जबलपुर। जिले में ह्यूमेनिटी ऑर्गेनाइजेशन के नाम से युवाओं की एक टोली काम करती है. यह कोई रजिस्टर्ड संगठन नहीं है बल्कि इस बैनर तले अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले 50 युवा जुड़े हुए हैं. इन लोगों ने लॉकडाउन के कठिन समय में जबलपुर शहर की सैकड़ों परिवारों को दो वक्त का भोजन मुहैया कराया, कोरोना वायरस के संकट काल में समाज अलग-अलग हिस्सों में बंट गया है. एक हिस्सा आपदा को अवसर मानकर कमाने में लगा हुआ है यह वह लोग हैं जो काला बाजारी कर रहे हैं लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं किराना, फल, फूल, दवा इलाज जिस तरीके से वह कमा सकते हैं उस तरीके से कम आ रहे हैं और एक तबका ऐसा भी था जो लोगों की मदद कर रहा था.
ऐसे ही मदद करने वाली एक कहानी हम आपको सुना रहे हैं अभिनव सिंह चौहान और उनके साथी अपनी सोशल मीडिया साइट पर एक अपील करते हैं कि लॉकडाउन की वजह से रिक्शा चलाने वाले, मजदूरी करने वाले, लाचार बेसहारा लोग भूखे हैं और उन्हें भोजन की जरूरत है सोशल मीडिया पर यह मैसेज अपने 50 मित्रों को पहुंचाया जाता है इसके बाद शुरू होता है दान का सिलसिला, कुछ ग्रहणियां इन लाचार लोगों के लिए खाना दान करने को तैयार हैं तो वे घरों में खाना बनाती हैं और इन युवाओं तक पहुंचाती है इन्हें पैकेट में पैक किया जाता है और फिर शहर के चार पांच इलाकों में मोटरसाइकिल पर पैकेट लादकर बांटने का सिलसिला शुरू होता है और एक समय में 300 से ज्यादा लोगों को भोजन कराया जाता है.
6 साल की मासूम कनिका ने दान की गुल्लक, कहा- गरीबों के लिए दे रही पैसे
- ऐसे जुड़ते है लोग
इस समय ऐसे बहुत से लोग हैं जो जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी अपनी खुशियां पार्टियों के जरिए नहीं मना पा रहे हैं इसलिए वे लोग भी इन युवाओं के साथ हैं और या तो वे इन्हें भोजन मुहैया कराते हैं या फिर दान दे देते हैं जिससे यह लोग भोजन बनवाकर गरीबों तक पहुंचाते हैं इनके कुछ दोस्त विदेशों में भी हैं वह वहां से पैसा भेज देते हैं और यह युवा इस पैसे को कुछ पका हुआ भोजन और कुछ परिवारों को कच्चा राशन देकर मदद कर रहे है.
- निस्वार्थ भाव से कर रहे सेवा
इन युवाओं का कहना है कि वे सामान्य दिनों में भी होटलों से बचा हुआ खाना इकट्ठा करते थे और सड़क पर रहने वाले गरीबों में मानते थे लेकिन अब होटल बंद है इसलिए उन्हें खाना पकाकर गरीबों में बांटना पड़ रहा है बीते 41 दिनों में ऐसा एक भी दिन नहीं हुआ जब इन युवाओं ने गरीबों तक भोजन ना पहुंचाया हो, भोजन की यह मदद कुछ राजनीतिक दल भी कर रहे हैं कुछ सामाजिक संगठन कर रहे हैं कुछ धार्मिक संगठन कर रहे हैं लेकिन इन सबके पीछे कोई ना कोई स्वार्थ छिपा हुआ है लेकिन इन युवाओं की इस कोशिश के पीछे कोई एजेंडा नहीं है इन लोगों का कहना है कि जब स्थितियां सामान्य होंगी तो वह दोबारा अपने काम में लग जाएंगे, अभी समाज संकट में हैं इसलिए वे मदद के लिए आगे आए है.