जबलपुर। कैलाशवासी देवों के देव महादेव को भोले नाथ ऐसे ही नहीं कहते. वे किसी भी रूप में कहीं भी उपस्थित हो जाते हैं. ऐसा ही एक रूप उन्होंने धरा है संस्कारधानी में. यहीं है एक मंदिर जिसकी ख्याति कैलाश धाम नाम से चहुंओर फैली है. इसी मंदिर में हैं भोलेनाथ सफेद पिंडी रूप में हैं.
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यह पिंडी प्राकृतिक रूप से निर्मित है और बहुत ही आकर्षक है. ऐसा माना जाता है कि यहां पहुंचने वाले की हर मुराद भगवान शंकर पूरी करते हैं. हरी भरी वादियों के बीच ऊंची पहाड़ी पर विराजमान महादेव का जलाभिषेक करने हजारों की संख्या में कांवड़िए हर साल पहुंचते हैं. जबलपुर के मटामर गांव के ऊंचे पहाड़ पर स्थित यह मंदिर आज मध्य प्रदेश का दर्शनीय स्थल बन गया है. यहां सावन में दूर-दूर से भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं.
स्वप्न में बाबा ने दिखाई राह और कारवां बनता गया
जानकार बताते हैं कि मटामर गांव के रामू दादा को स्वप्न में भगवान भोलेनाथ ने दर्शन दिए. उन्होंने भक्त तो आज्ञा दी कि वो मां नर्मदा के स्वर्गद्वारी में रखी भगवान भोलेनाथ की श्वेत पिंडी को वह अपने तपो स्थल पर लाकर रख रखें. सन1980 में रामू दादा ने भगवान भोलेनाथ की पिंडी को लाकर पहाड़ पर स्थापित करें. रामू दादा ने आज्ञा का पालन किया. बाद में कारंवा बनता गया और लोगों ने मिलकर भोलेनाथ का मंदिर बना डाला. यह स्थान पूरे प्रदेश में कैलाश धाम के नाम से विख्यात हो गया है. इस पिंडी की खासियत है कि इसके दर्शन करने से मानसिक शांति मिलती है, साथ की मनोकामनापूर्ति के लिए भी यह शिव मंदिर प्रसिद्ध है.