जबलपुर। चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है. सभी सिद्ध पीठों पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु पूजा-पाठ करने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन ज्यादातर सिद्ध पीठ नौ देवियों के नहीं है, बल्कि दशम महाविद्या की देवियों के हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि इन देवियों की पूजा करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
शहर में माता बगलामुखी का एक सुंदर मंदिर है. यहां नवरात्रि के मौके पर विशेष पूजन-अर्चन की जाती है. माता बगलामुखी के बारे में कहा जाता है कि जिन लोगों को शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है. चाहे वह शत्रु शरीर के अंदर का हों या फिर शरीर के बाहर का, वे लोग माता बगलामुखी की पूजा-अर्चन करते हैं. इसी के चलते इन्हें पितांबरा माता के रूप से जाना जाता है.
माता बगलामुखी के बारे में यह भी कहा जाता है कि जो लोग अपनी वाक् चातुर्य से लोगों को परास्त कर देते हैं. उन पर माता बगलामुखी की कृपा होती है. यह माता पार्वती का सबसे रौद्र रूप है. वहीं माता काली के साधक ज्यादातर पश्चिम बंगाल और असम के आसपास पाए जाते हैं. हालांकि अब काली की साधना पूरे देश में होने लगी है. माता काली दुष्टों का वध करने वाली 10 महाविद्या की पहली देवी है.
तारा के बारे में क्या कहा जाता है ?
तारा काली की ही तरह 10 महाविद्याओं में पार्वती का दूसरा रूप है. यह भी माता का रौद्र रूप है. इसके साधन ज्यादातर नेपाल के पास पाए जाते हैं. तारा नाम से ही स्पष्ट है कि यह माता तारने वाली है. मतलब दुखों को खत्म करने वाली. इसलिए नेपाल के आसपास माता पार्वती के इस रूप की पूजा की जाती है.
छिन्नमस्ता देवी के बारें में जानते है
छिन्नमस्ता देवी के पहले दो रूपों की ही तरह यह भी माता का रौद्र रूप है. इनके उपासक भी ज्यादातर बंगाल के आसपास पाए जाते हैं. माता के रूप के बारे में उपासक कहते हैं कि दुनिया भर की चिंताओं को हरने वाली माता का नाम छिन्नमस्ता है. त्रिपुर सुंदरी माता पार्वती के इस रूप के बारे में कहा जाता है कि 16 साल की कन्या जिस तरह से सुंदर होती है, उसी तरह से त्रिपुर सुंदरी के सौंदर्य का वर्णन किया गया है. त्रिपुर सुंदरी माता सुंदर होती है. ऐसा माना जाता है जिन लोगों पर त्रिपुर सुंदरी की कृपा होती है, वे धन-धान्य और राजकीय सुख को प्राप्त होते हैं. जिन लोगों को इन सब चीजों की लालसा होती है, वे त्रिपुर सुंदरी माता की पूजा-पाठ करते हैं. त्रिपुर सुंदरी माता के मंदिर देश में कई जगहों पर हैं, लेकिन इनका एक प्रसिद्ध मंदिर नरसिंहपुर के श्रीधाम के पास है. और त्रिपुर सुंदरी माता की 11वीं शती की प्रतिमा उड़ीसा में निर्मित की गई थी, जो अब ब्रिटिश संग्रहालय में है. भुवनेश्वरी माता पार्वती के इस रूप के बारे में कहा जाता है कि जिन लोगों को ऐश्वर्य चाहिए, वह माता के भुवनेश्वरी रूप की पूजा-अर्चन करें. यह माता का पंचम स्वरूप है. जिन लोगों पर माता भुवनेश्वरी की कृपा होती है, उनके पास सुख के पर्याप्त साधन होते हैं. इसलिए सुख चाहने वाले लोग माता भुनेश्वरी की पूजा-अर्चना करते हैं.
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त्रिपुर भैरवी के बारे में क्या कहा जाता है ?
त्रिपुर भैरवी के बारे में कहा जाता है कि तंत्र साधना करने वाले लोग त्रिपुर भैरवी की ही पूजा-अर्चन करते हैं. बनारस में इनका एक मंदिर भी है. धूमावती देवी के बारे में कहा जाता है कि इनकी उपासना सुहागन महिलाएं नहीं करती, बल्कि विधवा महिलाएं और पुरुष ही केवल सकते हैं. माता के इस स्वरूप में कौआ इनका वाहन है. दतिया के पास इनका मंदिर है. यह भी तांत्रिक साधना की देवी हैं. यह माता पार्वती का सरस्वती रूप है. इनकी साधना कला और संगीत की दुनिया में काम करने वाले लोग किया करते हैं. कहते हैं कि जिन पर मातंगी की कृपा होती है, वे कला और कौशल में माहिर होते हैं. देवी मातंगी में वशीकरण की शक्ति होती है.
माता कमला के बारे में क्या कहा जाता है ?
माता कमला के बारे में कहा जाता है कि वह माता लक्ष्मी का स्वरुप है. पुरातत्व के जानकार बतलाते हैं कि हिंदुओं के साथ ही बौद्ध और जैन देवी-देवताओं में भी माता कमला की मूर्तियां मिली हैं. दोनों हाथों में कमल और दो हाथों से कृपा बरसाती हुई. माता कमला भी दशम महाविद्या की एक देवी है.