जबलपुर। शैक्षणिक संस्थाओं की राशि के दुरुपयोग तथा मिशन की सम्पत्ति में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में EOW ने पूर्व बिशप पीसी सिंह (Challan presented in court against PC Singh) के खिलाफ सोमवार को चालान पेश किया है. करीब 8 हजार से अधिक पन्नों का यह चालान EOW की विशेष कोर्ट में पेश किया गया. चालान में पूर्व बिशप पीसी सिंह के साथ ही उसका बेटे पीयूष पॉल सिंह और राजदार सुरेश जेकब के काले कारनामों का सिलसिलेवार ब्यौरा दर्ज किया गया है. स्कूलों की करोड़ों की राशि के गबन के आरोपी पूर्व बिशप पीसी सिंह पर घोटाले बाजी के अलावा पद के दुरुपयोग के कई गंभीर आरोप हैं.
बिशप अयोग्य व्यक्तियों को बनाता था प्रिंसिपल: इस पूरे मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को 8 दिसंबर के पहले अदालत में चालान पेश करना था. लिहाजा जांच टीम ने सोमवार को कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया. जांच के दौरान यह खुलासा भी हुआ है कि पूर्व बिशप पीसी सिंह पैसे लेकर बिशप बनाने का खेल तो खेलता ही था साथ ही अयोग्य व्यक्तियों को स्कूलों का प्रिंसिपल भी बना दिया करता था. जांच के दौरान पता चला है कि पीसी सिंह ने अपनी पत्नी को भी कई संस्थाओं में एक साथ डायरेक्टर बनाकर हर माह लाखों रुपयों का भुगतान कराता था.
पूछताछ के लिए बेटी को नोटिस जारी: EOW के उप पुलिस अधीक्षक स्वर्ण सिंह धामी ने बताया कि न्यायालय में सोमवार को धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व धारा 13 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है. मुख्य चालान में लगभग 20 करोड रुपये के फर्जीवाड़े का उल्लेख किया गया है. EOW की जांच जारी है और अन्य घोटाले के संबंध में भी पूरक चालान पेश किये जायेंगे. EOW को जांच के दौरान अन्य घोटाले के संबंध में साक्ष्य मिले हैं, उन घोटालों में लिप्त अन्य व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया जायेगा. पूर्व बिशप की बेटी प्रियंका को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किये जा रहे हैं. प्रियंका ने हैदराबाद में रहकर MBBS कोर्स किया था, MBBS में लगभग पांच करोड रुपये व्यय हुए हैं.
मृत्युदण्ड की सजा को हाईकोर्ट ने किया निरस्त: वृद्ध दम्पत्ति की हत्या के मामले में जिला न्यायालय सिंगरौली द्वारा दिये गये दोहरे मृत्युदण्ड की सजा को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस पीसी गुप्ता की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि परिस्थितिजनक साक्ष्य उत्तम गुणवत्ता के होने चाहिए. अभियोजन पक्ष स्पस्ष्ट व परिस्थितिजनक साक्ष्यों की श्रृंख्ला प्रस्तुत नहीं कर पाया. अनुमानों के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. अपर जिला सत्र न्यायाधिष सिंगरौली ने आरोपी रामजग बिंद (उम्र 38) ने 97 साल के वृद्ध रिश्तेदार तथा 95 साल की उसकी पत्नी की हत्या की थी, जिसके आरोप में नवम्बर 2019 को दोहरे मृत्युदण्ड की सजा से दण्डित किया था. मृत्युदण्ड की पुष्टि के लिए जिला न्यायालय ने प्रकरण को हाईकोर्ट भेजा था. इसके अलावा आरोपी ने भी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने युगलपीठ को बताया कि घटना को कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है.