जबलपुर, संस्कारधानी के नाम से जाना वाला प्रदेश का ये जिला अपनी कई खात बातों की वजह से जाना जाता है. इसी के चलते जिले में नर्मदा नदी के ग्वारीघाट तट पर पिछले सात सालों नर्मदा आरती का आयोजन किया जा रहा है जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ अब पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र बन गई है. ग्वारीघाट पर रोज शाम सात बजे नर्मदा आरती की जाती है.
यह आरती 2012 से अब तक लगातार की जा रही है. वही कैसी भी परिस्थितियों में ये आरती कभी भी बंद नहीं हुई. जब नर्मदा में तेज बाढ़ आई और पानी घाट की दुकानों तक भर गया तब भी आरती का सिलसिला बंद नहीं हुआ. इसी वजह से इस आरती में लोगों की श्रद्धा और बढ़ गई.
इसलिए खास है ये आरती
आरती का धार्मिक महत्व तो लोग अच्छी तरह समझते हैं लेकिन इसका सामाजिक सरोकार यह है कि इसकी वजह से पूरा घाट साफ सुथरा है और लोगों में नर्मदा नदी के प्रति सम्मान बढ़ रही है. इस आरती के पूरा होने के बाद भी घाट पर कही भी कचरा दिखाई नही देता है और लोग जागरूक होकर इस बात का खास ध्यान रखते है कि घाट पर स्वच्छता बनी रहे. इस आरती के प्रति लोगों की आस्था का पता इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नर्मदा परिक्रमा करने वाले तीर्थयात्री भी इस आरती की वजह से जबलपुर में कुछ ज्यादा दिनों तक रुक जाते हैं.
साथ ही यहां की खास बात ये है की इस आरती है दौरान रोज आरती मे मौजूद लोगों के स्वच्छता की शपथ दिलाई जाती है. जबलपुर के ग्वारीघाट पर होने वाली इस आरती का महत्व और लोगों की इसके प्रति आस्था दिनों दिन और बढ़ती जा रही है. वही इस आरती के महत्व को और बढ़ाती है यहां के लोगों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता.