पन्ना: अगस्त्य मुनि का सिद्ध स्थल सिद्धनाथ आश्रम के सामने पर्वत श्रृंखला में विंध्याचल पर्वत का त्रेता युग से गहरा नाता है. ये पर्वत आज तक अपने गुरु अगस्त्य मुनि के सामने दंडवत प्रणाम किए हुए लेटा है. पौराणिक कथा के अनुसार "यह पर्वत अपने गुरु अगस्त्य मुनि के आदर में त्रेता युग से आज तक इसी अवस्था में है. क्योंकि अगस्त्य मुनि ने कहा था कि दक्षिण से लौटकर आने तक तुम यही ऐसे ही लेटे रहना."
पन्ना से 60 किमी दूर स्थित अगस्त्य मुनि की तपोभूमि
पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुनौर तहसील अंतर्गत सलेहा क्षेत्र अंतर्गत सिद्धनाथ आश्रम अगस्त्य मुनि की तपोभूमि है, जहां पर मुनि ने अपने 108 शिष्यों के साथ तपस्या की थी. मुनि की तपोस्थली सिद्धनाथ आश्रम में विंध्याचल पर्वत की श्रृंखला है. बताया जाता है कि यहां पर विंध्याचल पर्वत त्रेता युग से आज तक लेटा हुआ है. मंदिर के पुजारी दीनदयाल दास बताते हैं "विंध्याचल पर्वत ने सूर्य को ढंक लिया था. प्रकृति का संतुलन बिगड़ने लगा तो सभी देवताओं ने अगस्त मुनि से प्रार्थना की विंध्याचल पर्वत आपका शिष्य है और आपकी ही बात मानेगा."
गुरु अगस्त मुनि की आज्ञा का पालन किया पर्वत ने
इसके बाद अगस्त मुनि ने सिद्धनाथ स्थल पर विंध्याचल पर्वत को बुलाया. मुनि को देखते ही विंध्याचल पर्वत ने गुरु के आदर में साष्टांग दंडवत प्रणाम किया. मुनि ने विंध्याचल पर्वत से कहा "मैं दक्षिण जा रहा हूं, जब तक लौटकर नहीं आता, तब तक तुम ऐसे ही लेटे रहना." इसके बाद प्रकृति का संतुलन ठीक हुआ. तब से लेकर आज तक विंध्याचल पर्वत सिद्धनाथ आश्रम के सामने विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में लेटा हुआ है. इतिहासकार स्वामी अमृतांजल नाथ भी इस पौराणिक की कहानी की पुष्टि करते हैं.
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वनवास के दौरान भगवान श्री राम अगस्त्य मुनि से मिले
सिद्धनाथ आश्रम दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत अगस्त्य मुनि की तपोस्थली है. यहां पर उन्होंने 108 शिष्यों के साथ तपस्या की थी. भगवान राम वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ उनसे मिलने यहां आए थे. इसका रामचरितमानस में वर्णन है. भगवान राम चित्रकूट से अगस्त्य मुनि के दर्शन करने आए थे. मुनि ने यहीं पर उन्हें शस्त्र और शास्त्र की विद्या दी थी. इसके बाद उन्होंने रावण का संघार किया था. यहां पर भगवान राम की एकांकी धनुष लिए दौड़ते हुए प्रतिमा भी स्थापित है. इस प्रतिमा के दर्शन करने प्रतिवर्ष दक्षिण भारत से हजारों लोग यहां आते हैं और भंडारा अनुष्ठान एवं पूजा पाठ करते हैं.