जबलपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक दिवसीय दौरे पर मध्य प्रदेश आईं. एमपी दौरे पर राष्ट्रपति पहले प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर पहुंची. वहीं इसके बाद द्रौपदी मुर्मू संस्कारधानी जबलपुर आईं. जहां उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एनेक्सी बिल्डिंग का भूमि पूजन किया. इस दौरा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला जजों की संख्या बढ़ाने की मांग की. वहीं उन्होंने यहां मौजूद जजों और वकीलों से अपील की की न्याय को सस्ता किया जाए, ताकि समाज का शोषण और वंचित वर्ग भी आसानी से न्याय पा सके.
भूमि पूजन कार्यक्रम में सीएम-राज्यपाल सहित कई प्रतिनिधि शामिल: जबलपुर में हाईकोर्ट की एनेक्सी बिल्डिंग के भूमि पूजन के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जबलपुर पहुंची. नए हाईकोर्ट के इमारत का भूमि पूजन कार्यक्रम जबलपुर के ट्रिपल आईटी डीएम संस्थान में हुआ. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यपाल मंगू भाई पटेल और एमपी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ शामिल हुए. ट्रिपल आईटी डीएमके के इस सभागार में प्रदेश हाईकोर्ट के सभी जज, हाईकोर्ट के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और जबलपुर महापौर जगत बहादुर सिंह अनु भी पहुंचे.
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President Droupadi Murmu laid the foundation stone for the new building of High Court of Madhya Pradesh at Jabalpur. The President emphasised on strengthening further the system of alternative resolution of disputes. She said that on the one hand, it would make the resolution of… pic.twitter.com/UHwE7gCvSE
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए कहा कि "अभी भी भारत में सुप्रीम कोर्ट में मात्र 9% महिला जज हैं. वहीं हाईकोर्ट में यह संख्या 14% है. यदि भारत में 33% महिला आरक्षण की बात की जा रही है तो महिला जजों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कहना है कि महिलाओं में नैसर्गिक भाव से समान न्याय करने की क्षमता होती है. इसलिए वे अपने सभी बच्चों के साथ बराबरी का न्याय करती हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जबलपुर हाईकोर्ट के कई निर्णय की प्रशंसा की करते हुए कहा कि जबलपुर हाईकोर्ट के कुछ फैसलों ने भारत की न्याय व्यवस्था में अहम रोल अदा किया है."
मीडिएशन एक्ट से कम होगा अदालतों का बोझ: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बात पर चिंता जताई कि अभी भी भारत की निचली अदालत में 4.50 करोड़ मामले पेंडिंग हैं. उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के प्रशासनिक फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि "उन्होंने सबसे पुराने 25 मामलों को रोज सुनवाई कर निपटाने का जो नियम बनाया है. उसके जरिए पुराने मामलों को जल्द खत्म किया जा सकेगा." राष्ट्रपति ने पंच परमेश्वर की चर्चा करते हुए कहा कि "भारत पंच परमेश्वर का देश है. हमें ऐसी व्यवस्थाएं बनानी चाहिए. जिससे बातचीत के जरिए छोटे मामलों को निपटाया जा सके. उन्होंने कहा कि बीते दिनों मीडिएशन एक्ट को लागू करने की अनुमति दी है. यह एक्ट मीडिएशन के जरिए मामलों को कोर्ट के बाहर निपटने में अहम रोल अदा करेगा. इससे अदालतों का बोझ भी काम होगा."
न्याय प्रक्रिया हो सस्ती: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि "बेशक इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है, लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि समाज के वंचित लोगों को आसानी से न्याय मिल सके. वहीं उन्होंने कहा कि न्याय की प्रक्रिया को सस्ता करने की जरूरत है. इसके लिए संस्थागत प्रयास करने होंगे. तभी हम गरीबों को न्याय दिला पाएंगे. द्रौपदी मुर्मू का कहना है कि हमारी व्यवस्था में कहीं ऐसा ना हो कि आम गरीब आदमी न्याय से वंचित रह जाए."
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एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने बताई नई इमारत की विशेषताएं: हाईकोर्ट की यह इमारत 460 करोड़ लागत की बन रही है. इसे जबलपुर जिला न्यायालय की पूर्व इमारत के स्थान पर बनाया जा रहा है. इस इमारत में बेसमेंट पर कार पार्किंग होगी और ऊपर अदालत होगी. इसके साथ ही हाईकोर्ट की लाइब्रेरी वकीलों के बैठने के लिए स्थान के साथ ही पूरी इमारत अत्यधिक तकनीक से सुसज्जित होगी. यह इमारत 9 मंजिला होगी. इस इमारत में 60 जजों के हिसाब से अदालतें भी बनाई जाएगी. इसके अलावा राष्ट्रपति ने अपने भाषण में विचाराधीन कैदियों के बारे में भी जिक्र किया. राष्ट्रपति का कहना है कि "हमें कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि विचाराधीन कैदियों को जिलों में ज्यादा समय तक इंतजार ना करना पड़े. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हाईकोर्ट की इमारत को बनाने में और अधिक पैसे की जरूरत होगी, तो राज्य सरकार बजट बढ़ा भी सकती है.