लिखना और उन्हें पाठकों तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है. बरहाल इस युवा लेखक ने जो कोशिश की है यदि वह किसी की जिंदगी को तनाव से मुक्त कर सके तो उसकी कोशिश कामयाब हो जाएगी.