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गौ कुम्भ के आगाज पर नरसिंह मंदिर से निकली पेशवाई, हजारों साधु-संत होंगे शामिल

संस्कारधानी के ग्वारीघाट पर गौ कुंभ की शुरुआत हो गई है, ये कुंभ 3 मार्च तक चलेगा, जिसमें 5 हजार से ज्यादा साधु-संतों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है.

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संस्कारधानी में गौ कुम्भ का आगाज
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Published : Feb 24, 2020, 8:54 PM IST

Updated : Feb 24, 2020, 9:04 PM IST

जबलपुर। मां नर्मदा के ग्वारीघाट से गौ कुंभ का आगाज हो गया है, नरसिंह मंदिर से पेशवाई शुरू हुई, जोकि नर्मदा के गीता धाम पहुंचकर समाप्त हुई. पहली बार नर्मदा तट पर अर्ध कुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है. 3 मार्च तक होने वाले गौ कुम्भ में 5 हजार से ज्यादा साधु-संतों के शामिल होने की उम्मीद है. इसके अलावा कई अखाड़े और नागा साधु भी गौ अर्धकुंभ में शामिल होंगे.

संस्कारधानी में गौ कुम्भ का आगाज

आज की पेशवाई में साधु संतों के साथ-साथ भगवान की झांकियों सहित ढोल-नगाड़े भी थे, जोकि अपनी अलग ही छवि बिखेर रहे थे. नर्मदा तट पर गौ कुम्भ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नर्मदा को संरक्षित करना है, पेशवाई में शामिल हुए संत अखिलेश्वरानंद ने बताया कि आज का दिन संस्कारधानी के लिए ऐतिहासिक है, जो आने वाले समय में इतिहास में दर्ज होगा.

सोमवार से शुरू हुए अर्धकुंभ को संस्कारधानी के संतों सहित देश के संतों का समर्थन मिल रहा है, इसके अलावा कई अखाड़े भी गौ कुम्भ में शामिल हुए, महाराज अखिलेश्वरानंद ने कहा कि भारत की जितनी भी नदियां हैं, वहां पर इस तरह के कार्यक्रम हमेशा होने चाहिए, ताकि नदियों का अस्तित्व सुरक्षित रह सके. आज की युवा पीढ़ी धर्म से भटक रही है, उनको भी इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से जोड़ा जा सके, यही वजह है कि इस तरह के आयोजन बहुत ही जरूरी है.

जबलपुर। मां नर्मदा के ग्वारीघाट से गौ कुंभ का आगाज हो गया है, नरसिंह मंदिर से पेशवाई शुरू हुई, जोकि नर्मदा के गीता धाम पहुंचकर समाप्त हुई. पहली बार नर्मदा तट पर अर्ध कुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है. 3 मार्च तक होने वाले गौ कुम्भ में 5 हजार से ज्यादा साधु-संतों के शामिल होने की उम्मीद है. इसके अलावा कई अखाड़े और नागा साधु भी गौ अर्धकुंभ में शामिल होंगे.

संस्कारधानी में गौ कुम्भ का आगाज

आज की पेशवाई में साधु संतों के साथ-साथ भगवान की झांकियों सहित ढोल-नगाड़े भी थे, जोकि अपनी अलग ही छवि बिखेर रहे थे. नर्मदा तट पर गौ कुम्भ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नर्मदा को संरक्षित करना है, पेशवाई में शामिल हुए संत अखिलेश्वरानंद ने बताया कि आज का दिन संस्कारधानी के लिए ऐतिहासिक है, जो आने वाले समय में इतिहास में दर्ज होगा.

सोमवार से शुरू हुए अर्धकुंभ को संस्कारधानी के संतों सहित देश के संतों का समर्थन मिल रहा है, इसके अलावा कई अखाड़े भी गौ कुम्भ में शामिल हुए, महाराज अखिलेश्वरानंद ने कहा कि भारत की जितनी भी नदियां हैं, वहां पर इस तरह के कार्यक्रम हमेशा होने चाहिए, ताकि नदियों का अस्तित्व सुरक्षित रह सके. आज की युवा पीढ़ी धर्म से भटक रही है, उनको भी इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से जोड़ा जा सके, यही वजह है कि इस तरह के आयोजन बहुत ही जरूरी है.

Last Updated : Feb 24, 2020, 9:04 PM IST
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